अहमदाबाद 20 मई 2019। लोकसभा चुनाव जीतने के लिये कांग्रेस झूठ पर झूठ बोलती रही, परंतु अब न सिर्फ एक एक करके उसके झूठ की परतें खुल रही हैं बल्कि अब उसे चौतरफा मार भी पड़ रही है। लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद रविवार शाम को आये EXIT POLL में उसे सबसे ज्यादा मार पड़ी। लगभग सभी एक्जिट पोल ने कुछ अपवादों को छोड़कर एक स्वर में यही कहा कि केन्द्र में मोदी की सरकार वापसी कर रही है और NDA को 300 से अधिक सीटें मिल रही हैं। वहीं कांग्रेस और उसका गठबंधन यूपीए बहुमत के इर्द-गिर्द पहुँचना तो दूर 150 सीटों के आसपास भी पहुँचता दिखाई नहीं दे रहा है।
इस प्रकार एक्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी है और पीएम मोदी को सत्ता से हटाने के उसके मंसूबों पर पानी फिर गया है। वहीं उसके लिये दूसरा सबसे बड़ा झटका यह लगा है कि प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने का भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ। उसने प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में जिस पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी थी, वहाँ से तो कोई फायदा नहीं हो रहा है, ऊपर से ऐसे अनुमान लगाये जा रहे हैं कि उसे राय बरेली और अमेठी में से अपनी कोई परंपरागत सीट से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस से खरीदे गये लड़ाकू विमान राफेल से पीएम मोदी पर हमला करना चाहा और ‘चौकीदार चोर है’ का नारा बुलंद किया, परंतु उनका यह वार भी नाकाम हो गया। ऊपर से सुप्रीम कोर्ट की फटकार सुननी पड़ी और माफी माँगनी पड़ी।

इसके बाद जब कांग्रेस ने देखा कि पीएम मोदी को पाकिस्तान में घुसकर ‘AIR STRIKE’ का चुनाव में राजनीतिक लाभ मिल सकता है तो उसने एक और झूठ बोला कि यूपीए के शासन में भी एक नहीं बल्कि 6-6 सर्जिकल स्ट्राइक हुई हैं। हालाँकि रक्षा मंत्रालय ने उसी समय कांग्रेस के इस दावे की हवा निकाल दी थी और कहा था कि यूपीए सरकार के 10 साल के शासन में सर्जिकल स्ट्राइक के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसके बाद भारतीय सेना ने भी उसके इस झूठ को नकार दिया और अब एक बार फिर भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पहली सर्जिकल स्ट्राइक 2016 में उरी में हुए आतंकी हमले के बाद की गई थी। इससे पहले सेना ने कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की।

दरअसल जम्मू निवासी रोहित चौधरी नामक व्यक्ति ने कांग्रेस के झूठ की पोल खोलने के लिये सूचना का अधिकार (RTI) के तहत भारतीय सेना के समक्ष अपील की थी और यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2004 से 2014 के दौरान हुई सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ी जानकारी माँगी थी। इस आरटीआई के जवाब में कुछ दिन पहले DGMO ने जानकारी दी थी कि पहली सर्जिकल स्ट्राइक 16 सितंबर-2016 को हुई थी। इससे साफ है कि उसके पहले कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी।
भारतीय सेना के सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने सोमवार को डीजीएमओ का बयान दोहराया और कहा कि पहली सर्जिकल स्ट्राइक 2016 में हुई थी। इससे एक बार फिर कांग्रेस के झूठ की पोल खुल गई है।
सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिये झूठ का सहारा ले रही है ? कहीं यह झूठ का मार्ग ही उसे पतन की ओर तो नहीं ले जाएगा ?