हाल ही में नेपाल में आम चुनाव हुए हैं। इन चुनावों में नेपाली माओवादी पार्टियों ने धमाकेदार जीत हासिल की है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम यहां नेपाल चुनाव की चर्चा क्यों कर रहे हैं। दरअसल नेपाल में जीतने वाली माओवादी पार्टी China समर्थक मानी जाती है। इससे पहले भी जब नेपाल में माओवादी सरकार सत्ता में थी, तब नेपाल में चीन का प्रभाव काफी बढ़ गया था। ऐसे में एक बार फिर से नेपाल की सत्ता में माओवादियों की वापसी भारत के लिए परेशानी बढ़ाने वाली है।
वैसे यह बात जगजाहिर है कि चीन, रणनीतिक रुप से भारत को घेरने की कोशिश में लगा है। माना जा रहा है कि नेपाल में माओवादियों की जीत में भी चीन का हाथ है। लेकिन गौर करने वाली बात है कि भारत के लिए खतरा सिर्फ नेपाल की ओर से ही नहीं बढ़ रहा है, बल्कि चीन भारत को चारों ओर से घेरने की रणनीति बना रहा है।
String of Pearls
दरअसल चीन, भारत के खिलाफ अपनी String of Pearls नीति के तहत काम कर रहा है। इस नीति के तहत चीन, भारत को हिंद महासागर में घेरने की कोशिश कर रहा है। चीन भारत के कई पड़ोसी देशों में अपने सैन्य और नौसैन्य अड्डे स्थापित कर रहा है, ताकि युद्ध के हालात में चारों ओर से भारत पर हमला कर सके। ऐसे देशों में श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान शामिल हैं। चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का अधिग्रहण भी अपनी स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स योजना के तहत किया है। हालांकि ये अधिग्रहण व्यापार के लिए किए गए हैं, लेकिन इसके सामरिक (Defence) उद्देश्य ज्यादा बड़े हैं।
Pakistan के नापाक मंसूबे
चीन, पाकिस्तान के साथ मिलकर भी भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है। इंडिया टुडे की एक खबर के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान में भारत-पाक सीमा पर कई बंकर बनाए हैं। वहीं काफी संख्या में चीनी सैनिक भी भारत-पाक सीमा पर तैनात किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि भारत और पाकिस्तान में युद्ध होता है तो चीन, पाकिस्तान के समर्थन में युद्ध में उतर सकता है और यह स्थिति भारत के लिए काफी खतरनाक होगी।
हालांकि भारत सरकार ने भी अब इस दिशा में काम करना शुरु कर दिया है और चीन के संभावित हमले को काउंटर करने के लिए हिंद महासागर में कई जगह अपने नौसैन्य अड्डे बनाना शुरु कर दिया है। लेकिन कह सकते हैं कि शायद इस ओर हमारा ध्यान काफी देर से गया है जिस कारण हम चीन से काफी पीछे हैं।