* पाँच वर्षों से नंबर 2 पर रहे जेटली नहीं होंगे नए मंत्रिमंडल में
* जेटली के बाद नंबर 2 बने पीयूष से छिन सकता है वित्त मंत्रालय
* राजनाथ सिंह का परम्परागत गृह मंत्रालय भी पड़ सकता है खतरे में
विश्लेषण : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 29 मई, 2019। लोकसभा चुनाव 2019 में 2014 से भी बड़ी जीत हासिल करने के साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का राजनीतिक कद और बढ़ गया है। गुरुवार को मनोनीत प्रधानमंत्री के साथ उनके नये मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य भी शपथ लेने वाले हैं। ऐसे में पीएम मोदी या भाजपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं कि कौन-कौन-से सांसद उनके साथ शपथ लेने वाले हैं, परंतु अनुमान लगाया जा रहा है कि पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर आये अमित शाह भी मोदी मंत्रिमंडल में एंट्री लेने वाले हैं। यदि ऐसा होता है तो अमित शाह स्वघोषित रूप से मोदी सरकार में नंबर 2 बन जाएँगे। इतना ही नहीं, शाह को पीएम मोदी वित्त या गृह जैसा बड़ा मंत्रालय और बड़ा कार्यभार दे सकते हैं। यदि शाह वित्त मंत्रालय संभालते हैं तो पीयूष गोयल का पत्ता इस मंत्रालय से पत्ता कट जाएगा और यदि शाह को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई, तो राजनाथ सिंह का पत्ता कटेगा। ऐसे में यह निश्चित है कि यदि शाह TEAM MODI का हिस्सा बने, तो पीयूष और राजनाथ की पदावनति स्वत: ही जाएगी और वे दोनों नंबर 3 की रेस में सरक जाएँगे।
शाह ले सकते हैं मंत्री पद की शपथ

गुरुवार शाम को 7.00 बजे राष्ट्रपति भवन के खुले परिसर में आयोजित होने वाले नई मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में वर्तमान मनोनीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसी के साथ उनके नये मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों को भी पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। इसमें सबसे बड़ी उत्सुकता भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को लेकर है। वह पहली बार गांधीनगर से लालकृष्ण आडवाणी के स्थान पर चुनाव जीत कर लोकसभा सदस्य बने हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वह मोदी मंत्रिमंडल में एंट्री करेंगे और मोदी के बाद दूसरे क्रम पर शाह शपथ ले सकते हैं। उनकी शपथ लेने की सूरत में वह मंत्रिमंडल में मोदी के बाद दूसरे क्रम का स्थान प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में वह वित्त मंत्री अथवा गृह मंत्री का पद ले सकते हैं।
वित्तमंत्री पियूष गोयल का कट सकता है पत्ता

पिछली मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, ऐसे में उन्होंने अपने ऑफिसियल ट्विटर हैंडल पर पीएम मोदी के नाम संदेश भेजा है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, ऐसे में उनका नाम नये मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाए। इस स्थिति में उनकी अनुपस्थिति में पियूष गोयल वित्त मंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं, क्योंकि पिछली सरकार में भी अरुण जेटली की अनुपस्थिति में उन्होंने ही इस मंत्रालय की जिम्मेदारी सँभाली थी और पिछली मोदी सरकार का अंतिम अंतरिम बजट भी उन्होंने ही पेश किया था, परंतु शाह की दावेदारी के सामने उनका कुछ नहीं चलेगा।
राजनाथ का छिन सकता है ताज़

यही स्थिति गृह मंत्रालय को लेकर है और राजनाथ सिंह का गृह मंत्री का पद डोल रहा है। क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब शाह को उत्तर प्रदेश में पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, तो उन्होंने 80 में से 71 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दिलाकर अपना राजनीतिक कद इतना बढ़ा लिया था कि राजनाथ सिंह को भाजपा अध्यक्ष का अपना पद गँवाना पड़ा था और अमित शाह भाजपा के नये अध्यक्ष बन गये थे। अब यदि शाह मोदी मंत्रिमंडल में एंट्री लेने के बाद गृह मंत्रालय का पदभार सँभालना पसंद करते हैं तो राजनाथ सिंह को एक बार फिर उनके लिये कुर्सी खाली करनी पड़ेगी। गुजरात में भी जब अमित शाह पहली बार उपचुनाव में सरखेज से विधायक चुने गये थे तो उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मोदी मंत्रिमंडल में गृह मंत्री की जिम्मेदारी सँभाली थी। इसलिये भी अनुमान लगाया जा रहा है कि वह मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार में भी कदाचित गृहमंत्री का कार्यभार संभालना पसंद कर सकते हैं, जिसका उन्हें अनुभव भी है।
मंत्रिमंडल में होगा बंगाल का बोलबाला

2014 में पीएम मोदी के साथ 46 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। इस बार भी यह संख्या 40 से अधिक रहने की संभावना है। इस मंत्रिमंडल में मोदी पश्चिम बंगाल और असम के अलावा उत्तर प्रदेश तथा दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व सविशेष बढ़ा सकते हैं। दक्षिणी राज्यों में भाजपा के बढ़ते कदमों को प्रोत्साहन देने के लिये और पश्चिम बंगाल में वहाँ की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बैनर्जी का कद घटाने के लिये वहाँ से जीते भाजपा सांसदों को केन्द्र में प्रतिनिधित्व दे सकते हैं। इसके अलावा भाजपा पूर्वोत्तर राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, इसलिये केन्द्र में पूर्वोत्तर राज्यों का भी प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सकता है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी बढ़ सकता है। जबकि खुश करने की राजनीति के तहत ओडिशा और कर्णाटक के सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा सकता है। जबकि एनडीए के घटक दलों को खुश रखने के लिये बिहार से जेडीयू और एलजेपी तथा महाराष्ट्र में शिवसेना जैसे संगठनों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व अवश्य दिया जाएगा।