रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 30 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। कहते हैं एक पेड़ अपने जीवन में इंसान को इतना कुछ देता है, जिसकी इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता। पेड़ों पर किए गए कई अध्ययनों का निष्कर्ष है कि एक स्वस्थ पेड़ एक वर्ष में करीब 30 करोड़ रुपए मूल्य की ऑक्सीजन देता है। एक पेड़ अपने औसतन 50 वर्ष के जीवन में 2 लाख डॉलर यानी 14,34,45,500 रुपए की सेवाएँ देता हैं, जिनमें ऑक्सीजन उत्सर्जन, भू-क्षरण संरक्षण, मिट्टी उर्वरक बनाने, पानी रिसाइकिल करने और हवा शुद्ध करने जैसी सेवाएँ शामिल हैं। यदि इस निष्कर्ष को सही माना जाए, तो आज एक पेड़ की कीमत 14 करोड़ 34 लाख 45 हजार 500 रुपए बनती है।
हम यहाँ आपको पेड़ों का महत्व इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि यह पेड़ ही हैं, जो हमारे जीवन को जीने योग्य बनाते हैं, हमारी धरती को साँस लेने योग्य बनाते हैं, हम पर आसमान से पानी की बूंदे बरसाने में सहायता करते हैं। यदि पेड़ न हो, तो सृष्टि का मौसम चक्र खंडित हो जाएगा। वैसे पेड़ों और जंगलों की घटती संख्या के दुष्परिणाम हम भुगत ही रहे हैं, जिसके चलते कहीं बाढ़, तो कहीं सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आ रही हैं।
पेड़ों के इस महत्व को देश के हर नागरिक को समझना चाहिए, परंतु उत्तर प्रदेश की एक न्याय अधिकारी ने तो पेड़ों की महत्ता को न केवल समझा है, अपितु अपनी न्याय प्रक्रिया में ही इसे शामिल कर लिया है। इस अधिकारी का नाम है वंदिता श्रीवास्तव। बांदा जिले की नरैनी उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) वंदिता श्रीवास्तव ने अपनी अदालत में पेश होने वाले आरोपियों को ‘हरियाली दंड’ देने की अनोखी पहल शुरू की है। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी एक सरकारी इंजीनियर को ऐसा ही हरियाला दंड दिया था, जिसके तहत उसे 200 पौधे लगाने का ‘सुदंड’ सुनाया गया था और पौधे जीवित न रहें, तो 3 साल की जेल की चेतावनी दी गई थी।
वंदिता का अनोखा अभियान
पर्यावरण संरक्षण के लिए धरती पर पेड़ों और जंगलों को लगातार बढ़ना अत्यंत आवश्यक है। इसी बात को समझते और लागू करते हुए एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव ने अपनी अदालत में हरियाली दंड अभियान शुरू किया है और आरोपियों के माध्यम से वे हरित क्रांति में अपना योगदान देने का प्रयास कर रही हैं। एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव ने कल गुरुवार को ही उनकी अदालत में पेश किए गए आरोपियों को 5-5 पौधे लगाने की शर्त पर ज़मानत दी। एसडीएम के आदेश के अनुसार शांति भंग के मामले में आरोपी बनाए गए इन आरोपियों को अपने गाँव या सुविधानुसार कहीं भी पाँच-पाँच पौधों का रोपण करना होगा और छह माह तक उनकी रखवाली करनी होगी। इतना ही नहीं, एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव ने आरोपियों को आदेश दिया कि वे अगली पेशी में सबूत के तौर पर लगाए गए पौधों के साथ अपनी सेल्फी (फोटो) संबंधित दस्तावेजों में संलग्न करें।
रंग ला रही वंदिता की मुहीम
एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव की हरियाली दंड मुहीम रंग ला रही है। इसके तहत पौधारोपण और उनके संरक्षण की शर्त पर आरोपियों को जमानत दी जा रही है और एक पखवाड़े में ही करीब 500 पौधे रोपे जा चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि कोई आरोपी पौधारोपण से इनकार कर दे, तो क्या उसे ज़मानत नहीं मिलेगी ? इस पर एसडीएम कहती हैं, ‘ऐसा नहीं है। यदि आरोपी इनकार करे, तो उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत देय ज़मानत दी जाती है। हरियाली दंड कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, परंतु हम आरोपियों को पौधे लगाने के फायदे समझा कर इसके लिए राज़ी कर लेते हैं। कुछ आरोपी ऐसे भी आए, जिनके पास पौधा लगाने के लिए अपनी ज़मीन नहीं थी। ऐसे आरोपियों को हम सार्वजनिक भूमि जैसे स्कूल-कॉलेज, तालाब तट या ग्राम समाज की जमीन में पौधारोपण के लिए प्रेरित करते हैं।’
DM भी खुश, सभी SMD से पहल करने को कहा
एसडीएम वंदिता की इस पहल से बांदा जिला मजिस्ट्रेट (DM) हीरालाल भी खुश हैं और उनकी सराहना कर रहे हैं। डीएम हीरालाल ने बताया कि उन्होंने बांदा के सभी एसडीएम को एक परिपत्र जारी कर नरैनी एसडीएम वंदिता श्रीवास्तव जैसी पहल करने को कहा है, ताकि जिले में लक्ष्य से अधिक पौधारोपण किया जा सके।