* दिल्ली सहित पूरे देश में सनसनी फैला रहा एक ही सवाल
* सायं 7.00 बजे किसकी खुलेगी लॉटरी और कौन होगा निराश ?
विश्लेषण : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 30 मई, 2019। भारत में लोकसभा चुनावों के माध्यम से जननिर्वाचित प्रधानमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह का 67 वर्षों का लम्बा इतिहास है, परंतु ऐसा पहली बार है, जब पूरे देश में किसी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह से पहले मंत्रिमंडल को लेकर इतना ज़ोरदार सस्पेंस बना है और ‘फोन आया क्या ?’ मानो देश का प्रश्न यानी क्वेश्चन ऑफ नेशन बन गया है।
नरेन्द्र मोदी आज सायं 7.00 बजे दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं और उनके साथ उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी शपथ लेने वाले हैं, परंतु चूँकि मोदी ने संसद के सेंट्र हॉल में आयोजित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी-BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग-NDA) के संसदीय दल की बैठक में नेता चुने जाने के बाद अपने पहले ही संबोधन में स्पष्ट कर दिया था कि मंत्रिमंडल को लेकर मीडिया या राजनीतिक गलियारों में होने वाली चर्चा से कोई भी सांसद गुमराह न हो। मोदी ने स्पष्ट कहा था कि जिनको मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, उनको पार्टी हाईकमान का फोन आ जाएगा, परंतु फोन आ जाने के बावजूद भी कोई भी सांसद यह तय न मान ले कि उसका नाम मंत्रिमंडल में शामिल होगा ही।
मोदी की ‘सीधी बात’ से सांसद सकते में

इस स्पष्टीकरण के बाद मोदी आज शपथ ग्रहण समारोह से 12 घण्टे पहले से ही जहाँ भाजपा के 303 सांसदों के साथ राजघाट, सदैव अटल और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर राष्ट्र पुरुषों को श्रद्धांजलि से लेकर बैठकों, मंथनों और चाय जैसे कार्यक्रम कर रहे हैं, वहीं इन सबके बीच राजधानी दिल्ली ही नहीं, अपितु कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से लेकर कामरूप तक एक ही प्रश्न देश का प्रश्न बन गया है, ‘फोन आया क्या ?’ यह प्रश्न इसलिए राष्ट्रीय प्रश्न बन गया है, क्योंकि गुरुवार को दिन का आरंभ होते ही मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से पिछले दो-तीन दिनों से किए जा रहे मंथन के निष्कर्ष के रूप में कई सांसदों और निवर्तमान मंत्रियों को फोन आने शुरू हो गए। ऐसे में जिन सांसदों को फोन आ गया, उनके लिए भी यह हॉट क्वेश्चन बना हुआ है और वे अन्य सांसदों से यह खुशी-खुशी पूछ रहे हैं कि आपको फोन आया ?
ऐतिहासिक प्रश्न बन गया, ‘फोन आया क्या ?’

भारत में वैसे तो किसी प्रधानमंत्री का प्रथम शपथ ग्रहण समारोह 15 अगस्त, 1947 को आयोजित हुआ था, परंतु तब जवाहरलाल नेहरू एक मनोनीत प्रधानमंत्री थे। 1952 में नेहरू ने चुनाव जीत कर शपथ ली थी। उसके बाद 1952 से लेकर 2019 तक के 67 वर्षों के इतिहास में नेहरू के अलावा लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, चरण सिंह, राजीव गांधी, वी. पी. सिंह, चंद्रशेखर, पी. वी. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह और 26 मई, 2014 को नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके साथ मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी शपथ ली, परंतु जैसा मंत्रिमंडल को लेकर जैसा रहस्य 2019 में पैदा हुआ है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।
‘फाइनल’ वालों को भी लग सकता है झटका !

वैसे दिल्ली के गलियारों में यह चर्चा आम है कि मोदी के साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों की सूची तैयार है और कइयों को फोन भी आ चुका है। इतना ही नहीं, कई सांसद फोन आने के बाद मंत्रिमंडल में अपना नाम फाइनल मान रहे हैं। वैसे फोन आने के बाद नाम फाइनल ही माना जाता है, परंतु इसके बावजूद जहाँ एक ओर मंत्रिमंडल में अपना नाम फाइनल मान रहे सांसदों को ऐन वक्त पर शपथ के लिए नाम न पुकारे जाने की आशंका सता रही है, वहीं कई ऐसे सांसद भी हैं, जिन्हें फोन नहीं आया, फिर भी वे मोदी से किसी आश्चर्य की अपेक्षा रखते हैं और मानते हैं कि शपथ के समय उनका नाम पुकारा भी जा सकता है।