नई दिल्ली: फेक न्यूज अथार्त फर्जी समाचार को रोकने के लिए अब मोदी सरकार कदम उठाने जा रही है। सूचना तथा प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को घोषणा किया है कि अब सरकार उन पत्रकारों की मान्यता को रद्द करने जा रही है जो मनमाने ढंग से कुछ भी लिखते हैं और सच्च को झूठ और झूठ को सच्च साबित करने की कोशिश करते हैं। सरकार यह कदम Fake News पर लगाम लगाने के लिए करना चाहती है जो कि एक सही कदम कहा जा सकता है। हालंकि इस घोषणा के बाद सरकार की विरोध भी शुरू हो चुकी है।
सरकार ने अपने निर्देश में कहा कि यदि किसी न्यूज का प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि हो जाती है तो उसे पहली बार के लिए 6 महीने तक के लिए निलंबित कर दी जायेगी। यदि दूसरी बार ऐसा करता हुआ पाया गया तो 1 साल के लिए निलंबित का प्रावधान होगा और तिसरी बार ऐसा करते हुए पाये गये तो उसकी पत्रकारिता की मान्यता रद्द कर दी जायेगी। यदि फेक न्यूज (Fake News) का मामला प्रिंट मीडिया का अता है तो इसकी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद को भेज दी जायेगी और मामला यदि इलेक्ट्रोनिक मीडिया का हुआ तो शिकायत ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन को दे दिया जायेगा। इसके साथ ही सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर न्यूज के फर्जी होने का निपटार करना होगा और बताना पड़ेगा कि वह फेक न्यूज है या नहीं।
बता दें कि यह समस्यां केवल अकेले भारत की नहीं है बल्कि अमेरीका, ब्रिटेन जैसे देशों में भी इस प्रकार की समस्यां का कोई हल नहीं निकल पाया है। वैसे Fake News का इतिहास बहुत ही पुराना है। जब विश्ययुध्द चल रहा था तब भी बहुत सी मनगढंत खबरे फैलाई गई थी कि ‘कौन जीता और कौन हारा’।
19वीं शताब्दी की सबसे प्रसिद्ध एक अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क सन‘ एक बार लेख लिखा था कि तो अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर गये और उन्हें वहा पर जीवन मिला। उस समय अखबार की खूब चर्चा हुई लेकिन एक महीने बाद जब लोगों को सच पता लगा तो उसकी बहुत अधिक किरकिरी भी हुई। फिर बाद में अखबार को खूद एक लेख लिखकर लोगों को बताना पड़ा कि उनकी वह लेख एक मनगढंत खबरों पर अधारित थी।