रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 2 सितम्बर, 2019 (युवाPRESS)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 49 वर्षों से विद्यार्थियों को इतिहास का ‘मनमाना’ पाठ पढ़ा रहीं रोमिला थापर से Curriculum vitae यानी CV जमा कराने को कहा गया है। 75 वर्षीय थापर से सीवी मांगते ही देश का ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग फिर सक्रिय हो गया और उसने न आव देखा-न ताव, मोदी सरकार पर धावा बोल दिया। जेएनयू प्रशासन ने अपनी कार्यप्रणाली के अंतर्गत और नियमों के अधीन ही थापर से सीवी मांगा, परंतु देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों, वामपंथी विचारधारा के बोझ तले दबे तथा भारत की समृद्ध सनातनी संस्कृति के अल्पज्ञानियों को जेएनयू के इस निर्णय से लोकतंत्र पर संकट दिखाई दिया और देखते ही देखते जेएनयू की यह सीधा-सादा कार्यवाही विवादों में घिर गई।
ट्विटर पर भी आज #RomilaThapar ट्रेंड करने लगा, जिस पर कई लोग थापर से सीवी मांगने को सही बता रहे हैं, कई लोग थापर पर भारतीय पौराणिक-प्राचीन संस्कृति, भव्य हिन्दू इतिहास, धर्म-परम्पराओं का निरंतर विरोध करने को लेकर हमला कर रहे हैं, तो चंद लोग ऐसे भी हैं, जो थापर से सीवी मांगने को ग़लत ठहरा रहे हैं। ट्विटर पर ही एक ऐसा मज़ेदार ट्वीट भी सामने आया, जिसमें भगवान राम और रोमिला थापर के बीच श्रेष्ठतम् तुलना की गई। इस ट्वीट में कहा गया, ‘आप भगवान राम के जन्म प्रमाण पत्र के बारे में पूछ सकते हैं, पर रोमिला थापर से सीवी मांगने की हिम्मत नहीं कर सकते !’
क्या है पूरा मामला ?

जेएनयू प्रशासन ने प्रसिद्ध इतिहास रोमिला थापर से उनका सीवी मांगा है, ताकि जेएनयू यह सुनिश्चित कर सके कि उनकी सेवाओं को आगे जारी रखना है या नहीं। यद्यपि फटे में टांग अड़ाने के आदी कुछ लोगों को यह बात समझ में नहीं आई कि 49 साल से सेवा दे रहीं इतिहासकार से अब सीवी मांगने की आवश्यकता क्यों पड़ी ? थापर 1970 से जेएनयूए से जुड़ी थीं और 1992 तक प्राचीन भारतीय इतिहास की प्राध्यापक रहीं। वे 1993 से पुन: जेएनयू से जुड़ीं और एमेरिट्स प्रोफेसर के रूप में सेवाएँ दे रही हैं, परंतु जेएनयू प्रशासन का कहना है कि वह 75 वर्ष की आयु पार कर चुके एमेरिट्स प्रोफेसर्स से सीवी मांगता है और इसी प्रक्रिया के तहत थापर से भी सीवी मांगा है। थापर ऐसी अकेली एमेरिट्स प्रोफेसर नहीं हैं, जिनसे सीवी मांगा गया हो। और भी प्रोफेसर हैं, जो 75 साल की आयु पार कर चुके हैं, उनसे भी सीवी मांगा गया है। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि थापर को लिखे पत्र में उनकी सेवा को समाप्त करने की बात नहीं की गई है। दूसरी तरफ थापर ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें जुलाई में पत्र मिला था। यद्यपि थापर ने जेएनयू प्रशासन के पत्र मांगने पर नाख़ुशी ज़ाहिर की थी और पत्र के जवाब में लिखा था, ‘यह जीवन भर का सम्मान है।’ थापर की ही तरह जेएनयू शिक्षक संघ (JNUTA) का भी कहना है कि थापर से सीवी मांग कर उनका अपमान करने का प्रयास किया गया है। जेएनयूटीए का आरोप है कि थापर वर्तमान प्रशासन की आलोचक हैं, इसीलिए उनसे सीवी मांगा गया है। ऐसे में जेएनयू प्रशासन को थापर से माफी मांगनी चाहिए।