लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल, 2019 को 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों के लिए होने वाला है। इसके बाद 18, 23, 29 अप्रैल, 6, 12 और 19 मई को शेष 6 चरणों में गुजरात सहित विभिन्न राज्यों में मतदान होगा। आपके राज्य में भी इन्हीं 7 दिनों में से कोई एक दिन मतदान होगा। चुनाव प्रचार अभियान में नेताओं के भाषण आपके मत को बनाने-बिगाड़ने का काम करेंगे, परंतु इसमें सबसे बड़ी भूमिका राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र की होती है।

लोकसभा चुनाव 2019 में एक तरफ विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP-बीजेपी) यानी भाजपा है, तो दूसरी तरफ भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस। सत्ता में लौटने को आतुर कांग्रेस घोषणा पत्र जारी करने के मामले में भाजपा आगे रही है, जबकि भाजपा का घोषणा पत्र चैत्र नवरात्रि के दौरान आगामी शनिवार या रविवार को जारी होने की संभावना है।

फिलहाल बात जारी हो चुके कांग्रेस के घोषणा पत्र की करते हैं। अगर आप कांग्रेस कट्टर समर्थक हैं और आँख बंद करके कांग्रेस को ही वर्षों से वोट देते आ रहे हैं, तो इस खबर को अंत तक अवश्य पढ़िए। यह खबर आपकी बंद आँखें खोल देगी और आपको कांग्रेस जैसी पार्टी को वोट देने के ‘पाप’ से बचा लेगी। ऐसा हम कांग्रेस के घोषणा पत्र के उन ‘देशद्रोही’ मुद्दों के आधार पर कह रहे हैं, जो कांग्रेस के राष्ट्रवाद, कश्मीर नीति सहित अनेक राष्ट्र हित के मुद्दों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

कांग्रेस आई, तो देशद्रोहियों की होगी बल्ले-बल्ले
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में देशद्रोह कानून को खत्म करने वादा किया है। कांग्रेस का ऐसा करने के पीछे इरादा तथाकथित देश विरोधी टुकड़े-टुकड़े गैंग को बचाना है, जिनकी मोदी सरकार ने पिछले 5 वर्षों में नींद उड़ा रखी है। अब कांग्रेस सत्ता में आई, तो ऐसे देशद्रोहियों की बल्ले-बल्ले हो जाएगी। देश में वाणी की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने वाले देश हित के खिलाफ कुछ भी बोल सकेंगे और कर सकेंगे। क्या आप देश में ऐसी अंधाधुंधी को उचित मानते हैं ? यदि नहीं, तो कांग्रेस को वोट देने से पहले यह बात जरूर सोच लेना।

देश के ‘चौकीदारों’ की हालत हो जाएगी बूढ़े शेर जैसी
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में विशेष क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों के लिए बने Armed Forces (Special Powers) Acts (AFSPA) यानी अफस्पा कानून को हटाने की बात कही है। यह कानून पूर्वोत्तर राज्यों असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैण्ड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिज़रोम में लागू है। इन क्षेत्रों में उग्रवादियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को कई बार उनके घरों में घुस कर कार्रवाई करनी पड़ती है और हर बार सेना के जवानों पर महिलाओं से छेड़छाड़ जैसे आरोप लगा दिए जाते हैं। अफस्पा लागू होने के चलते इन आरोपों की जाँच होती है और दोषी सुरक्षा कर्मियों पर ही मामले चलाए जाते हैं, परंतु अफस्पा खत्म होते ही सुरक्षा कर्मियों को बिना जाँच के ही कानूनी कार्रवाई में उलझा दिया जाएगा। ऐसे में सुरक्षा कर्मी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने से बचने की कोशिश करेंगे, जो देश की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक साबित होगा। क्या आप ऐसा चाहेंगे ? यदि नहीं, तो कांग्रेस को वोट देने से पहले यह बात जरूर सोच लेना।

कश्मीर से खतरनाक खेल करेगी कांग्रेस
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि वह इस बात को दोहराती है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, परंतु कांग्रेस कश्मीर को भारत से अलग रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली और पूरे देश को खलने वाली धारा 370 को नहीं हटाएगी। इतना ही नहीं जिस कश्मीर में आतंकियों के विरुद्ध मोदी सरकार ने ऑपरेशन ऑलआउट चला रखा है और सेना के खुली छूट दे रखी है, उस कश्मीर में कांग्रेस सशस्त्र बलों की मौजूदगी कम करेगी और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य पुलिस को सौंपना चाहती है। घोषणा पत्र में कांग्रेस कहती है कि वह कश्मीर के लोगों से बिना शर्त बातचीत करेगी, पर सवाल यह उठता है कि बातचीत किससे की जाएगी ? उन अलगाववादी नेताओं से, जो खाते हैं भारत का और गाते हैं पाकिस्तान का। घोषणा पत्र से इतर बात करें, तो कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में उसी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) से चुनावी गबंधन किया है, जिसके नेता उमर अब्दुल्ला ने कुछ दिन पहले ही कश्मीर के लिए अलग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री होने का बयान दिया था। क्या आप ऐसा चाहेंगे ? यदि नहीं, तो कांग्रेस को वोट देने से पहले यह बात जरूर सोच लेना।