रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 7 सितंबर, 2019 (युवाPRESS)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्र मिशन विफल नहीं हुआ, बल्कि सफल रहा है। लैंडर विक्रम की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं होने से इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को मात्र 5 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। चंद्रयान-2 मिशन 95 प्रतिशत सफल रहा है और इसरो ने इस मिशन के ऑर्बिटर को इसकी तय कक्षा में स्थापित कर दिया है, जो अब एक साल नहीं, बल्कि पूरे 7 साल तक काम करेगा। इस बीच यह ऑर्बिटर इसरो को चांद से जुड़ी तमाम जानकारियाँ आँकड़ों के माध्यम से उपलब्ध कराएगा।
लैंडर विक्रम की हुई क्रैश लैंडिंग

शनिवार देर रात 1.38 बजे इसरो ने चंद्रयान-2 यानी लैंडर विक्रम को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने की प्रक्रिया शुरू की थी। यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक शुरू हुई, परंतु जब लैंडर विक्रम चांद की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर दूर था, तभी वह किसी कारण से रास्ता भटक गया और उसका पृथ्वी पर स्थित इसरो के कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया।
इसके बाद इसरो का मानना है कि लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर क्रैश लैंडिंग की है और ऑर्बिटर को रुक-रुक कर उसके सिग्नल मिल रहे हैं, इससे ऐसा लगता है कि कदाचित लैंडर विक्रम से जल्द ही संपर्क स्थापित हो जाएगा। हालाँकि वह काम करने की स्थिति में है और रोवर प्रज्ञान को बाहर निकालने की स्थिति में है या नहीं ? इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, परंतु इसरो की ओर से लैंडर से संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी हैं और आगे भी जारी रखे जाएँगे। इसके अलावा चूँकि ऑर्बिटर लैंडर विक्रम से विपरीत दिशा में चक्कर लगा रहा है, इसलिये उसे भी लैंडर विक्रम तक पहुँचने में समय लगेगा, परंतु जैसे ही वह लैंडर के निकट पहुँचेगा तो उसके हाई रिजोल्यूशन कैमरों से लैंडर की स्पष्ट तस्वीर इसरो को मिल जाएगी। लैंडर की वास्तविक स्थिति का पता चलने के बाद इस पर आगे का काम किया जाएगा।
ऑर्बिटर से मिलेगी चांद की जानकारी

इसरो का कहना है कि उसने ऑर्बिटर को उसकी तय कक्षा में स्थापित कर दिया है और यह लगातार चांद की परिक्रमा कर रहा है। इससे मिलने वाले आँकड़ों से चांद की उत्पत्ति, उस पर मौजूद खनिज और पानी के अणुओं की भी जानकारी मिल जाएगी। इसलिये इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को विफल कहना सही नहीं है और यह मिशन पूरी तरह से सफल रहा है। इसरो के अनुसार ऑर्बिटर में उच्च तकनीक वाले 8 वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए हैं, ऑर्बिटर में लगा कैमरा चांद के मिशन पर गये सभी अभियानों में अब तक का सबसे अधिक रेजोल्यूशन वाला है। इस कैमरे से आने वाली तस्वीरें उच्च कोटि की होंगी और दुनिया की वैज्ञानिक बिरादरी भी इनका इच्छित लाभ उठा सकेगी। इसरो के अनुसार ऑर्बिटर पहले के अनुमान से अधिक 7 साल तक काम करने में भी सक्षम है। चंद्रयान के हर चरण के लिये सफलता का मापदंड निर्धारित किया गया था और अब तक 90 से 95 प्रतिशत तक मिशन के लक्ष्य को हासिल करने में सफलता मिली है। इसलिये मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता। इसरो के अनुसार लैंडर से अब तक संपर्क स्थापित नहीं हुआ है, परंतु चंद्रयान-2 चंद्र विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान देता रहेगा।