अहमदाबाद, 3 जुलाई 2019 (YUVAPRESS)। एक ऐसा देश जो दुनिया को तेल बेचकर पैसा कमाता था और जिसकी आय का सबसे बड़ा स्रोत ही तेल है। उसके पास तेल का भंडार तो आज भी है, परंतु कोई खरीदार नहीं है, इसलिये वह तेल बेचकर पैसा नहीं कमा पा रहा है, उसकी हालत खराब हो गई है। जो कभी समृद्ध देशों में गिना जाता था, वह अब कौड़ी-कौड़ी को मोहताज हो गया है, अब उस देश की जनता को खाने पीने के भी लाले पड़ गये हैं। उस देश की बरबादी का कारण बन गया है दुनिया का सुपर पॉवर अमेरिका।
तेल से ईरान की कमाई हुई बंद

जी, हाँ ! हम बात कर रहे हैं ईरान की, जिसके पास तेल का अकूत भंडार है। इस देश की कुल कमाई में से आधी कमाई तेल से होती थी, वह विभिन्न देशों को तेल बेचकर पैसा कमाता था। भारत भी ईरान के मित्र देशों में से एक है जो ईरान से सबसे ज्यादा तेल खरीदता था, परंतु पाकिस्तान की हरकतों से परेशान इस देश ने परमाणु हथियार क्या बनाए, अमेरिका को उसका परमाणु सम्पन्न बनना पसंद नहीं आया। पिछले 40 वर्षों से अमेरिका तरह-तरह के प्रतिबंध लगाकर प्रताड़ित करता आया है। पिछले महीने 12 जून को ईरान ने अमेरिका के एक जासूसी ड्रॉन को क्या मार गिराया, तब से अमेरिका और तिलमिलाया हुआ है। इस घटना के बाद उसने ईरान पर प्रतिबंधों को और सख्ती से लागू कर दिया है। तनाव इतना ज्यादा बढ़ गया था कि ऐसा लगने लगा था जैसे अमेरिका ईरान पर हमला करके ही मानेगा। प्रतिबंधों का परिणाम यह हुआ है कि तेल के भंडारों से समृद्ध और दुनिया भर को तेल निर्यात करने वाला ईरान अब बरबादी की कगार पर पहुँच गया है।
परमाणु परीक्षण करने से ईरान पर भड़का अमेरिका

आपको बता दें कि पाकिस्तान ने जैसे आधे कश्मीर पर अवैध कब्जा किया हुआ है, इसी प्रकार उसने बलूचिस्तान पर भी दमन करके कब्जा किया हुआ है। पाकिस्तान जैसे अवैध कब्जे वाले पीओके को आतंकवादी गतिविधियों के लिये उपयोग करता है, वैसे ही पाकिस्तान ईरान से सटे हुए बलूचिस्तान को ईरान में आतंकी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल करता है। पाकिस्तानी हरकतों से परेशान होकर ईरान ने भी परमाणु शक्ति बनने का फैसला किया और परमाणु हथियार बनाकर उनका सफल परीक्षण किया। दूसरी ओर ईरान के इस कदम से सुपर पॉवर अमेरिका भड़क गया। अमेरिका का कहना है कि ईरान का परमाणु सम्पन्न बनना दुनिया के लिये खतरे की घण्टी है। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था अपने 40 साल के इतिहास में सबसे बुरी दशा में पहुँच गई है। इसका असर ईरान की जनता और उसकी दैनिक जरूरतों पर पड़ रहा है। बदहाल अर्थव्यवस्था के कारण ईरान में महँगाई चरम पर पहुँच गई है। ईरान की हालत कितनी खराब है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक साल पहले ईरान में जो रोटी 1000 ईरानी रियाल यानी (1.64 रुपये) में मिलती थी, उसकी कीमत आज 25,000 रियाल यानी (40.91 रुपये) तक पहुँच गई है। इसी प्रकार खाने-पीने की अन्य वस्तुओं के दाम भी तीन से चार गुना तक बढ़ चुके हैं।
ईरान और अमेरिका में ऐसे बढ़ा तनाव

12 जून को अमेरिकी सर्विलांस ड्रॉन को मार गिराए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले का आदेश दे दिया था, हालाँकि ऐन मौके पर वह ऐसा कदम उठाने से पीछे हट गये। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि मुझे कोई जल्दी नहीं है। मैंने हमले को दस मिनट पहले रोक दिया। उधर ड्रॉन गिराने के बाद ईरान ने दावा किया था कि यह जासूसी ड्रॉन उसके वायु क्षेत्र में उड़ रहा था, जबकि अमेरिका का कहना था कि ड्रॉन अंतर्राष्ट्रीय वायु क्षेत्र में था। इस ड्रॉन की कीमत 13 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 900 करोड़ रुपये थी। ट्रंप ने पहले ईरान में कुछ लक्ष्य जैसे रडार और मिसाइल ठिकानों पर हमले की मंजूरी दी और बाद में उसी शाम फैसले को वापस ले लिया। इस बारे में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउण्डेशन के प्रोफेसर हर्ष वी. पंत का कहना है कि यूएस कांग्रेस नहीं चाहती थी कि अमेरिका ईरान से किसी भी युद्ध में फँसे। इतना ही नहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कहीं न कहीं युद्ध में पड़ना नहीं चाहते थे। क्योंकि अभी तक ईरान को लेकर उनकी कोई नीति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
उल्लेखनीय है कि ओमान की खाड़ी में कुछ समय पहले दो तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया था। इसके लिये अमेरिका ने ईरान को जिम्मेदार ठहराया था, जबकि ईरान ने उसका हाथ होने से इनकार किया था। इसी क्षेत्र में गत 12 मई को एक बार फिर चार तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया। तब सऊदी अरब ने इसमें ईरान का हाथ बताया था। ईरान से खतरे को ध्यान में रखते हुए मई-2019 से ही पश्चिम एशिया में अमेरिका ने कई अमेरिकी युद्धपोत और एक विमानवाहक पोत तैनात किया हुआ है। यहाँ अमेरिका ने एक बमवर्षक विमान और कुछ मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं।
भारत पर भी प्रतिबंध लगा चुका है अमेरिका
ज्ञात हो कि ईरान से पहले अमेरिका भारत के भी परमाणु शक्ति बनने के खिलाफ था। 1998 में जब भारत ने गुप्त ढंग से राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, तब अमेरिका ने भारत पर भी कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए थे। अब अमेरिका ने ईरान ईरान से तेल आयात करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है।
ईरान से पहले वेनेजुएला को बरबाद कर चुका है सुपर पॉवर

यह भी उल्लेखनीय है कि लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला भी कच्चे तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। कभी वह देश भी दुनिया का सबसे खुशहाल देश था, परंतु अमेरिकी प्रतिबंधों और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण वह भी लंबे समय से राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। कई वर्षों से आर्थिक संकट का सामना कर रहे वेनेजुएला में तब संकट और गहरा गया जब वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सत्ता से बेदखल करने के लिये विपक्ष के जुआन गुएडो ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। जुआन गुएडो के इस विद्रोह को अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने समर्थन दिया। हालाँकि रूस व चीन मादुरो के साथ हैं। इस कारण इस देश में भीषण राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। लंबे समय से वेनेजुएला में गृहयुद्ध जैसे हालात हैं और अधिकांश लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने को विवश हुए हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते वेनेजुएला में तेल का निर्यात लगभग पूरी तरह से ठप है और महँगाई चरम पर है। जानकारों के अनुसार वेनेजुएला में मुद्रास्फीति दर अगले वर्ष तक एक करोड़ को पार कर जाएगी।
ईरान के लिये यह राहत की बात है कि उसकी जनता उसके शासन के साथ खड़ी है। शासन भी वर्तमान संकट से निपटने के उपाय करने के साथ-साथ जनता को खाने-पीने की वस्तुओं की आपूर्ति की व्यववस्था भी कर रहा है। इससे लोगों को भी राहत मिल रही है। खाने-पीने की वस्तुओं की कमी पूरी करने के लिये सरकार ने 68,000 ऐसे व्यापारियों को लाइसेंस जारी किये हैं, जो ट्रकों और खच्चरों के माध्यम से ईराक से खाने-पीने का सामान ला रहे हैं। इन व्यापारियों के लिये सरकार ने सीमा शुल्क पूरी तरह से खत्म कर दिया है।