* एक-दो पेड़ नहीं, पूरा जंगल ही खड़ा कर दिया
* वृक्षारोपण के लिए अपनाई मियाविकी पद्धति
रिपोर्ट : प्रेम कंडोलिया
अहमदाबाद 17 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। हमारे देश के युवाओं में आईएएस और आईपीएस बनने को लेकर काफी उत्साह होता है। यह बात और है कि कई युवा केवल सपने देखते हैं, उन्हें साकार करने के लिए मेहनत नहीं करते, तो कई युवा ऐसा भी होते हैं, जो इस कठिन लक्ष्य को हासिल करके ही दम लेते हैं। आईएएस और आईपीएस अधिकारी बनने का अपना एक महत्व है, क्योंकि ये दोनों ही पद समाज में बहुत ही प्रतिष्ठित कहलाते हैं, परंतु इन दोनों ही पदों में आई यानी इंडियन (भारतीय), ए यानी एडमिस्ट्रेशन (प्रशासनिक), पी यानी पुलिस और एस यानी सर्विस (सेवा)। इसका अर्थ यह हुआ कि जो आईएएस अधिकारी बनता है, वह भारत के लिए प्रशासनिक सेवा के काम में जुट जाता है और जो आईपीएस अधिकारी बनता है, वह भारत की कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर डट जाता है।
परंतु इन सबके बीच भारत में कई ऐसे आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी हैं, जो आईएएस के ए और आईपीएस के पी शब्द को एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस तक सीमित नहीं रखते हैं और अपने मूल कर्तव्य का निर्वहन करते हुए देश और समाज की ऐसी अनूठी सेवा की अलख जगाते हैं, जो न केवल उनके समकक्ष अन्य अधिकारियों, अपितु देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा बन जाती है। ऐसी ही एक आईपीएस अधिकारी हैं सुधा पांडे, जो जिन्होंने आईपीएस में शामिल P को पुलिस तक सीमित न रखते हुए उसे पर्यावरण तक विस्तार दिया और ऐसा काम कर रही हैं, जिसके चलते उन्हें पर्यावरण सुधा कहने को मन करता है।

सुधा पांडे गुजरात कैडर की 2005 की आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में अहमदाबाद में गुजरात राज्य रिज़र्व पुलिस बल (SRPF) GROUP 2 में कमांडेंट के रूप में कार्यरत् हैं। आईपीएस सुधा पांडे ने पिछले कुछ दिनों से एक विशेष अभियान छेड़ा हुआ है। यह अभियान उनकी ड्यूटी से इतर पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। एसआरपीएफ समूह 2 के अहमदाबाद में सैजपुर-नरोडा स्थित कैम्प में सुधा पांडे के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस अभियान के तहत मात्र 23 दिनों में पूरा जंगल खड़ा कर दिया गया। एसआरपीएफ जवानों ने सुधा पांडे के नेतृत्व में 23 दिनों में पूरे 1100 पौधे लगाए और इसके लिए मियावाकी पद्धति का उपयोग किया गया।
क्या है मियावाकी पद्धति ?

आम तौर पर वृक्षारोपण की बात आने पर लोग 10 से 15 फीट के अंतर पर एक पौधा लगाते हैं, परंतु मियावाकी पद्धति के तहत 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में 9 से 12 पौधे लगाए जा सकते हैं। मियावाकी पद्धति के जनक हैं जापान के विख्यात वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी। मियावाकी ने इसी पद्धति से जापान में जबर्दश्त हरित क्रांति लाई थी। सुधा पांडे कहती हैं कि परम्परागत पद्धति के तहत जहाँ 100 वर्ग मीटर में 9 से 12 पेड़ लगाए जाते हैं, वहीं मियावाकी पद्धति में इतने ही क्षेत्र में 20 से 25 पौधे लगाए जा सकते हैं और उस पूरे क्षेत्र को घने जंगल में बदला जा सकता है। इस पद्धति से लगाए गए पौधे आम पौधों की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और 30 गुना घने होते हैं, जो कई गुना ऑक्सीजन देते हैं। ये पौधे 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक (जैविक) होते हैं। सुधा पांडे ने बताया कि मियावाकी पद्धति में सबसे पहले जमीन का नरीक्षण किया जाता है। मिट्टी के कण छोटे और कड़े हों, तो ज़मीन में पानी नहीं उतर पाएगा। ऐसे में जमीन में थोड़ा जैविक कचरा, थोड़ा पानी और गन्ना-नारियल के भूसे जैसी सामग्री मिला कर मिट्टी को पानी व नमी पकड़ने लायक बनाया जाता है। पेड़ को बढ़ने के लिए पानी, सूर्य प्रकाश व पोषक तत्वों की जरूरत होती है। यदि मिट्टी में पोषक तत्व न हों, तो उसमें कृत्रिम पोषक तत्व नहीं डाले जाते, बल्कि सूक्ष्म जीव डाले जाते हैं, जो जमीन में मिश्रित जैविक कचरे को खाकर जरूरी पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से उत्पन्न करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान सूक्ष्म जीवों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती है और जमीन उपजाऊ बन जाती है। ऐसी ज़मीन में एक बार पेड़ लगा देने के बाद शुरुआत में वे धीमी गति से बढ़ते हैं, परंतु जैसे ही जड़ें मजबूत होती हैं, छोटा-सा पौधा घने पेड़ में बदल जाता है।
100 वर्ष का कार्य 10 वर्ष में

आईपीएस सुधा पांडे कहती हैं कि मियावाकी पद्धति से पौधारोपण किया जाए, तो 100 वर्ष में तैयार होने वाला जंगल 10 वर्ष में तैयार हो सकता है। मियावाकी पद्धति का उपयोग आज दुनिया में केन्या, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान, अमेरिका सहित कई देश कर रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में घने जंगलों का निर्माण कर योगदान कर रहे हैं। आईपीएस सुधा पांडे के नेतृत्व में मियावाकी पद्धति से किए गए पौधारोपण के दौरान 1100 पौधे लगाए गए। इस अभियान में कैम्प में तैनात सभी जवानों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। गुजरात पुलिस महानिदेशक (DGP) शिवानंद झा ने भी आईपीएस सुधा पांडे की इस सफलता का ध्यान खींचा। झा के आदेश के बाद अब अहमदाबाद स्थित एसआरपीएफ ग्रुप 2 में तैनात पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा मियावाकी पद्धति का प्रशिक्षण भी दिया जाने लगा है।