अहमदाबाद 31 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। धारा 370 हटाने के भारत के फ़ैसले को कश्मीर और कश्मीरियों के विरुद्ध बताने का झूठा प्रचार कर रहे पाकिस्तान को आज उसी कश्मीर के जवानों ने फिर एक बार ज़ोरदार कश्मीरी थप्पड़ मारा और पाकिस्तान के कश्मीर हितैषी होने के ड्रामा पर करारी चोट पहुँचाई। पाकिस्तान 370-370 चिल्ला रहा है, परंतु श्रीनगर से उसी पाकिस्तान को एक साथ 575 मुँहतोड़ मुक्के मिले।
श्रीनगर में शनिवार को जो हुआ, उसने यह सिद्ध कर दिया कि कश्मीर की आम जनता खास कर युवा इस बात को अच्छी तरह समझे चुके हैं कि शांति न केवल उनके लिए, अपितु कश्मीर के विकास और देश के हित के लिए सर्वोच्च आवश्यकता है। कश्मीरियों से अपनेपन का ढोंग करने वाला पाकिस्तान अब इस बात को अब अच्छे से समझ गया है कि उसकी कुटिल नीति अब पुरानी हो चुकी है। धारा 370 हटने के बाद वह अब जम्मू-कश्मीर की जनता को भड़का कर ग़लत राह पर नहीं ले जा सकता। पाकिस्तान की इस कुटिलता को शनिवार को उस समय क़रार जवाब मिला, जब 575 कश्मीरी युवक भारतीय सेना में शामिल हुए। कश्मीरियों को बरगला कर अब तक आतंक की राह पर ले जाने वाले पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर के इन युवकों ने भारतीय सेना में भर्ती होकर जोरदार कश्मीरी तमाचा जड़ा है। इन्होंने यह साबित कर दिया कि भारत माता के वीर सपूत भारत के हर कोने में बसे हुए हैं। कश्मीर के ये 575 युवक भारतीय सेना के जिस बेड़े में शामिल हुए हैं, उसका नाम है जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (Jammu and Kashmir Light Infantry) यानी JAK LI रेजीमेंट। जेएके एलआई सेंटर की पासिंग आउट परेड में इन सभी नवयुवकों ने भारी जोश के साथ भारतीय सेना में एंट्री ली और राष्ट्र विरोधियों तथा आतंकवादियों के विरुद्ध लड़ने के अभियान में शामिल हो गए।
क्या है 72 वर्ष पुरानी JAK LI रेजीमेंट ?

जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (Jammu and Kashmir Light Infantry ) यानी JAK LI रेजीमेंट उस समय अस्तित्व में आई। जब पाक की नापाक आँखें कश्मीर को पाने के सपने देख रही थी। दरअसल स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही वर्ष 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्ज़ा करने के लिए कबाइलियों के भेष में भारत पर आक्रमण किया था। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए इस पहले युद्ध के बाद ही भारतीय सेना ने जम्मू, लेह, नुब्रा आदि के स्थानीय युवकों की एक सेना तैयार की, जो गृह मंत्रालय के अधीन थी। इसे Militia यानी नागरिक सेना बल नाम दिया गया। सेना की इस टुकड़ी को जम्मू-कश्मीर की सीमा पर तैनात किया गया। सेना की इस टुकड़ी ने 1947 के उस युद्ध के बाद पाकिस्तान को भारत की सीमा पर कदम भी नहीं रखने दिया।

भारत की हर मुश्किल घड़ी में नागरिक सेना बल ने डट कर सामना किया। जब 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा युद्ध हुआ, तो अपने शौर्य और वीरता का प्रदर्शन करते हुए नागरिक सेना बल मिलिटिया ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। जवानों के बलिदान और साहस को देखते हुए 1972 में नागरिक सेना बल मिलिटिया को गृह मंत्रालय से हटा कर रक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ लाया गया औरएक पूर्ण सैन्य रेजीमेंट में बदल दिया गया। ब्रिगेडियर पुवार रेजीमेंट के पहले कर्नल बने। 1976 में रेजीमेंट का नाम बदलकर जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री JAK LI रेजीमेंट कर दिया गया। जेएके एलआई भारतीय सेना की एक पैदल सेना रेजीमेंट है, जिसकी स्थापना श्रीनगर के अवंतिपुर स्थित हवाई अड्डा परिसर में की गई है। इस रेजीमेंट की पहचान इसके बिल्ले पर बने 2 क्रॉस राइफल की एक जोड़ी से की जाती है। वर्तमान समय में JAK LI के सैन्य-बल की 17 यूनिट भारत माता की सुरक्षा में समर्पित है। रेजीमेंट में अधिकांशत: जम्मू-कश्मीर राज्य के युवकों को सैनिक के रूप में भर्ती किया जाता है, जिसमें जिसमें 50 प्रतिशत सैनिक मुस्लिम होते हैं। अब तक 1 परम वीर चक्र, 3 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 24 वीर चक्र, 4 शौर्य चक्र और 56 सेना पदक पाने वाली जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण सामरिक रेजीमेंट है।