रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 1 दिसंबर, 2019 (युवाPRESS)। सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्युरिटी फोर्स (BSF) का 1 दिसंबर 2019 को 55वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा के लिये बीएसएफ का गठन किया गया था। तब से लेकर अभी तक इस बल ने देश की सीमाओं को न सिर्फ सुरक्षित रखा है, बल्कि सीमाओं पर होने वाली तस्करी, घुसपैठ व अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी भी निभाई है। बीएसएफ भारत का एक प्रमुख अर्द्ध सैनिक बल है और दुनिया का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है।
संयुक्त राष्ट्र के नियमानुसार सीमा की सुरक्षा के लिये सेना को तैनात नहीं किया जा सकता है। सेनाएँ केवल युद्ध लड़ने, आपातकालीन परिस्थितियों में ही सीमा पर तैनात की जा सकती हैं। इसलिये विभिन्न सीमावर्ती राज्यों में पुलिस को सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालाँकि पुलिस के पास सीमा पर उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिये न तो पर्याप्त अनुभव था और न ही अस्त्र-शस्त्र। ऐसे में 5 अप्रैल 1965 को पाकिस्तान ने गुजरात की कच्छ सीमा पर सरदार पोस्ट, छार बेट और बेरियाबेट पर हमला बोल दिया। इस हमले ने पुलिस की असमर्थता की पोल खोल दी और तब तत्कालीन सरकार ने सीमाओं की सुरक्षा के लिये एक विशिष्ट प्रशिक्षित और सक्षम सुरक्षा बल गठित करने की जरूरत महसूस की। सचिवों की समिति की सिफारिशों के आधार पर 1 दिसंबर 1965 को सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्युरिटी फोर्स का गठन हुआ और पुलिस अफसर के.एफ. रुस्तमजी को बीएसएफ के प्रथम महा निदेशक बनने का गौरव प्राप्त हुआ। अभी आईपीएस विवेक कुमार जोहरी बीएसएफ के महानिदेशक हैं।
BSF में हैं 188 बटालियन और 2.4 लाख जवान
बीएसएफ पाकिस्तान से सटी देश की पश्चिमी सीमा के साथ-साथ पूर्वी सीमा पर भी बांग्लादेश और नेपाल सहित विविध मोर्चों पर चौबीसों घण्टे सजग प्रहरी के रूप में देश की सुरक्षा की कमान सँभाल रही है। पुलिस और सेना के जवानों को मिला कर 25 बटालियनों के साथ शुरू हुए इस बल में वर्तमान में 188 बटालियनें और 2.4 लाख जवानों का संख्या बल है। बीएसएफ केवल सीमाओं पर तैनात रहकर सीमाओं की रखवाली ही नहीं करता है, बल्कि जम्मू कश्मीर में बार-बार सीज़फायर का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान जैसे पड़ोसी को उसी की भाषा में मुँहतोड़ जवाब भी देता है।
बांग्लादेश को पाकिस्तान से BSF ने दिलाई आज़ादी
1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में पाकिस्तान से आज़ाद होने की माँग बुलंद हुई थी और पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तानियों की बगावत को दबाने के लिये सैन्य कार्यवाही की थी, तब बीएसएफ ने पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति वाहिनी सेना के साथ मिल कर पश्चिमी पाकिस्तान की सेना को उल्टे पाँव खदेड़ कर अपनी बहादुरी और शौर्य का पहला परिचय दिया था। इतना ही नहीं बीएसएफ ने बांग्लादेश की सरकार गठन में भी अहम भूमिका निभाई थी। उनका संविधान भी तैयार किया है और उनका जो राष्ट्रीय ध्वज है, वह भी बीएसएफ का ही चुना हुआ है। इसके बाद पाकिस्तान के साथ 1999 में हुए अघोषित कारगिल युद्ध के दौरान भी बीएसएफ ने अपनी बहादुरी से दुश्मनों के दाँत खट्टे किये थे।
समय के साथ बढ़ीं BSF की जिम्मेदारियाँ
समय के साथ बीएसएफ की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती गईं। बीएसएफ का नारा है ‘जीवन पर्यंत कर्तव्य।’ अर्थात् आजीवन कर्तव्य निभाना। अपने इस सिद्धांत को बीएसएफ बखूबी निभाता चला आ रहा है। सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ सीमाओं पर सीमा पार से होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाना, अवैध गतिविधियों को रोकना। सीमावर्ती गाँवों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा, सीमा पार होने वाली खुफिया सूचनाएँ जुटाना। आवश्यकता पड़ने पर आक्रामक कार्यवाही करने के अलावा प्राकृतिक आपदाओं में राहत-बचाव का काम करना तथा विभिन्न परिस्थितियों में देश के अंदर त्यौहारों और उत्सवों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस की मदद करना जैसी कई जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करता है बीएसएफ।
BSF के पास अपना महिला विंग भी है
बीएसएफ भारत का एक मात्र ऐसा सशस्त्र बल भी है, जिसके पास अपना हवाई विंग, समुद्री विंग और आर्टिलरी विंग है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के ऑपरेशनों के लिये संचार और सूचना तकनीक, इंजीनियरिंग, कानूनी और प्रशासनिक तकनीक, चिकित्सकीय तथा हथियारों से संबंधित सहायता तकनीक भी है। बीएसएफ की तीन बटालियन राष्ट्रीय आपदा शमन बल में कार्यरत् रहती हैं। यह तीनों बटालियन पूर्वोत्तर में कोलकाता, पटना और गोवाहाटी में स्थित हैं, जहाँ लगभग हर मौसम में कोई न कोई प्राकृतिक आपदा आती है। यह तीनों बटालियन भी अन्य बटालियनों की तरह ही अत्याधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और साजो-सामान से सुसज्जित हैं। बीएसएफ के पास गुजरात और राजस्थान में रेगिस्तानी सीमाओं की सुरक्षा के लिये कैमल (ऊँट) विंग तथा सुरक्षा जाँच के लिये डॉग विंग भी हैं। इसके अलावा अब महिला विंग भी है। देश में सबसे अस्थिर कहलाने वाली पश्चिमी यानी भारत-पाकिस्तान सीमा पर 100 से अधिक महिला सिपाहियों को तैनात किया है। जबकि भारत-बांग्लादेश सीमा पर लगभग 60 महिला कॉन्स्टेबल तैनात किये हैं। विभिन्न चरणों में सीमा पर 595 महिला सिपाहियों को पुरुष जवानों के समकक्ष तैनात करने की योजना है।
पीएम मोदी ने BSF को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बीएसएफ के 55वें स्थापना दिवस पर बीएसएफ के जवानों तथा उनके परिवारजनों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ त्रुटिहीन सेवा का उदाहरण पेश करता है। हमें बीएसएफ पर गर्व है।