हम भारतीय ऐसा मानते हैं कि एक दिन हमारा देश दुनिया की महाशक्ति बनेगा ! हमारा पड़ोसी देश चीन भी ऐसा ही सोचता है। कह सकते हैं कि एक ही क्षेत्र में होने के कारण भारत और चीन में इस मामले में कड़ी प्रतिद्वंदिता है। लेकिन दुख की बात है कि आजादी के 70 सालों बाद भी हम भारतीय आधारभूत सविधाओं जैसे रोटी, कपड़ा,मकान की बहस से ही बाहर नहीं निकल पाए हैं। वहीं हमारा प्रतिद्वंदी देश चीन आज पूरी दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा है। चीन की इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि आज हमारा मित्र राष्ट्र नेपाल (Nepal), चीन (China) की गोद में जा बैठा है। यकीनी तौर पर यह भारत के लिए (India Nepal Relations) चिंता की बात होनी चाहिए।
चीन के इंटरनेट का इस्तेमाल करेगा नेपाल
बता दें कि हाल ही में नेपाल में हुए आम चुनावों में चीन समर्थक माओवादियों की सरकार बनी है। जिसके बाद से ही नेपाल के चीन के नजदीक जाने की आशंका थी। अब खबर आयी है कि शुक्रवार से नेपाल में चीन के इंटरनेट का इस्तेमाल होगा। बताते चलें कि अभी तक नेपाल भारत के इंटरनेट का ही इस्तेमाल करता था, लेकिन अब चीन भी इस रेस में शामिल हो गया है। हिमालय पार से चीन द्वारा बिछाए गए ऑप्टिकल फाइबर से नेपाल के रसुवगाढ़ी बॉर्डर पर 1.5 गीगा-बाइट्स प्रति सेकेंड की स्पीड से इंटरनेट मिल सकेगा।
कैसे बिगड़े India Nepal Relations ?
दरअसल चीन पिछले काफी समय से नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा था। इसी बीच नेपाल में हुए मधेसी आंदोलन के दौरान चीन को मौका मिल गया। बता दें कि मधेसी आंदोलन के दौरान नेपाल में नाकेबंदी रही, जिस कारण नेपाल में भारत से जाने वाला आम जरुरत का सामान भी नहीं पहुंच सका। इससे नेपाल में आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा और लोगों में भारत विरोधी भावना बढ़ी। इसी का फायदा उठाते हुए चीन ने नेपाल में अपना दखल बढ़ा लिया।
माना जा रहा है कि हाल ही में हुए आम चुनावों में माओवादियों को चीन ने मदद पहुंचाई है, जिसकी मदद से नेपाल में माओवादियों की सरकार पूर्ण बहुमत से बनी। इसके फलस्वरुप अब नेपाल की नई सरकार चीन के नजदीक हो गई है और भारत से दूर होती जा रही है। ऐसी खबरें आयी हैं कि नेपाल में चीन भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैला रहा है, जिससे नेपाल में भारत विरोधी भावना बहुत तेजी से बढ़ी है।
निवेश से लुभाया
नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव के पीछे जहां चीन की आक्रामक और विस्तारवादी नीतियां हैं, वहीं भारत की भी कुछ कमियां रही। आंकड़ों के अनुसार, साल 2013-14 में जहां चीन की नेपाल में 119 परियोजनाएं चल रही थी, वहीं भारत की सिर्फ 22। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन ने अपने पैसे के बल पर नेपाल में भारत को बैकफुट पर ला दिया है। इसके अलावा वर्तमान में भी चीन नेपाल में अरबों रुपए का निवेश कर रहा है। गौरतलब है कि चीन के वन रोड इनीशिएटिव (One Belt One Road Initiative) में भी नेपाल भागीदार है। साथ ही चीन तिब्बत से लेकर नेपाल के काठमांडु तक रेलवे लाइन बिछा रहा है। ऐसे में कह सकते हैं कि आने वाले वक्त में चीन, नेपाल में और भी ज्यादा मजबूत होगा और नेपाल में भारत का प्रभाव काफी कम हो जाएगा !
हालातों को देखते हुए भारत को भी इस दिशा में पहल करते हुए चीन की काट खोजने की जरुरत है। साथ ही भारत सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि वह नेपाल को यह याद दिलाए कि भारत और नेपाल के (India Nepal Relations) बीच हमेशा से ही रोटी-बेटी का संबंध रहा है, जिसे आगे भी बने रहना चाहिए। वैसे अच्छी बात ये है कि मौजूदा सरकार ने विदेश संबंधों की दिशा में अभी तक अच्छा काम किया है और ये उम्मीद की जानी चाहिए कि नेपाल मामले पर भी सरकार ध्यान देगी।