रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 28 अगस्त 2019 (युवाPRESS)। जो लड़कियाँ अपनी सेहत और सुंदरता का विशेष ध्यान रखती हैं, उन लड़कियों को सविशेष सचेत रहने की जरूरत है। कहीं आपकी यह सजागता आपके लिये सजा न बन जाए। हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं, क्योंकि आपकी सेहत और सुंदरता पर किसी खतरनाक रैकेट (RACKET) की नज़र हो सकती है, जो न सिर्फ आपकी सेहत और सुंदरता को ग्रहण लगा सकता है, बल्कि आपका जीवन नर्क से भी बदतर बना सकता है। अंत में यह रैकेट आपकी जान का दुश्मन भी बन जाता है। इस रैकेट का नाम है मानव तस्करी यानी (HUMAN TRAFFICKING)।
कैसे काम करता है यह रैकेट ?
इस रैकेट का जाल पूरे देश और दुनिया को अपने अंदर समेटे हुए है। इस जाल में युवा और स्वस्थ लड़के-लड़कियाँ विशेषकर सेहतमंद और सुंदर युवतियाँ को लवजिहाद, लवबग आदि के रूप में प्रेमजाल में अथवा देश-विदेश में पढ़ाई, नौकरी या शादी का लालच देकर फँसाया जाता है, फिर उनकी जवानी और जिंदगी दोनों को बरबाद किया जाता है। इतना ही नहीं, जीते जी तो इनके शरीर के साथ बर्बरता की ही जाती है। बाद में इन्हें मारकर इनके शरीर के एक-एक अंग का सौदा किया जाता है। वैसे तो यह रैकेट इतना व्यापक है कि हर उम्र के बच्चों से लेकर 40 साल की महिलाओं और 50 वर्ष तक के पुरुषों की भी तस्करी होती है।

बिना संतान वाले माता-पिताओं की मांग को पूरा करने के लिये दूसरे का बच्चा चोरी करके बेचना भी मानव तस्करी है। इसके अलावा काम कराने के लिये बच्चों को और उनके परिवारों को पैसों का लालच देकर या सुनहरे भविष्य का सपना दिखाकर परिवार और गाँव से दूर ले जाकर लोगों के घरों या कारखानों में बाल मजदूरी कराना भी चाइल्ड ट्रैफिंकिंग का ही हिस्सा है। इसके अतिरिक्त कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण के नर्कागार में धकेलने के लिये भी बच्चों की तस्करी होती है। इसी प्रकार किशोर उम्र के लड़के-लड़कियों तथा युवाओं को भी अच्छी नौकरी, अच्छा वेतन आदि का लालच देकर या लड़कियों को देश-विदेश में पढ़ाई, नौकरी या शादी का लालच देकर उनकी तस्करी की जाती है। अधिकांश तस्करी देश के अंदर ही होती है और बहुत कम मामलों में बच्चों और युवाओं को देश से बाहर भेजा जाता है।

चूँकि लड़के नशे आदि में लिप्त होकर अपने शरीर को विशेषकर अंगों को नुकसान पहुँचा लेते हैं और दूसरी तरफ भारतीय लड़कियाँ अपनी सेहत और सुंदरता को लेकर संवेदनशील होती हैं। इसलिये उन्हें मानव तस्करी के लिये सॉफ्ट टारगेट माना जाता है। इसके अतिरिक्त भी कुछ कारण हैं जिनसे मानव तस्करी को पोषण मिलता है। गरीबी और अशिक्षा इसके लिये सबसे बड़े कारण हैं। मांग और आपूर्ति का सिद्धांत भी काम करता है। बंधुआ मजदूरी के लिये, देह व्यापार के लिये, कंवारे या विधुर तथा निःसंतान लोगों की शादी के लिये लड़कियों की मानव तस्करी की जाती है। अन्य बड़े कारणों में सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिंक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा और सामाजिक सुरक्षा की चिंता, महानगरों में घरेलू कामों के लिये और चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये बच्चों तथा लड़कियों की तस्करी होती है।
भारतीय युवा ही क्यों बनते हैं टारगेट ?

भारत का 10 से 30 वर्ष आयु वर्ग का युवा नशे में कम लिप्त है। विशेषकर लड़कियाँ इससे दूर हैं, उनके नशे से मुक्त, स्वस्थ बॉडी पार्ट्स की काला बाजारी में बड़ी माँग है। भारतीय लोगों का शरीर, उसका रंग और बनावट ऐसे हैं, जो लगभग विश्व के हर हिस्से के व्यक्ति से मेल खाते हैं कुछ अपवादों को छोड़कर। इसके अलावा भारतीय लड़कियों का संवेदनशील तथा भावुक होना भी उन्हें सॉफ्ट टारगेट बनाता है। उन्हें प्रेमजाल में फँसाना, बेहतर जीवन का सपना दिखाकर बरगलाना, बहलाना-फुसलाना आसान होता है। अन्य देशों की लड़कियों के साथ ऐसा करना इतना आसान नहीं है। इसलिये ऐसी लड़कियों को जाल में फँसाने के लिये खूब पैसा भी खर्च किया जाता है। जाल में फँसने के बाद लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर गुपचुप तरीके से वीडियो बना लिया जाता है, फिर उन्हें अन्य लड़कों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिये विवश करके वीडियो बनाए जाते हैं और वह वीडियो पोर्न साइटों को बेचकर पैसे कमाए जाते हैं। साथ ही लड़कियों से वेश्यावृत्ति करवाकर भी पैसे कमाए जाते हैं। जब तक उनके शरीर का उपयोग यौन शोषण के लिये किया जा सकता है, तब तक उनका उपयोग किया जाता है, जब इसके लिये वह उपयोगी नहीं रहती हैं, तब उन्हें मार दिया जाता है और उनके बॉडी पार्ट्स लीवर, किडनी, आंत, हृदय, आँख, दांत, हाथ-पाँव-कंधों आदि की हड्डियाँ, दाँत और यहाँ तक कि चमड़ी को भी बेचा जाता है, जिसकी ब्लैक मार्केट में ऊंची कीमत मिलती है। इसके बाद यह अंग जरूरतमंद मरीजों को दुगुनी कीमत वसूलकर बेचे जाते हैं। इस प्रकार यह रैकेट कई फिरकों में फैला हुआ है।
भारत में मानव तस्करी पर अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी विदेश विभाग ने मानव तस्करी पर वर्ष 2019 की ‘ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स-TIP’ रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में लगभग 25 मिलियन बालिग और नाबालिग श्रम तथा देह व्यापार से पीड़ित हैं। इनमें से 77 प्रतिशत मामलों में पीड़ितों को देश के अंदर ही एक जगह से दूसरी जगह पर तस्करी करके ले जाया जाता है। सन-2000 में अधिनियमित अमेरिकी कानून ‘तस्करी पीड़ित शिकार संरक्षण अधिनियम’के आधार पर मानव तस्करी की रिपोर्टों को तीन वर्गों टियर-1, टियर-2 और टियर-3 में विभाजित किया गया है। यू.एस.ए. टियर-1 में शामिल है और भारत टियर-2 में है। यह वर्ग तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरा करने या नहीं करने पर आधारित है। भारत में तस्करी से जुड़ी दंड संहिता की धारा 370 में संशोधन करने की सिफारिश की गई है। टीआईपी रिपोर्ट के अनुसार भारत में तस्करी से निपटने के प्रयास किये जा रहे हैं, हालाँकि और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।