रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 26 जून 2019 (युवाप्रेस डॉट कॉम)। मोदी सरकार 2 ने जम्मू-काश्मीर को आतंक से मुक्त करने की रणनीति के अंतर्गत एक बड़ा और अहम कदम उठाया है। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रेरित आतंकी संगठन आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इसलिये पीएम मोदी ने पाकिस्तान मामलों के जानकार आईपीएस अधिकारी सामंत गोयल को देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग (रॉ) का प्रमुख नियुक्त किया है। वहीं मोदी सरकार के तरकश का दूसरा तीर आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार हैं, जिन्हें सरकार ने इंटेलीजेंस ब्यूरो का निदेशक बनाया है। अरविंद कुमार कश्मीर मामलों के जानकार हैं।
मोदी-शाह का निशाना आतंकिस्तान

मोदी सरकार जम्मू काश्मीर में विधानसभा चुनाव से पूर्व सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। नई सरकार के गठन के बाद से ही नये गृह मंत्री अमित शाह भी जम्मू-काश्मीर पर ही पूरा ध्यान दे रहे हैं। इसका एक और बड़ा कारण अमरनाथ की यात्रा भी है, जिसे सफलतापूर्वक निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिये स्वयं गृह मंत्री जम्मू कश्मीर के दौरे पर गये हुए हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार आतंकी अमरनाथ यात्रा के दौरान बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार उनके मंसूबों को पूरी तरह से नाकाम करने में जुटी हुई है।
मोदी के तरकश में आए यह दो नये तीर

इसी बीच रॉ के वर्तमान चीफ अनिल कुमार धस्माना ढाई साल तक इस पद पर उत्कृष्ट सेवाएँ देने के बाद रिटायर हो रहे हैं, जिससे सरकार ने पंजाब केडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी सामंत गोयल को रॉ चीफ की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। सामंत गोयल के पास उग्रवाद से निपटने का अच्छा खासा तजुर्बा है। उन्होंने 1990 के दौर में जब पंजाब खालिस्तान के उग्रवाद से जूझ रहा था तब उग्रवाद से निपटने के लिये कई सफल अभियान चलाए थे। इसके अलावा जब इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 से अधिक जवान शहीद हुए थे। इस हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की जो ब्लू प्रिंट तैयार की गई थी, उस योजना को बनाने में भी सामंत गोयल की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। इसी भूमिका के इनाम और उग्रवाद से निपटने के तजुर्बे के पुरस्कार स्वरूप सामंत गोयल को रॉ चीफ की कुर्सी दी गई है।
जबकि इंटेलीजेंस ब्यूरो के नये निदेशक अरविंद कुमार को कश्मीर मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। वह भी सामंत के समकक्ष यानी 1984 बैच के ही आईपीएस अधिकारी हैं, परंतु वह असम-मेघालय केडर के आईपीएस अधिकारी हैं। इन दोनों ही अधिकारियों को न सिर्फ कश्मीर से आतंक का सफाया करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, अपितु उनके कंधों पर देश की खुफिया एजेंसी रॉ तथा इंटेलीजेंस ब्यूरो को और मजबूत बनाने की भी भारी जिम्मेदारी है।
ऐसे काम करते हैं रॉ और आईबी
उल्लेखनीय है कि रॉ का काम विभिन्न देशों में अपने जासूसों के माध्यम से विभिन्न देशों में भारत के विरुद्ध चल रही खुफिया साजिशों का पता लगाकर उन्हें नाकाम करना है। वहीं इंटेलीजेंस ब्यूरो का काम भारत में काम कर रहे विभिन्न देशों के जासूसों के इनपुट पकड़कर उन जासूसों को पकड़ने और उनकी साजिशों को विफल करना है।