चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बावजूद सरकार ने साल 2018-19 के रक्षा बजट (Defence Budget) में मामूली बढ़ोत्तरी की है, जो कि नाकाफी है। हालांकि सरकार ने पिछले साल के मुकाबले इस बार के रक्षा बजट में 7.81 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है, लेकिन कुल जीडीपी का यह सिर्फ 1.58 प्रतिशत है।
Defence Budget का हाल
बता दें कि इससे पहले साल 1962 में भारत का रक्षा बजट कुल GDP का 1.5 प्रतिशत के करीब था। वहीं मौजूदा Defence Budget पर रक्षा विशेषज्ञों ने निराशा जाहिर की है। विशेषज्ञों का कहना है कि “चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के कारण रक्षा बजट (Defence Budget) कुल GDP का 2.5 प्रतिशत से भी ज्यादा होना चाहिए था।” बता दें कि सरकार ने रक्षा बजट के लिए 2,95,511 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जबकि पिछले बजट में यह राशि 2,74,114 करोड़ रुपए थी।
खर्च की बात करें तो 2,95,511 करोड़ में से 99,563.86 करोड़ रुपए नए हथियार खरीदने और सेना के आधुनिकीकरण के लिए रखे गए हैं। वहीं 1,95,947 करोड़ रुपए तन्ख्वाह और अन्य खर्चों के लिए रखे गए हैं।
बजट के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद को बताया कि “सरकार बॉर्डर इलाकों में कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने पर फोकस कर रही है। इसमें बॉर्डर पर कई सड़कों और सुरंगों का निर्माण शामिल है।”
सेना के आधुनिकीकरण के लिए बड़ी धनराशि की जरुरत
उल्लेखनीय है कि ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक आर्म्ड फोर्सेस ने सेना के आधुनिकीकरण के लिए अगले 5 सालों में सरकार से 26.84 लाख करोड़ यानि कि 416 बिलियन डॉलर की बड़ी धनराशि की मांग की है। लेकिन मौजूदा Defence Budget में सरकार ने इस दिशा में निराश किया है।