रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 24 मई, 2019। लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-BJP) और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग-NDA) की, भव्य जीत के साथ केन्द्र की सत्ता में शानदार वापसी हुई है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘दो से दोबारा’ तक पार्टी की राजनीतिक यात्रा को स्मरण किया। उल्लेखनीय है कि 1980 में स्थापित हुई भारतीय जनता पार्टी ने 1984 में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और खाता भी खोला था।
भाजपा का राजनीतिक सफर

6 अप्रैल-1980 को भारतीय राजनीति में भाजपा का जन्म हुआ। 31 अक्टूबर-1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिसंबर 1984 में असम और पंजाब को छोड़कर लोकसभा की 514 सीटों पर चुनाव हुए। इन चुनावों में इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और हत्या के कारण कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त लहर थी। इस इंदिरा सहानुभूति लहर के बीच कांग्रेस 514 में से 404 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज करने में सफल हुई, परंतु हम यहाँ बात कर रहे हैं भाजपा के राजनीतिक सफर की। कांग्रेस के पक्ष में जबरदस्त इंदिरा सहानुभूति लहर के बीच भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाली बिल्कुल नई-नवेली पार्टी भाजपा न सिर्फ खाता खोलने में सफल हुई, बल्कि उसके दो प्रत्याशियों ने कांग्रेस के दो धुरंधर नेताओं को धूल चटा दी।
एक कमल दक्षिण में : नरसिंह राव को हराया

भाजपा के दो कमल जो 1984 के चुनाव में पहली बार खिले। वह अटल बिहारी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी नहीं थे। उनमें एक थे गुजरात के ए. के. पटेल, जिन्होंने मेहसाणा की सीट से भाजपा को जीत दिलाई और दूसरे थे चंदूपतला जंगा रेड्डी , जिन्होंने आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा लोकसभा सीट पर भाजपा का कमल खिलाया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि के. चंदूपतला जंगा रेड्डी ने 1984 में इंदिरा लहर के बीच भी कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. वी. नरसिम्हा राव को हराया था। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि 1984 के बाद यह सीट भाजपा कभी नहीं जीत पाई। के. चंदूपतला जंगा रेड्डी को यहाँ 2,63,762 वोट मिले थे और पी. वी. नरसिम्हा राव को 2,09,564 वोट मिले थे। इस प्रकार रेड्डी ने नरसिम्हा राव को 54,198 वोटों से हराया था। इसके 7 साल बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में नरसिम्हा राव नांदियाल सीट से चुनाव जीते थे।
दूसरा कमल पश्चिम में : दिग्गज कल्याण रायणका को हराया

गुजरात की मेहसाणा लोकसभा सीट से ए. के. पटेल ने 1984 में भाजपा का खाता खोला और कांग्रेस के दिग्गज नेता आर. एस. कल्याणभाई यानी रायनका सागरभाई कल्याणभाई को पराजित किया था। ए. के. पटेल को 2,87,555 और कांग्रेस के आर. एस. कल्याणभाई को 2,43,659 वोट मिले थे। इस प्रकार पटेल ने कल्याणभाई को 43,896 वोटों से हराया था। इस पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा 7.74 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल हुई थी। इसके बाद ए. के. पटेल 1989, 1991, 1996 और 1998 में भी जीते। 1999 में यहां से भाजपा के पुंजाजी ठाकुर ने जीत प्राप्त की। 2004 में यह सीट कांग्रेस के जीवाभाई पटेल ने भाजपा से छीन ली थी, परंतु 2009 में जयश्रीबेन पटेल ने फिर यह सीट भाजपा के लिये जीती और 2014 में भी वह यहाँ से सांसद बनी। 2019 में शारदाबेन पटेल यहाँ से सांसद चुनी गई हैं।
सर्वाधिक वोट प्रतिशत हासिल करने वाली पार्टी बनी भाजपा
आपको बता दें कि 1984 में 7.74 प्रतिशत वोट हासिल करके राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाली भाजपा 2019 में सर्वाधिक 54.2 प्रतिशत वोट हासिल करने वाली पार्टी बन गई है। इससे पहले 1989 में उसने 85 सीट और 11.4 प्रतिशत वोट प्राप्त किये। 1991 में 120 सीटें और 20.1 प्रतिशत वोट, 1996 में 161 सीटें और 20.3 प्रतिशत वोट, 1998 में 182 सीटें और 25.6 प्रतिशत वोट, 1999 में भी 182 सीटें और 23.8 प्रतिशत वोट, 2004 में 138 सीटें और 22.2 प्रतिशत वोट, 2009 में 116 सीटें और 18.8 प्रतिशत वोट हासिल किये। 2014 में भाजपा ने 282 सीटें प्राप्त की और 31.34 प्रतिशत वोट हासिल किये, जबकि 2019 में भाजपा की सीटें बढ़कर 303 हो गई हैं, वोट प्रतिशत 54.2 प्रतिशत हो गया है, जो अब तक का सबसे बड़ा वोट प्रतिशत है।