नई दिल्ली। आधी आबादी माने जानी वाली स्त्रियाँ सिर्फ घर- परिवार ही नहीं संभाल रही हैं अपितु पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। वे आज न सिर्फ अपना परिवार चला रही हैं बल्कि अपने वजूद के लिए लड़ भी रही हैं। दुनिया के तमाम क्षेत्रों में स्त्रियाँ आज अपनी कामयाबी का लोहा मनवा रही हैं ।ndian Administrative Service देखा जाए तो भारत की सबसे बड़ी competitive exam है। इसमें select होने पर बड़ी जिम्मेदारी का भी वहन करना पड़ता है।
आइए आपको मिलवाते हैं देश की उन महिला IAS OFFICERS से जो न सिर्फ देश की सेवा कर रही हैं अपितु उन्हें आम जनता से honest होने का सम्मान भी प्राप्त है।
देश की रीढ़ होते हैं OFFICERS
देश की बागडोर असल मायने में अफसरों के हाथ में होती है। यदि नौकरशाही दुरुस्त हो तो कानून-व्यवस्था चाकचौबंद रहती है। जिस तरह से corruption का दीमक administration को खोखला किए जा रहा है, लोगों का उससे विश्वास उठता जा रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी IAS और IPS अफसर OFFICERS हैं, जो अपनी साख बचाए हुए हैं। उनके कारनामे आज मिशाल के तौर पर पेश किए जा रहे हैं। YuvaPress ऐसे ही प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के बारे में आपको बता रहा है।
स्मिता सबरवाल (Smita Sabhrwal )
कॉमर्स से ग्रेजुएट स्मिता ने महज 23 साल की उम्र में IAS परीक्षा पास कर ली थी और उन्हें ऑल इंडिया रैंकिंग All India Ranking में चौथा स्थान मिला था। स्मिता सबरवाल की पहली posting नियुक्ति चित्तूर जिले district में बतौर सब-कलेक्टर Sub Collector हुई और फिर आंध्र प्रदेश के कई जिलों में एक दशक तक काम करते रहने के बाद उन्हें अप्रैल, 2011 में करीमनगर जिले का डीएम DM बनाया गया।
प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित
यहां उन्होंने हेल्थ केयर सेक्टर में ‘अम्माललाना’ प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस प्रोजेक्ट की सफलता के चलते स्मिता को प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड (Prime Minister’s Excellence Award) भी दिया गया। स्मिता के करीमनगर में बतौर डीएम तैनात रहने के दौरान ही करीमनगर को बेस्ट टाउन ‘Best Town’ का भी अवॉर्ड भी मिला चुका है।
2001 बैच की आईएएस अफसर स्मिता सबरवाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। स्मिता को जनता के अफसर के तौर पर जाना जाता है।
संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar)
असम की महिला IPS अफसर संजुक्ता पराशर बहादुरी का दूसरा नाम हैं। वह साल 2006 बैच की IPS oअफसर हैं, जो असम के सोनितपुर जिले में बतौर एसपी तैनात हैं।
बोडो उग्रवादियों के खिलाफ मुहिम में अहम रोल
संजुक्ता पराशर बोडो उग्रवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। उनके नेतृत्व में पुलिस उग्रवादियों के लिए काल बन गई है। इस ऑपरेशन में उन्होंने 2015 में करीब 16 आतंकियों को मार गिराया, जबकि 64 को गिरफ्तार किया। 2014 में 175 और 2013 में 172 आतंकियों को जेल पहुंचाया दिया।
संजुक्ता ने राजनीति विज्ञान से दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से ग्रेजुएट किया है। इसके बाद JNU से इंटरनेशनल रिलेशन में PG और US फॉरेन पॉलिसी में MPhil और Phd किया है। साल 2006 बैच की IPS संजुक्ता ने सिविल सर्विसेज में 85वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने मेघालय-असम कॉडर को चुना। असम उनका गृह राज्य भी है।
साल 2008 में उनकी पहली पोस्टिंग माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई। उसके बाद उदालगिरी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हुई हिंसा को काबू करने के लिए भेज दिया गया। संजुक्ता ने IAS अफसर पुरु गुप्ता से शादी की है, जो असम-मेघालय कॉडर में नियुक्त हैं। उनका एक बेटा है। उसकी देखरेख उनकी मां करती हैं।
यूपीएससी परीक्षा में संजुक्ता की की रैंक 85वीं थी| अगर वो चाहती तो आईएएस में जा सकती थीं उन्हें आसानी से डेस्क जॉब मिल जाती लेकिन संजुक्ता ने आइपीएस का रास्ता चुना ।
दुर्गा शक्ति नागपाल (Durga Shakti Nagpal)
दुर्गा शक्ति नागपाल 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। यूपीएससी परीक्षा में 20वां रैंक हासिल करने वाली नागपाल मूल रूप से छत्तीसगढ़ की हैं। उन्होंने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है। प्रशिक्षण के बाद दुर्गा शक्ति नागपाल को पंजाब काडर मिला था लेकिन उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह से शादी के बाद वे यूपी काडर में आ गईं।
28 वर्षीय दुर्गा शक्ति नागपाल गौतमबुद्ध नगर में एसडीएम (सदर) पद पर कार्यरत थीं। उन्हें 27 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप्रदायिक सदभाव बिगाड़ने के आरोप में निलंबित कर दिया। हालाँकि विपक्ष के मुताबिक उन्हें रेत खनन माफ़िया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के कारण निलंबित किया गया
इरा सिंघल (Ira Singhal)
UPSC सिविल सर्विस एग्जाम 2014 की टॉपर इरा सिंघल की कहानी से हर कोई प्रेरणा ले सकता है। शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद वो UPSC की जनरल कैटगरी में टॉप करने वाली देश की पहली प्रतिभागी हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर जुनून और जज्बा हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको अपनी मंजिल हासिल करने से नहीं रोक सकती। जानिए इरा के बारे में सबकुछ:
इरा ने 2010 में सिविल सर्विस एग्जाम दिया था और तब उन्हें 815वीं रैंक मिली थी । शारीरिक रूप से विकलांग होने की वजह से उन्हें पोस्टिंग नहीं दी गई। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में केस दायर किया । 2014 में केस जीतने के बाद उन्हें हैदराबाद में पोस्टिंग मिली। इस बीच उन्होंने अपनी रैंक सुधारने के लिए कोशिशें जारी रखीं। आखिरकार अपने चौथे प्रयास में उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम की जनरल कैटेगरी में टॉप किया।
इरा रीढ़ से संबंधित बीमारी स्कोलियोसिस से जूझ रही हैं। इसके चलते उनके कंधों का मूवमेंट ठीक से नहीं हो पाता है। हालांकि उन्होंने कभी अपनी बीमारी को आड़े नहीं आने दिया और उनकी सफलता इसी बात का प्रमाण है।