‘भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूँ कि अंधेरा छँटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।’ यह शब्द है अटल बिहारी वाजपेयी के, जो उन्होंने ठीक 39 वर्ष पहले 6 अप्रैल, 1980 को कहे थे। अटलजी जिस पश्चिमी घाट और महासागर की बात कर रहे थे, वह था मुंबई का समुद्री तट, जहाँ अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई थी और वाजपेयी ने भाजपा की ओर से पहला भाषण दिया था। भाषण के अंत में वाजपेयी ने कमल खिलने की भविष्य वाणी की थी, जो ठीक 34 साल बाद 2014 में सही साबित हुई।

पहले चुनाव में सिर्फ 2 सीटें, वाजपेयी की हार
जनसंघ के रूप में सत्ता तक पहुँच चुके नेताओं ने जब भाजपा की स्थापना की, तब उनमें कितना जोश रहा होगा। इसी जोश, उत्साह और उमंग के साथ भाजपा लोकसभा चुनाव 1984-85 में उतरने को आतुर थी, परंतु अचानक देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई और पूरे देश में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति लहर दौड़ गई। ऐसे में जहाँ अच्छी-अच्छी पार्टियों का सफाया हो गया, भला चार साल पुरानी भाजपा को क्या हासिल होता? इसके बावजूद भाजपा ने 2 सीटें जीतीं, परंतु वाजपेयी सहित सभी बड़े नेता चुनाव हार गए। जो दो नेता जीते, उनमें एक गुजरात की मेहसाणा सीट से डॉ. ए. के. पटेल थे, तो दूसरे आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा सीट से चंदूपटिया जगन रेड्डी।

1889 : 85 पर पहुँची भाजपा पहली बार सत्ता में भागीदार
लोकसभा चुनाव 1989 में भाजपा ने राजीव गांधी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए वी. पी. सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल से गठबंधन किया और इस चुनाव में भाजपा 85 सीटें जीत कर राजीव सरकार को हटाने में सफल रही। स्थापना के 5 साल के भीतर ही भाजपा केन्द्र की सत्ता में भागीदार बन गई, परंतु वी. पी. सिंह की सरकार ज्यादा दिन चली नहीं।

1991 : आडवाणी बने नायक, 120 पर पहुँची भाजपा
फिर भाजपा ने राम मंदिर को मुद्दा बनाया और लालकृष्ण आडवाणी नायक बन कर उभरे। उन्होंने राम रथयात्रा निकाली। हिन्दुओं का ध्रुवीकरण हुआ और दो ही साल में पुनः आए लोकसभा चुनाव 1991 में भाजपा की सीटें बढ़ कर 120 पर पहुँच गई, लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी। हालाँकि संसद में भाजपा मुख्य विपक्ष बनने में सफल रही। यह सरकार 5 वर्ष चली।

1996 : 161 पर पहुँच पहली बार बनाई सरकार
लोकसभा चुनाव 1996 में वाजपेयी की 6 अप्रैल, 1980 वाली भविष्यवाणी कुछ हद तक सही साबित हुई और भाजपा 161 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी। भाजपा ने पहली बार केन्द्र में सरकार बनाई और वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। हालाँकि बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण वाजपेयी सरकार 13 दिनों में ही गिर गई। विपक्षी दलों ने जो महामिलावटी सरकार बनाई, वह भी दो साल ही चली और देश पर फिर चुनाव थोप दिया गया।
1998 : 182 सीटें जीत कर वाजपेयी दूसरी बार बने पीएम
लोकसभा चुनाव 1998 में भाजपा ने अकेले 182 सीटें जीतीं। इस बार उसने नई पार्टियों को अपने साथ जोड़ा। वाजपेयी की कुशलता के चलते भाजपा के नेतृत्व में एनडीए का गठन हुआ और वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, परंतु यह सरकार भी जयललिता के समर्थन वापस ले लेने के कारण 13 महीनों में ही गिर गई और देश एक वर्ष बाद ही चुनावी समर में चला गया।
1999 : तीसरी बार प्रधानमंत्री बने वाजपेयी और पूरा किया कार्यकाल
लोकसभा चुनाव 1999 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए बड़ी शक्ति के रूप में उभरा। अकेले भाजपा को फिर एक बार 182 सीटें मिलीं और वाजपेयी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। इस बार वाजपेयी ने पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।

2004 और 2009 : भाजपा सत्ता से बाहर
लोकसभा चुनाव 2004 में भाजपा को करारा झटका लगा। वाजपेयी सरकार की वापसी की तमाम संभावनाओं के बावजूद भाजपा को इस चुनाव में केवल 138 सीटें ही मिलीं और वह सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस ने अपने नेतृत्व में यूपीए का गठन किया और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया। लोकसभा चुनाव 2009 में भी भाजपा को लगा कि अब वह सत्ता में वापसी कर लेगी, परंतु जनता ने केवल 116 सीटें ही दीं और फिर एक बार यूपीए ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई।

2014 : मोदी के नेतृत्व में सही सिद्ध हुई अटलजी की भविष्यवाणी
लोकसभा चुनाव 2014 आने तक भाजपा में बहुत कुछ बदल चुका था। वाजपेयी सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे। 2004 और 2009 में मिली विफलता से आडवाणी का नेतृत्व सवालों के घेरे में था, तो दूसरी तरफ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद लगातार बढ़ता गया और पार्टी को उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2014 में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर विवश हो जाना पड़ा। अनेक अंतर्विरोधों के बावजूद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया। राजनाथ का निर्णय और मोदी का परिश्रम रंग लाया और अटलजी की 34 साल पहले की गई भविष्यवाणी 2014 में पूर्ण रूप से सफल हुई, क्योंकि भाजपा का कमल पूर्ण रूप से खिला यानी भाजपा को 282 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत मिला। इसके बाद मोदी प्रधानमंत्री बने। फिर अमित शाह भाजपा अध्यक्ष बने और आज दोनों के नेतृत्व में कई राज्यों तक भाजपा का विस्तार हो चुका है।
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