Bank:बैंको में खाते तो खुलवा आसान है लेकिन अगर संचालित नहीं हो रहा इससे बैंक का कभी नुकसान हो रहा हाल ही में वित्ती राज्य मंत्री ने जवाब देते हुआ कहा कि रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के आंकड़ों के मुताबिक, शिड्यूल कॉमर्शियल बैंकों (एससीबी) ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10.57 लाख करोड़ रुपये की कुल लोन राशि बट्टे खाते में डाली है.
NPA कि वसूली के लिए यह यह फार्मूला (Bank)
वित्त राज्यमंत्री भगवत में बताया कि एनपीए की वसूली के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं जिससे एससीबी ने पिछले पांच साल के दौरान बट्टे खाते में डाले गए लोन सहित एनपीए खातों में 7,15,507 करोड़ रुपये की कुल वसूली की है. कराड ने आगे कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान, यानी वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2022-23 तक बड़े उद्योगों और सेवाओं से संबंधित ऋणों के संबंध में 5.52 लाख करोड़ रुपये की कुल राशि बट्टे खाते में डाली है.
धोखाधड़ी के करण बट्टे खाते में करोड़ों रूपये
केंद्रीय मंत्री में बताया कि पांच साल की अवधि के दौरान सभी बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के चलते बट्टे खाते में डाले गए 93,874 करोड़ रुपये भी शामिल हैं. बीते साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Bank) (पीएसबी) मार्च, 2022 को खत्म पिछले पांच वर्षों में बट्टे खातों से सिर्फ 14 प्रतिशत राशि ही वसूल पाए थे. इस दौरान कुल 7.34 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए थे.इसमें से सरकारी बैंकों ने 1.03 लाख करोड़ रुपये की वसूली की थी.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि Written Off किए गए लोन से कर्जदार को कोई लाभ नहीं होता है, वे पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि बैंक मौजूदा उपायों के जरिए बट्टे खाते में डाली राशि की वसूली का काम जारी रखते हैं. इन उपायों में कोर्ट या कर्ज वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के तहत मामले दर्ज करना शामिल हैं.
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