रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष में एक बार फिर आत्मनिर्भता के महत्व को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल में अग्रणी भारतीय नौसेना को यह प्रयास जारी रखना चाहिए और देश को समुद्री व्यापार, सुरक्षा और राष्ट्रीय समृधि सुनिश्चित करने वाला बने रहना चाहिए। रक्षामंत्री ने नई दिल्ली में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत की समुद्री विशेषता और इसकी महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक स्थति की इसके विकास में बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि व्यवस्था में शामिल 41 पोतों और पनडुब्बियों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया गया है। उन्होंने समुद्री सुरक्षा और देश के समुद्री हितों के लिए समर्पण और पेशेवर तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए समुद्री योद्धओं की सराहना की।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना ने मिशन आधारित तैनाती के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में विश्वसनीय और प्रभावी मौजूदगी दर्शाई है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने सैन्य कूटनीतिक प्रगति में कई पहल की हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना, विदेशी नौ सैनिकों को भारत में प्रशिक्षण भी दे रही है। उन्होंने कहा कि पिछले चार दशकों में 45 से अधिक देशों के 19 हजार से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है।