देश में जातीय हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। मुख्यतः यह हिंसा ऊंच-नीच के आधार पर होती है। लेकिन नए साल के पहले दिन महाराष्ट्र के पुणे के नजदीक कोरेगांव इलाके में हुई हिंसा (Bhima-Koregaon Violence) इतिहास को लेकर हुई। बता दें कि इस हिंसा ने पूरे महाराष्ट्र को अपनी चपेट में ले लिया है और जगह-जगह पथराव और चक्का जाम की खबरें सुनने को मिल रही हैं। गौरतलब है कि दलित संगठनों ने आज मुंबई में बंद का ऐलान किया है, जिससे देश की आर्थिक राजधानी एक तरह से थम गई है। वहीं महाराष्ट्र के कई शहरों में धारा 144 लागू कर दी गई है। बहरहाल ये तो बात हुई हिंसा के बाद के प्रभाव की, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरेगांव की हिंसा किस कारण हुई और दलितों के लिए कोरेगांव का क्या महत्व है। नहीं, तो आइए जानते हैं इतिहास के इस पन्ने (Battle of Koregaon) की कहानी।
मराठा काल की घटना
जैसा कि सभी जानते हैं कि ऊंच-नीच की भावना हमारे समाज में पुराने समय से ही रही है। मराठा काल में दलितों का एक वर्ग, जिसे महार के नाम से जाना जाता था, अछूत माना जाता था। जिस कारण महार एक तरह से हाशिए पर धकेल दिए गए। इसी बीच अंग्रेज शासक मराठा राज्य पर हमला करने की योजना बना रहे थे। मराठा राज्य उस वक्त काफी शक्तिशाली था, ऐसे में अंग्रेजों ने महारों को मराठा राज्य के खिलाफ भड़काकर अपने साथ मिला लिया। हालांकि महार अछूत माने जाते थे, लेकिन कहा जाता है कि दलितों का यह वर्ग काफी बहादुर और निडर था। यही वजह है कि 1 जनवरी 1818 को जब बहादुर महारों ने अंग्रेजों के साथ मिलकर मराठों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, तो कहा जाता है कि 500 महार और अंग्रेजों के सैंकड़ों सैनिक मराठों की कई हजार की सेना पर भारी पड़े थे। जिस कारण मराठों को इस युद्ध (Battle of Koregaon) में हार झेलनी पड़ी थी।
मराठा और अंग्रेजों के बीच यह लड़ाई मौजूदा पुणे के नजदीक स्थित गांव कोरेगांव में भीमा नदी के किनारे लड़ी गई थी। महारों के अदम्य साहस से खुश होकर ही अंग्रेजों ने कोरेगांव में एक स्मारक का निर्माण कराया था। बता दें कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हर साल 1 जनवरी के दिन इस स्मारक पर आते थे। अब भी हर साल इस स्मारक पर 1 जनवरी के दिन बड़ी संख्या में दलित लोग जुटते हैं।
Bhima Koregaon Violence का कारण
भीमा-कोरेगांव के स्मारक पर हर साल दलित संगठनों के लोग जमा होते हैं। लेकिन इस साल Battle of Koregaon को 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यहां बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। कई दलित संगठनों ने इस दौरान कुछ कार्यक्रम भी आयोजित कराए, जिसमें गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी, जेएनयू विवाद से सुर्खियों में आए उमर खालिद, डॉ. भीमराव अंबेडकर के भतीजे डॉ. प्रकाश अंबेडकर सहित कई लोग मौजूद थे। बता दें कि कोरेगांव के स्मारक के आस-पास के गांवों मे मराठी लोगों की अधिकता है। यही वजह रही कि इस बार स्थिति तनावपूर्ण रही और हिंसा भड़क गई। हालांकि हिंसा भड़कने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल सका है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अभी तक की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं। वहीं प्रदर्शनकारियों ने सैंकड़ों वाहनों को आग लगा दी और कई सड़कों पर जाम लगा दिया। फिलहाल स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और सरकार और पुलिस प्रशासन मामले पर पैनी नजर रखे हुए हैं।