विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में पिछले छह महीनों से चुनावी गहमागहमी का माहौल है। लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा के बाद तो राजनीतिक दलों के बीच चुनावी नोंक-झोंक लगातार तीखी होती जा रही है और यह दौर अभी 17 मई सायं 5 बजे तक चलेगा, जब सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को होने वाले मतदान के लिए सार्वजनिक प्रचार अभियान शांत हो जाएगा।

पूरे देश में मचे चुनावी शोर के बीच दो घटनाएँ ऐसी भी घटीं, जो भारत को बड़ी उपलब्धि देकर गईं। एक घटना थी मसूद अज़हर का वैश्विक आतंकवादी घोषित होना। ख़ैर, भारत, उसकी सरकार और उसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह कूटनीतिक क्रांति तो राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ गई, परंतु दूसरी घटना थी FANI CYCLONE, जिसने चुनाव प्रचार में व्यस्त केन्द्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संबंधित विभागों के मंत्रियों और चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपने मुख्य उत्तरदायित्व की याद दिला दी। इस दौरान जहाँ मोदी सरकार और उसका प्रत्येक आपदा प्रबंधन क्षेत्र फानी चक्रवात के संभवित ख़तरों से निपटने में जुट गए, वहीं पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों क्रमशः ममता बैनर्जी तथा नवीन पटनायक ने अपने-अपने चुनाव कार्यक्रम रद्द कर दिए। यद्यपि फानी का सबसे अधिक ख़तरा ओडिशा पर था। इसलिए ओडिशा सरकार और नवीन पटनायक पूरी तरह तैयार थे। यही कारण है कि भारत के चार राज्यों पर आई तूफ़ानी आफत केवल 10 लोगों को ही शिकार बना सकी और लगभग ख़ाली हाथ लौट गई।
मोदी की मुस्तैदी

फानी चक्रवात के जरिए भारत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि आज का भारत वह भारत नहीं है, जो हैजा, बाढ़, आंधी-तूफान से पस्त हो जाता था और हजारों-लाखों की संख्या में लोग मारे जाते थे। फानी से निपटने के लिए जिस तरह केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और विशेषकर ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार चौकन्नी रही, उसने पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की कि तूफ़ानों से टकराना कोई भारत से सीखे। नरेन्द्र मोदी तो वैसे भी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी से आपदा प्रबंधन पर विशेष फोकस रखते आए हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने फानी प्रभावित राज्यों के लिए दो दिन पहले ही 1400 करोड़ रुपए का आपात कोष जारी कर दिया। नौसेना, वायुसेना और कोस्टगार्ड की स्थानीय इकाइयों को 5 दिन पहले ही अलर्ट पर रख दिया। नौसेना ने तो 10 से अधिक जहाज भी तैनात कर दिए। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (NDRF) की 65 टीमों को प्रभावित राज्यों में उतार कर 12 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया। यही कारण है कि फानी कम तूफानी साबित हुआ। केवल माल का नुकसान हुआ, जानें बचा ली गईं। चुनाव आयोग (EC) ने भी फानी प्रभावित 11 जिलों से चुनाव आचार संहिता हटा कर देश पर आई प्राकृतिक आपदा से निपटने में सहायता की।
पटनायक की पटुता

इस तरफ ओडिशा सरकार और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने फानी का सामना करने में ऐसी पटुता दिखाई, जिससे देश के हर राज्य को सबक लेना चाहिए और जिसे देख कर दुनिया दंग रह गई। नवीन सरकार ने 26 लाख मैसेज किए, 43 हजार स्वयंसेवक, 1000 आपातकालीन कर्मचारी, टीवी विज्ञापन, साइरन, बसें, पुलिस अधिकारी और सार्वजनिक घोषणा जैसे कई उपाय किए। 200 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से आए जिस फानी के सामने बस, कार, क्रेन, पेड़ नहीं टिक पाए, उससे ओडिशा के लोगों को वहाँ की सरकार की कुशल आपदा प्रबंधन नीति ने बचा लिया। फानी भले ही अपने पीछे तबाही का मंज़र छोड़ गया हो, परंतु जो लोग बच गए, उन्हें स्वयं भी आशा नहीं थी कि सरकार उन्हें इस तरह बचा लेगी।