इजरायल और फलस्तीन के बीच तनाव जगजाहिर है। आए दिन दोनों देश आमने-सामने खड़े दिखाई देते हैं। अब एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका बढ़ गई है, लेकिन इस बार यह तनाव पूरी दुनिया में दिखाई दे रहा है, दरअसल मुद्दा ही कुछ ऐसा है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बयान आया है कि “वह जल्द ही येरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे सकते हैं।” ट्रंप की ओर से आए बयान की वजह से अरब देशों के साथ ही कई देशों ने अमेरिका को ऐसा ना करने की हिदायत दी है, वरना हालात काफी हद तक बिगड़ने की संभावना है।
येरुशलम का इतिहास
येरुशलम दुनिया के 3 बड़े धर्मों का शुरुआती स्थल है। ये धर्म हैं, इस्लाम धर्म, यहूदी धर्म और ईसाई धर्म। इस शहर में इन तीनों ही धर्मों के अहम धर्म स्थल भी मौजूद हैं। यही कारण है कि तीनों ही धर्मों के लिए यह शहर बेहद खास है। बता दें कि इजरायल के निर्माण के बाद येरुशलम शहर को आजाद शहर के तौर पर मान्यता दी गई। जिसमें से पश्चिमी येरुशलम शहर पर इजरायल का प्रभाव रहा, वहीं पूर्वी येरुशलम पर फलस्तीन का कब्जा रहा और एक हिस्से पर जॉर्डन का कब्जा था। लेकिन 1967 के युद्ध में इजरायल ने अरब देशों को हराकर पूरे येरुशलम पर कब्जा कर लिया, लेकिन आज भी फलस्तीन, शहर के पूर्वी हिस्से पर अपना अधिकार मानता है। फलस्तीन के लोगों का मानना है कि जब भविष्य में वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को फलस्तीन में मिलाया जाएगा तो इसकी राजधानी पूर्वी येरुशलम को बनाया जाएगा।
क्या है विवाद
मौजूदा समय में येरुशलम पर इजरायल का कब्जा है लेकिन यहां इजरायल और फलस्तीनी दोनों देशों के लोग रहते हैं। फलस्तीन के लोगों के पास इजरायल की नागरिकता नहीं है और वो येरुशलम के सिर्फ निवासी हैं। येरुशलम की 64 फीसदी आबादी यहूदी, 35 फीसदी आबादी अरबी और एक फीसदी आबादी अन्य धर्मों को मानने वाले लोगों की है। इजरायल और फलस्तीन दोनों ही देश येरुशलम पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। यही वजह है कि इजरायल के येरुशलम को अपनी राजधानी बनाने की कोशिशों का अरब जगत के साथ ही पूरी दुनिया में विरोध हो रहा है। सभी देशों का मानना है कि यह मुद्दा दोनों ही देशों को बातचीत के जरिए ही सुलझाना चाहिए।
ट्रंप ने दी विवाद को हवा
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह राष्ट्रपति चुने जाने पर येरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करेंगे। यही वजह है कि अब डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस वादे को पूरा करने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। गौरतलब है कि फिलहाल सभी देशों की एम्बेसी इजरायल के तेल अवीव शहर में स्थित हैं। लेकिन इजरायल की सरकार येरुशलम से संचालित होती है। ऐसे में इजरायल की कोशिश है कि दुनिया येरुशलम को इजरायल की राजधानी माने और अपनी एम्बेसी येरुशलम में शिफ्ट करें। अब अमेरिका अपनी एम्बेसी येरुशलम शिफ्ट कर सकता है, जिसके बाद अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं। जिसके बाद येरुशलम पर इजरायल का दावा मजबूत हो जाएगा और यही वजह है कि इस घटना से एक बार फिर दुनिया में तनाव बढ़ सकता है।