युवाप्रेस दुनिया न्यूज: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक वार्ता सफल रहा और जिसके कारण भारत और चीन की सेनाएं आपस में हॉटलाइन (Telephone Hotline) के जरिये जुड़ने को तैयार हो चुकी हैं। दोनों देशों के सेना मुख्यालय हॉटलाइन से जुड़कर कार्य करेंगी। यह प्रस्ताव बहुत समय से लंबित था और अब जा कर इस पर कार्य पूरा हुआ। बाता दें कि मोदी जी और शी जिनपिंग के बीच पिछले हफ्ते ही चीन के वुहान शहर में बातचीत हुई थी। चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार वे भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा रखते हैं। वे भारत के साथ नए स्तर पर संबंध स्थापित करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दो दिन की अनौपचारिक मुलाकात भारत-चीन के संबंध में कई उम्मिदें ले कर आई है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक दोनों देशों की सेनाएं आपस में हॉटलाइन (Telephone Hotline) के जरिये जुड़कर कार्य करने को तैयार हैं। जिससे सीमा पर किसी प्रकार की हलचल या वहां पर पैदा होने वाली गलतफहमी से जल्द निपटने में आसानी होगी। इस कार्य से दोनों देशों में आपसी समझ विकसित होगी और परस्पर विश्वास बढ़ेगा और ठीक ढंग से सेना विवाद भी सुलझेगा।
भारत और चीन के नेताओं ने अपनी सेनाओं के विश्वास को बढ़ाने के लिए इन उपायों को अंजाम देने का निर्देश दे दिया है। इस कार्य के अनुसार सीमा पर गैरजरूरी तरीके से सैनिकों की संख्या नहीं बढ़ाई जाएगी और न ही अतिरिक्त हथियारों की तैनाती ही की जाएगी। पिछले साल हुए 73 दिन के डोकलाम विवाद को पीछे छोड़ते हुए दोनों देशों आगे बढ़ने की इच्छा जता रहे है। उल्लेखनीय है कि दोनों देश लगभग चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा से एक-दूसरे से जुड़े हुए है अभी तक भारत और पाकिस्तान की सेनाएं ही Telephone Hotline के माध्यम से एक-दूसरे से बातचीत करते थे।
भारत के साथ काम करने का इच्छुक है चीन यह चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा और इसके साथ उसने कहा कि हम हमेशा से भारत के साथ अच्छा संबंध विकसित करने को तैयार है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनिइंग ने कहा दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की यह मुलेकात बहुत ही खास रही। जिससे चीन और भारत के बीज साझा कार्य करने की इच्छा को बल मिला है। हम आपसी हितों के रक्षा करने के लिए आपस में मिलकर कार्य करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोस्ती का माहौल बनाया और अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। यह अंतरराष्ट्रीय माहौल पर चर्चा का विष्य बना हुआ है।