भोपाल स्तिथ एक माँ ने बच्चे के काले रंग के कारण किया बच्चे पर अत्याचार – काला पत्थर
नई दिल्ली: भारत देश एकमात्र ऐसा देश देखा गया है, जिसमे अनक धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिख इसाई पाए जाते, इसके अलावा इनमे भी अनक प्रकार के लोग होते है। और इन सबसे भी परे है, भारत के लोगो का रंग और रूप जो मनुष्य के हाथ में नही होता बल्कि कुदरत के हाथ में होता है। मनुष्य का का तो उसे मेन्टेन (maintain) रखना है। विदेश में केवल या तो लोगो का रंग काला है, या फिर गोरा। लेकिन भारत में हर प्रकार के लोग हा, गोर, काले, सावले। व्यक्ति की सुन्दरता उसके गोर या काले होने से नही बल्कि उसके दिल से होती है। इसका मतलब ये भी नही की गोरा इन्सान ही अधिक सुंदर होता है, तो काले व्यक्ति काला पत्थर (Black Stone) से खुद को घिसकर गोरा बना ले। यह केवल एक बहुत बड़ी, पागल पांति और बेवकूफी है, अथार्थ यह खुद को हानि पहुचाकर, अपने साथ अत्याचार करना होता है।
माँ वो होती है, जिसे अपने से ज्यादा अपने बच्चे का ख्याल रहता है। भोपाल में स्तिथ एक परिवार ने उत्तराखंड स्थित मातृछाया (Matarchaya) से करीब डेढ़ साल पहले एक बच्चा गोद (adopt) लिया था, जिसका रंग काला (black) है। बच्चे के पिता एक अस्पताल में काम करता है, और माता एक सरकारी स्कूल में टीचर है। महिला का नाम सुधा तिवारी है। जानकारी के अनुसार जब से सुधा बच्चे को भोपाल लेकर आई है, तब से उसे काला पत्थर (Black Stone) से बुरी तरीके से घिस रही है। दरअसल सुधा बच्चे के काले रंग को लेकर काफी परेशान चल रही थी। सुधा की बहन का कहना है कि, सुधा ने अपने बेटे का काफी इलाज़ करवाया लेकिन कोई फरक नज़र नही आया। तब किसी महिला ने सुधा को काला पत्थर (Black Stone) । सुधा को बताया गया की काला पत्थर (Black Stone) यूज करने से रंग गोरा हो जाता है। वह तब से काला पत्थर का प्रयोग काके अपने बच्चे के साथ अत्याचार कर रही। सुधा की बहन शोभना से बच्चे पर हो रहा टॉर्चर बर्दाश नही हुआ जिसकी वजह से उसने पुलिस को बताया और चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर बचे ककी जान बचाई। असल में वह काला पत्थर बच्चे के शरीर पर जख्म पैदा कर रहा था। सुधा द्वारा अब बच्चे पर काला पत्थर का प्रयोग आब नही होगा। बचे को हमीदिया (Hamidiya) अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद बच्चा चाइल्ड लाइन को सौंप दिया जा चुका है।