रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 21 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। वैसे तो आम आदमी पुलिस का नाम सुनते ही घबरा जाता है, डर जाता है, परंतु पुलिस वाले कोई अपराधी नहीं होते। वे तो अपराधियों के खिलाफ जान की बाज़ी लगा कर लड़ते हैं। इतना ही नहीं, उनके सामने जब जैसी ड्यूटी आ जाए, उसे निष्ठा से निभाने की पूरी कोशिश करते हैं। ऐसे ही एक पुलिस कर्मचारी सत्येन्द्र यादव को ढाई हजार रुपए का पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है, क्योंकि सत्येन्द्र की सतर्कता से फाँसी के फंदे पर झूल चुके एक व्यक्ति को जीवनदान मिला है।
घटना मंगलवार की है। हरदोई के धन्नूपुरवा गाँव में शिवकुमार का पत्नी रजनी से विवाद हुआ और इसके बाद उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दुपट्टे से फाँसी लगा ली। सब्जी मंडी में काम करके परिवार का गुज़ारा करने वाला शिवकुमार शराब का आदी है और इसी बात को लेकर पत्नी से झगड़े के बाद उसने फाँसी लगा ली। घटना की सूचना मिलते ही राधानगर चौकी के प्रभारी योगेश सिरोही, सिपाही सत्येन्द्र यादव और कुलदीप मौके पर पहुँचे। पुलिस ने पहले तो दरवाजा खटखटाया, पर दरवाजा नहीं खुला, तो उसे तोड़ दिया गया। कमरे में शिवकुमार फाँसी के फंदे पर लटका हुआ था। इसी दौरान सिपाही सत्येन्द्र ने सूझबूझ, कुशलता और सतर्कता का परिचय देते हुए सबसे पहले शिवकुमार को प्राथमिक उपचार कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) दिया। कुछ ही देर में एम्बुलेंस आई और शिवकुमार को अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ डॉ. मनोज देशमणि ने बताया कि यदि सीपीआर न दिया जाता, तो शिवकुमार की जान जा सकती थी। सत्येन्द्र यादव ने बताया कि सूचना मिलते ही पुलिस 3 मिनट में घटना स्थल पर पहुँच गई। उन्होंने 4 मिनट तक सीपीआर दिया और 13 मिनट के अंदर शिवकुमार को अस्पताल पहुँचा दिया गया।
आप भी देखिए सत्येन्द्र ने कैसे बचाई एक व्यक्ति की जान ?
इस घटना के बारे में पता चलने के बाद हरदोई जिला पुलिस अधीक्षक (SP) आलोक प्रियदर्शी ने सत्येन्द्र कुमार यादव को ढाई हजार रुपए का पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
क्या होता है सीपीआर ?
सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है। सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं। बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है।
सीपीआर कब देना चाहिए ?
अचानक गिर जाना : व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर उसकी सांस और नब्ज देखें।
बेहोश होना : बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी साँस और नब्ज देखें।
साँस की समस्याएँ : साँस रुक जाना या अमियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
नाड़ी रुक जाना : अगर व्यक्ति की नाड़ी नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो। ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है।
करंट लगने पर : अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएँ नहीं। लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्रोत को हटाएँ और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके।
डूबना, ड्रग्स व धुएँ के संपर्क में आना : इन स्थितियों में व्यक्ति की नब्ज व साँस की जाँच करें। उसे सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।