रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 13 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। पश्चिमी संस्कृति के गढ़ ब्रिटेन में भारतीय संस्कृति ने अपना झंडा गाड़ दिया है। दुनिया को कर्म, भक्ति तथा ज्ञानपूर्वक आदर्श जीवन जीने और आत्म स्वरूप परमात्मा का साक्षात्कार करने का संदेश देने वाली भगवद् गीता को विश्व की सबसे पुरानी संसद का गौरव प्राप्त करने वाली ब्रिटिश संसद में पवित्र धर्मग्रंथ के रूप में स्थापित किया गया है। कहने के लिये यह भारत के लिये गौरव की बात है, परंतु क्या देश के लिये यह शर्मनाक नहीं कि अपने ही देश की संसद में कुछ मुट्ठी भर सांसद धर्म निरपेक्षता की आड़ लेकर इस पवित्र ग्रंथ के माहात्म्य को लोगों तक पहुँचाने में बाधक बन रहे हैं ? क्या लंदन की संसद ऐसे लोगों के लिये करारा जवाब नहीं है ?
ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों में स्थापित हुई भगवद् गीता

18 अध्याय और 700 श्लोकों में वेदों के संपूर्ण सार को समेटे हुए भगवान श्री कृष्ण के मुखारबिंद से प्रकट हुए कर्म, भक्ति और ज्ञान रूपी अमृतबिंद का पान करने का सौभाग्य गोरों ने भी प्राप्त कर लिया। इण्डो-यूरोपियन बिज़नेस फोरम के तत्वावधान में हरियाणा सरकार और कुरुक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड की विशेष पहल पर लंदन में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव मनाया गया।

9 अगस्त को प्रारंभ हुआ महोत्सव 11 अगस्त को ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों हाउस ऑफ लॉर्ड्स तथा हाउस ऑफ कॉमन्स में सनातन धर्म के प्राचीन ग्रंथ श्रीमद् भगवद् गीता की स्थापना के साथ हर्षोल्लास से सम्पन्न हुआ। इस ग्रंथ में महाभारत का युद्ध प्रारंभ होने से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्म, भक्ति और ज्ञान के रूप में वेदों का सार समझाया था। इन्हीं श्लोकों को ग्रंथस्थ करके श्रीमद् भगवद् गीता ग्रंथ की रचना की गई है। यह ग्रंथ मानव जीवन के सार और महत्व को समझाता है। इसमें किसी धर्म पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है, बल्कि मानव को उसके कर्म, भक्ति और ज्ञान अर्जित करके जीवन को सफल बनाने और आत्म स्वरूपी परमात्मा का दर्शन यानी साक्षात्कार करने का संदेश दिया गया है। ग्रंथ की स्थापना के दौरान संसद में गीता के मंत्रोच्चार भी गूँजे और वैदिक अनुष्ठान भी किये गये।
भारत में स्कूलों में गीता पढ़ाने का बिल अधर में

इससे पहले 2017 में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी एक निजी विधेयक संसद में लाए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय विद्यार्थियों में पश्चिमी शिक्षा प्रणाली के दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में भारतीय विद्यार्थियों को भगवद गीता के सुविचार और शिक्षा से बेहतर नागरिक बनाया जा सकता है। भगवद गीता की शिक्षा से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में निखार आएगा। इसलिये देश के स्कूलों में भगवद् गीता को अनिवार्य रूप से पढ़ाने का विधेयक पारित करना चाहिये और यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि जो स्कूल अनिवार्य रूप से गीता की शिक्षा नहीं देंगे, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाए। हालांकि धरनिरपेक्षता के झंडे थामने वालों ने यह बिल पास नहीं होने दिया था और इसका विरोध किया था।
जब भारतीय संसद में गूँजा राधे-राधे

हालाँकि 17वीं लोकसभा गठित होने के मौके पर जब 17 जून से शुरू हुए बजट सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित सांसदों ने लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की, तब भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा की भाजपा सांसद और ड्रीमगर्ल के नाम से मशहूर फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी ने शपथ ग्रहण करने के बाद राधे-राधे कहकर लोकसभा सदन के माहौल को आध्यात्मिक बना दिया था।