नई दिल्लीः- गुजरात उच्च नियायालय ने सोमवार की रोज असहमति के बावजूद Physical Relationship बनाने के मामले को लेकर कहा कि पति द्वारा पत्नी की असहमति के बावजूद Physical Relationship बनाने को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता है। जबकि कोर्ट ने यह भी कहा कि Unnatural Relationship बनाने के कदम को दयाहीनता की श्रेणी में रखा जाएगा।
पेशे से एक डाक्टर है महिला का पति
गोरतलब यह है कि पेशे से एक महिला डाक्टर ने अपने पति के विरूध दुष्कर्म और शारीरिक शोषण करने के विरूध केस दर्ज कराया था। जबकि महिला का पति भी खुद एक पेशे से डाक्टर है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इस तरह का फैसला सुनाया है। हांलांकि कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने के बीच वैवाहिक दुष्कर्म को रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत को ध्यान देने की बात कही है। इस बीच इस पूरे मामले को लेकर न्यायामूर्ति जेबी पारडीवाल ने कहा कि पत्नी से उसकी इच्छा के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।
हर पति को है पत्नी से शारीरिक संबध बनाने का अधिकार
दरअसल बताया जा रहा है कि पति के कहने पर उसके पति पर दुष्कर्म के लिए भारतीय दंड की धारा 376 के अंदर मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है। क्योंकि वैवाहिक दुष्कर्म धारा 375 के अंदर नहीं आता है, जिससे की आदमी को उसकी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत देती है। मगर इसके बावजूद भी हाई कोर्ट ने यह कहा कि कोई महिला अपने पति के विरूध अप्राकृतिक संबंध बनाने के मामले में धारा 377 के अंतरर्गत मामला दर्ज करा सकती है। जबकि न्यायालय का कहना है कि एक पति को अपने पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने का हक है। उन्होंने यह भी कहा कि वह उनकी किसी तरह की संपत्ति नहीं है तथा यह उसकी इच्छा के बिना नहीं होना चाहिए।