रिपोर्ट : तारिणी मोदी
अहमदाबाद 12 दिसंबर, 2019 (युवाPRESS)। कहा जाता है कि मानव सभ्यता से पूर्व पृथ्वी पर लगभग 5.6 खरब पेड़ थे, जो आज घटते-घटते 3 खरब पर पहुँच गए हैं। पेड़ घनत्व के अनुमान के आधार पर लगभग 15 अरब से अधिक पेड़ों की कटाई प्रति वर्ष की जा रही है। यदि हम इसी प्रकार पेड़ों को काटते रहे तो वह दिन दूर नहीं, जब पृथ्वी विनाश के गर्भ में चली जाएगी। पृथ्वी पर जीवन का सबसे बड़ा प्रमाण पृथ्वी की सतह यानी धरती पर स्थित पेड़-पौधे और वनस्पति ही हैं। उनमें भी प्राण होते हैं, वो भी श्वास लेते हैं। इतना ही नहीं, उनमें भी अनुभूति-अहसास है, उन्हें भी दर्द होता है। ये हम नहीं कह रहे, यह बात सामने आई है एक नए शोध में।तेल अवीव विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने दावा किया है कि पेड़-पौधे भी न केवल साँस लेते हैं, अपितु उन्हें नुकसान पहुँचाए जाने पर वे चीखतें हैं, कराहते हैं तथा आवाज़ें भी निकालते हैं।
इज़राइल में स्थित एक सरकारी तेल अवीव विश्वविद्यालय (Tel Aviv University) यानी TAV के शोधकर्ताओं ने टमाटर और तंबाकू के पौधों पर शोध करके यह निष्कर्ष दिया है। इस शोध में उन्होंने पाया कि पर्यावरण या किसी बाहरी दबाव के कारण पौधे भी ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इसी प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं ने टमाटर के पेड़ से 10 मीटर की दूरी पर एक माइक्रोफोन रखा और पौधे की गतिविधियों को सुनने लगे। इस प्रयोग में पाया गया कि जिन पौधों को खींचा गया या जिनकी पत्तियों को तोड़ा गया, उन सभी पौधों ने 20-100 किलोहर्ट्ज़ अल्ट्रासॉनिक फ्रिक्वेंसी उत्सर्जन की। यहाँ तक कि जब उन पौधों की पत्तियों को तोड़ा जाता, तो वे अन्य पौधों की ओर झुकते और अपना दर्द अभिव्यक्त करने का का प्रयास करते।

TAV शोधकर्ताओं ने पेड़ों की पीड़ा को समझने व अभ्यास करने के लिए 35 छोटी-छोटी मशीनें लगाईं, जिनसे लगातार पौधों पर नजर रखी गई। उनकी छोटी से छोटी हरक़त पर शोध किया गया और परिणाम यह सामने आया कि पेड़-पौधों को भी दर्द होता है और समस्या होने पर वे भी बोलते हैं। इसी प्रकार टमाटर और तंबाकू के पौधों को कई दिनों तक पानी नहीं दिया गया, जिससे उन्होंने 35 अल्ट्रासॉनिक डिस्ट्रेस साउंड क्रिएट किये। हालाँकि हम साधारण फ्रिक्वेंसी में उनके स्वर नहीं सुन सकते, इसके लिए हमें माइक्रोफोन की आवश्यकता पड़ेगी। अतः ध्यान रहे, अब जब आप किसी पौधे को उखाड़ें या किसी पेड़ को काटें या कटवाएँ, तो उससे पहले सोच लीजिएगा कि आपके ऐसा करने से उस पेड़ को पीड़ा होगी। कदाचित यह सोच आपको पेड़ को क्षति पहुँचाने से रोक देगी।