रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 18 जून, 2019 (युवाप्रेस.कॉम)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर अत्यंत सख्त है और पहले कार्यकाल ही नहीं, अपितु दूसरे कार्यकाल में यह सख़्ती दिखाई दे रही है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर क़रार वार करने के लिए नियम 56 का शस्त्र उठाया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सभी मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने दूसरे कार्यकाल में सरकारी विभागों में ‘स्वच्छता अभियान’ छेड़ा है, जिसके अंतर्गत नाकारा, भ्रष्ट, निकम्मे और जड़ अधिकारियों को घर का रास्ता दिखाया जा रहा है। नियम 56 का शस्त्र के रूप में उपयोग करते हुए मोदी सरकार ने मंगलवार को फिर एक बार वित्त मंत्रालय के भ्रष्ट वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिराई है। इन्हें नियम 56 के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति (CR) देकर घर का रास्ता दिखा दिया गया है। इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त यानी कमिश्नर स्तर के अधिकारी हैं और अधिकतर के विरुद्ध भ्रष्टाचार तथा घूसखोरी के आरोप हैं।

मोदी सरकार ने वित्त मंत्रालय के अधीनस्थत केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBITC) के जिन अधिकारियों को मंगलवार 18 जून को कम्पलसरी रिटायरमेंट दे दिया, उममें प्रधान आयुक्त डॉ. अनूप श्रीवास्तव, आयुक्त अतुल दीक्षित, संसार चंद, हर्षा, विनय व्रिज सिंह, अतिरिक्त आयुक्त अशोक महीडा, राजू सेकर, वीरेन्द्र अग्रवाल, उपायुक्त अमरेश जैन, अशोक कुार, संयुक्त आयुक्त नलिन कुमार, सहायक आयुक्त एम. एस. पाब्ना, एम. एस. बिष्ट, विनोद सांगा और मोहम्मद अल्ताफ शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही आयकर विभाग (IT) विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों पर नियम 56 लागू करते हुए उन्हें नौकरी से निकाल दिया था। इनमें आईटी विभाग के मुख्य आयुक्त, प्रधान आयुक्त और आयुक्त आदि शामिल थे। इनमें से कइयों पर भ्रष्टाचार, अवैध, बेहिसाब संपत्ति और यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे।
नियम 56 का 56 इंची उपयोग

मोदी सरकार 2.0 डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एण्ड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 का भरपूर उपयोग कर रही है और इसके ज़रिए सरकारी विभागों में व्यापक छँटनी और सफाई की जा रही है। नियम 56 के तहत 50 से 55 वर्ष के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है, जिनका 30 वर्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका होता है। सरकार नियम 56 के तहत ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे सकती है। सरकार ऐसे अधिकारियों को नॉन-परफॉर्मिंग अधिकारी मानते हुए जबरन निवृत्त कर देती है।