रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 20 दिसंबर, 2019 (युवाPRESS)। 13 मई 2008 मंगलवार को गुलाबी नगरी जयपुर एक अमंगलकारी काली करतूत के चलते निर्दोष लोगों के रक्त से लाल हो गई थी। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में 8 बम धमाकों ने राजस्थान की राजधानी को दहला कर रख दिया था। इन धमाकों में 71 लोगों की जान चली गई और 176 लोग घायल हुए थे। जयपुर को दहलाने वाले इंडियन मुज़ाहिद्दीन नामक आतंकी संगठन के 13 आतंकी थे, जिनमें से दो इस घटना के कुछ दिन बाद ही दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर में पुलिस के हाथों मारे गये थे। बचे हुए 11 में से 3 आतंकी अभी भी फरार हैं, जबकि 3 जेल में हैं। इनके अलावा जयपुर के 4 अपराधियों को शुक्रवार को दिल्ली की विशेष अदालत ने फाँसी की सज़ा सुना दी है, जबकि एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
10 जगहों पर साइकिल में बम प्लांट किये गये थे

जयपुर बम ब्लास्ट की घटना का 11 साल, 7 महीने और 7 दिन बाद जब फैसला आया तो पीड़ित परिवारों ने राहत की सांस ली। क्योंकि अब घटना के षड़यंत्रकारियों और घटना को अंजाम देने वाले भी उनके अंजाम तक पहुँच गये हैं। नई दिल्ली की विशेष अदालत के न्यायाधीश अजयकुमार शर्मा ने जिन 4 दोषियों को फाँसी की सज़ा सुनाई है, उनमें मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आज़मी और मोहम्मद सलमान शामिल हैं। अदालत ने इन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दो दिन पहले ही अदालत ने अलग-अलग धाराओं के तहत इन्हें दोषी ठहराया था। इनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ 302, 307, 324, 326, 120बी, 121ए, 124ए और 153ए शामिल हैं। इसके अलावा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3 तथा विधि के विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 13, 16, 1ए और 18 के तहत भी दोषी ठहराया है। पुलिस ने आरोपी शाहबाज़ हुसैन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। शाहबाज़ पर बम धमाकों के अगले दिन धमाकों की जिम्मेदारी लेने वाला ईमेल भेजने का आरोप था। दोषियों ने चांदपोल के हनुमान मंदिर, सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर, त्रिपोलिया बाजार, जौहरी बाजार, माणक चौक, बड़ी चौपड़ और छोटी चौपड़ सहित 8 जगहों पर बम ब्लास्ट किया था। यह बम साइकिल के जरिये इन जगहों पर प्लांट किये गये थे। जबकि एक बम निष्क्रिय कर दिया गया था। बम इस तरह से प्लांट किये गये थे कि 12 मिनट के भीतर एक के बाद एक बम ब्लास्ट होने से पूरे शहर में तहलका मच गया था। पूरा षड़यंत्र सावधानी से रचा गया था और बम इतने शक्तिशाली थे कि कई लोगों के जिस्म के चीथड़े उड़ गये थे तो कुछ लोगों के जिस्म कई फुट ऊँचे उछल गये थे। अनेक घायलों ने हाथ, पैर, आँख जैसे अंगों को गँवा दिया।
अदालत ने सुनीं 1,296 गवाही
इस घटना के बाद प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) का गठन करके मामले की जाँच शुरू की थी। एटीएस ने इस मामले में 13 आतंकियों को नामजद किया था और 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। हैदराबाद पुलिस ने भी इस मामले से जुड़े 2 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी एक आतंकी आरिफ खान उर्फ जुनैद को गिरफ्तार किया था, जबकि 3 आरोपी अभी भी फरार हैं। 2 आरोपियों को उसी साल दिल्ली में हुए बाटला हाउस एन्काउंटर में पुलिस ने मार गिराया था। आरोपियों के विरुद्ध पिछले एक साल के दौरान सुनवाई तेज की गई थी। इस मामले में लगभग 1,296 गवाहों के बयान दर्ज किये गये थे।
आतंकी कर्नाटक से लाये थे विस्फोटक और डिटोनेटर
पूछताछ में हुए खुलासे के अनुसार जुनैद 2008 में ही दिल्ली, जयपुर और अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अलावा उत्तर प्रदेश की एक अदालत में भी ब्लास्ट करने का मुख्य आरोपी है। जयपुर ब्लास्ट से पहले जुनैद आतिफ अमीन नामक आतंकी के साथ कर्नाटक के उडुपी से विस्फोटक लेने गया था, जहाँ होटल में दोनों खूँखार आतंकी यासीन भटकल और रियाज़ भटकल से मिले थे, जिन्होंने उन्हें एक अन्य होटल में बड़ी संख्या में डिटोनेटर दिये थे। इसके बाद ब्लास्ट से दस दिन पहले ही जुनैद, आतिफ अमीन और अन्य साथियों के साथ जयपुर आया था। यह लोग तीन अलग-अलग टीमों में दिल्ली से जयपुर पहुँचे थे। घनी आबादी वाले इलाकों की रेकी करने के बाद दिल्ली लौट गये थे। इसके बाद उन्होंने आईईडी को 10 जगहों पर प्लांट किया था। इनमें से एक आईईडी फेल हो गया था, जबकि एक आईईडी ब्लास्ट होने से पहले पुलिस ने निष्क्रिय कर दिया था। 8 आईईडी ब्लास्ट हुए थे।