Bank अपने ग्राहकों कों कई तरह की सुविधाएं प्रदान करता है. बैंक द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में एक प्रमुख सेवा है लोन प्रदान करना. दरअसल बैंक अपने कुछ निश्चित व्याज दर पर ग्राहकों कों लोन प्रदान करता है. जिसे एक निश्चित समय में उस राशि कों व्याज के साथ ग्राहकों कों बैंक में जमा करना होता है.
कई बार आपने सुना होगा की इस बैंक की NPA बढ़ गयी है. जिस बैंक पर जितना अधिक एनपीए उस बैंक की उतना ज्यादा हालत ख़राब हो जाती है. हर बैंक चाहता हैं कि उसका एनपीए ना बढ़े. दरअसल लोन ही कुछ दिनों में NPA बन जाता है. आइये आज जानते हैं कि दरअसल लोन कब NPA बन जाता है? NPA होता क्या है तथा उन बैंको की लिस्ट जो एनपीए के बोज तले दबे है.
Bank द्वारा मिला लोन कैसे बन जाता है NPA
बैंक अपने ग्राहकों कों एक निश्चित व्याज दर पर लोन देता है जिसे ग्राहकों कों बैंक कों वापस करना होता है.अगर ग्राहक कर्ज कों नहीं चूका पाता तो उस रकम कों NPA माना जाता है. NPA का फुल फॉर्म Non Performing Asset है.कुल मिलकर कहें तो ऐसा कर्ज जो बैंक अपने ग्राहकों कों दिया परन्तु वों रकम बैंक कों वापस नहीं मिली है. नहीं मिलने वाली रकम कों बैंक NPA घोषित कर देता है.
Bank लोन बन जाता है एनपीए
बैंक द्वारा दिया गया लोन अगर निश्चित समय के 90 दिनों बाद भी वापस नहीं मिलता तब बैंक उस रकम कों NPA घोषित कर देता है.साधारण भाषा में समझे तो बैंक का फंसा हुआ कर्ज ही एनपीए कहलाता है. एनपीए कों बैंक 3 श्रेणी में विभाजित करता है पहला है सबस्टैंडर्ड असेट्स एक साल तक न मिलने वाले रकम कों सबस्टैंडडर्ड असेट्स मना जाता है. एक साल के उप्पर वाले कों डाउटफुल असेट्स माना जाता है.अगर बैंक कों लगता है कि यह रकम नहीं मिल पायेगी तो उसे लोस् असेट्स मान लिया जाता है.
इन Bank पर सबसे ज्यादा एनपीए
NPA में सबसे ज्यादा ख़राब इस्थिति में 4 सरकारी वहीं 4 प्राइवेट बैंक मिलाकर कुल 8 बैंक सबसे ख़राब इस्थिति में शामिल है जिसमे पंजाब नेशनल बैंक(Punjab National Bank),बैंक ऑफ़ इंडिया( Bank of India),सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया(Central Bank of India),केरल बेस्ट प्राइवेट बैंक और साउथ इंडियन बैंक तथा पंजाब एंड सिंध बैंक,सिटी यूनियन बैंक और बंधन बैंक शामिल है.सबसे ख़राब स्थिति सूर्योदय स्माल फाइनेंस बैंक की है.
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