बुंदेलखंड में पानी की कमी का पुराना इतिहास है, लेकिन पिछले कुछ समय से यहां सूखे की समस्या गंभीर हो गई है। हालात ये हो गए हैं कि लोगों का यहां से पलायन शुरु हो गया है। इंसान तो पलायन कर अपनी दिक्कतों का कुछ हद तक समाधान कर पा रहे हैं, लेकिन यहां के मवेशी और जानवर इसमें फंस गए हैं।
भूखा-प्यासा मरने को मजबूर जानवर
दरअसल अब बुंदेलखंड में ये हो रहा है कि लोग यहां से पलायन कर रहे हैं, लेकिन अनुपयोगी मवेशियों को यहीं खुला छोड़कर जा रहे हैं। इसका परिणाम ये हो गया है कि हजारों मवेशी अब बुंदेलखंड में खुले घूम रहे हैं। दुख की बात ये है कि बुंदेलखंड में इन मवेशियों को पीने के पानी और चारे की भारी कमी हो रही है, जिससे कई मवेशी भूख-प्यास से तड़पकर दम तोड़ चुके हैं। वहीं कई मवेशी हाइवे पर आकर वाहनों की चपेट में आकर मर रहे हैं।
ऊपर से इन मवेशियों को आस-पास के लोगों और प्रशासन का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। बता दें कि ये मवेशी खुले घूमते हुए अब तक कई किसानों की फसलों को चट कर चुके हैं। इस कारण अब बुंदेलखंड के अलग-अलग जिलों के किसान इन मवेशियों को अपनी सीमा में घुसने नहीं दे रहे हैं। वहीं प्रशासन भी इनके लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल पा रहा है, लेकिन इन सारी समस्याओं के बीच मवेशियों को भुगतना पड़ रहा है और बेचारे जानवर तड़प-तड़पकर मरने को अभिशप्त हो गए हैं। परेशान करने वाली बात ये है कि अभी सर्दियों में ये हाल है तो गर्मियों के मौसम की तो सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।
बुंदेलखंड के लोग जिम्मेदार
किसी जमाने में बुंदेलखंड के 41 % भाग पर घने जंगल हुआ करते थे। साथ ही इस इलाके में कुओं, तालाबों की भरमार थी। लेकिन इंसानी लोभ के कारण आज बुंदेलखंड सूखाग्रस्त हो गया है। बता दें कि आज बुंदेलखंड में सिर्फ 10-12 % भाग पर ही जंगल है। तालाबों, कुओं को भी पाट दिया गया है। ट्यूबवेल और हैंडपंप के इस्तेमाल ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी और आज हालात सभी के सामने हैं !
गौरतलब है कि ये समस्या आज तो बुंदेलखंड के मवेशियों के लिए समस्या बन गई है। लेकिन जिस तरह से भारत में जल संरक्षण के काम को अनदेखा किया जा रहा है और पानी का निर्मम तरीके से दोहन हो रहा है। उससे आशंका है कि ये समस्या आने वाले दिनों में पूरे भारत को परेशान करने वाली है और उस समय की कल्पना ही रोंगटे खड़े करने वाली है !