हमारे आस-पास की दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जो अपने स्तर पर देश,दुनिया और समाज की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन हम उनसे अंजान हैं। ऐसे ही एक हीरो हैं “जादव पायेंग”। आज दुनिया पर्यावरण की समस्या से जूझ रही है और भविष्य में हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते हैं। लेकिन अभी भी लोग पर्यावरण बचाने को लेकर गंभीर नहीं हुए हैं और दुनियाभर में बदस्तूर बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई चल रही है। लेकिन जादव पायेंग ऐसे इंसान हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन पेड़ लगाने में ही बिता दिया है और आज हालात ये हैं कि उन्होंने असम में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे एक पूरा जंगल खड़ा कर दिया है।
‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’
असम के जोरहाट में रहने वाले जादव पायेंग को “फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है। यह नाम जादव पायेंग ने यूं ही नहीं पा लिया है। इसके लिए जादव ने अपनी जिंदगी के अहम 30-40 साल दिए हैं। इन 30-40 सालों में जादव ने ब्रह्मपुत्र नदी के एक द्विपीय इलाके अरुना सपोरी में अकेले दम पर 1360 एकड़ में फैला जंगल खड़ा कर दिया है, जोकि आज कई जंगली जानवरों और पक्षियों का घर है।
जादव पेयांग की इस प्रेरक यात्रा की शुरुआत साल 1978 में हुई थी, जब पेयांग 10वीं कक्षा के छात्र थे। बता दें कि जादव पेयांग का परिवार पहले ब्रह्मपुत्र नदी के द्विपीय इलाके अरुना सपोरी में रहता था। लेकिन साल 1965 में उनका परिवार जोरहाट शिफ्ट हो गया। इसी बीच 10वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान जादव का अरुना सपोरी आना हुआ। इस दौरान जादव ने देखा कि अरुना सपोरी इलाके में सैकड़ों की संख्या में सांप मरे पड़े हैं। उन्होंने जब सापों के मरने का कारण वहां के लोगों से पूछा तो लोगों ने बताया कि पेड़-पौधे ना होने के कारण सांपों का बाढ़ के पानी से बचाव नहीं हो पाया और उनकी मौत हो गई। इस घटना ने जादव पायेंग को अंदर तक झकझोर दिया और यहीं से उनके फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया बनने की शुरुआत हुई।
इसके बाद जादव पायेंग ने ब्रह्मपुत्र नदी के द्विपीय इलाके अरुना सपोरी में वृक्षारोपण करना शुरु किया। साल 1979 से शुरुआत कर जादव अब तक 1300 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में वृक्षारोपण कर पूरा एक जंगल खड़ा कर चुके हैं। आज उनकी उम्र 50 साल से भी ऊपर है और उनके द्वारा रोपा गया जंगल आज 5 रॉयल बंगाल टाइगर, 100 से भी ज्यादा हिरणों, भालू, गिद्धों और कई प्रजाति के पक्षियों का घर है। बेशक कई सांप भी इस जंगल के निवासी हैं, जिनके कारण ही शायद इस कहानी की शुरुआत हुई थी।
‘पद्मश्री जादव पायेंग
बता दें कि पायेंग के इस महान और सराहनीय काम के लिए भारत सरकार साल 2015 में उन्हें “पद्मश्री” सम्मान से भी नवाज चुकी है। इसके अलावा जादव पायेंग को देश की प्रसिद्ध “जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी” ने साल 2012 में सम्मानित करते हुए “फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया” के उपनाम से भी नवाजा था। इतना ही नहीं देश के साथ साथ विदेश में भी जादव पायेंग को सम्मान मिल चुका है। साल 2015 में ही जादव को फ्रांस में आयोजित हुई “सातवीं ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट” की बैठक के दौरान भी सम्मानित किया गया था।
जादव पायेंग यहीं पर नहीं रुके हैं और अब 5000 एकड़ क्षेत्र में वृक्षारोपण करने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। जादव पायेंग का अपनी इस उपलब्धि पर कहना है कि “सम्मान मिलना हमेशा प्रेरित करता है, लेकिन मेरा उद्देश्य हमेशा देश की भलाई रही है।” वृक्षारोपण पर जादव पायेंग का कहना है कि “देश के प्रत्येक नागरिक को अपने जीवन में कम से कम 2 पेड़ लगाने चाहिए। लेकिन अगर हम ऐसा नहीं करते हैं और इसी तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते रहे तो एक दिन इस धरती पर कुछ नहीं बचेगा, कुछ भी !”