रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 26 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच सफल बातचीत और ट्रम्प के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता से इनकार कर देने के बाद पाकिस्तान के हुक़्मरानों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। एक तरफ राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को उनके बेहूद ट्वीट पर ट्विटर ने नोटिस जारी किया है, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री इमरान खान ने ऐसा बयान दिया, जो उनके देश और देश की अवाम की बर्बादी का खुला निमंत्रण समान था।
पहले बात इमरान की ही करें, तो मोदी-ट्रम्प की मज़बूत केमिस्ट्री और मोदी की दो टूक के बाद ट्रम्प के कश्मीर पर मध्यस्थता से पीछे हट जाने से बौखलाए इमरान ने सोमवार देर शाम पाकिस्तान की जनता के नाम संदेश जारी करते हुए भारत को परमाणु हमले की धमकी दी। इमरान ने कहा कि ऐसे युद्ध का कोई नतीजा नहीं निकलेगा और दुनिया तबाह हो जाएगी। चहुँओर से निराशा और विफलता के पर्याय बने इमरान ने जनता को भरोसे में लेने की कोशिश करते हुए कहा, ‘’आप मायूस न हों, हम पूरी दुनिया में कश्मीर के ऐंबेसडर बनेंगे। मैं 27 सितंबर को यूएन में यह मुद्दा उठाऊँगा।’
मोदी को गीदड़भभकी का दुस्साहस
इमरान ने कश्मीर पर अपना प्रोपेगैंडा बढ़ाते हुए घोषणा की कि कश्मीर को लेकर पूरे पाकिस्तान में हर हफ्ते कार्यक्रम होंगे, जिसमें स्कूल, कॉलेज और सरकारी कर्मचारी हिस्सा लेंगे। हर शुक्रवार दोपहर 12 से 12.30 बजे के बीच लोग बाहर निकलेंगे। इमरान ने कहा, ‘हम कश्मीर के लिए किसी भी हद तक जाएँगे। भारत-पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियार सम्पन्न देश हैं। यदि युद्ध हुआ, तो दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया तबाह होगी।’ इमरान ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा कर ऐतिहासिक भूल की। इमरान ने दावा किया कि मोदी के इस कदम से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण हो गया है।
फेक ट्वीट कर फँसे अल्वी
कश्मीर मुद्दे पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भी मानो मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। बौखलाए अल्वी ने ‘हिंसा का एक वीडियो’ ट्वीट कर कहा था कि कश्मीरी भारत के विरुद्ध है और दुनिया को यह बात बतानी चाहिए। ट्विटर ने इस ट्वीट को लेकर अल्वी को नोटिस भेजा और कहा, ‘हमारी जाँच में कश्मीर में किसी भी तरह से किसी कानून का उल्लंघन नहीं पाया गया है।’ ट्विटर से नोटिस मिलते ही पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मंज़री हरकत में आईं। मंज़री ने ट्विटर अधिकारियों से मिले मेल का स्क्रीन शॉट पोस्ट करते हुए कहा, ‘यह सही नहीं है और दुर्भाग्यपूर्ण है।’ मंज़री ने तो उल्टे ट्विटर पर आरोप लगाते हुए ट्विटर को मोदी सरकार का मुखपत्र करार दिया।