रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 9 सितंबर, 2019 (युवाPRESS)। 16वीं सदी के विदूषक तेनाली राम के किस्से-कहानियाँ तो आपने पढ़े ही होंगे। उन पर कई धारावाहिक (टी.वी. सीरियल) भी बन चुके हैं, जो पूर्व में दूरदर्शन पर आ चुका है और अब सोनी एंटरटेनमेंट चैनल के सब टीवी पर आता है। तेनाली राम अपने बुद्धि चातुर्य और हास्य बोध के कारण प्रसिद्ध हुए थे। वह तेलुगू भाषा के विकट कवि भी थे, परंतु हम बात कर रहे हैं 21वीं सदी में पैदा हुए नये तेनाली राम की, जिसने भी अपने असीम बौद्धिक कौशल्य का परिचय देते हुए मात्र 16 वर्ष की उम्र में इतिहास रच दिया है। इस किशोर को उसकी अनुपम उपलब्धि के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई दी है।
कौन है आधुनिक तेनाली व क्या है उसकी उपलब्धि ?

अब हम आपको बताते हैं कि वह आधुनिक तेनाली राम कौन है और उसने क्या पराक्रम किया है जिसके कारण उसे पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई दी है। दरअसल एक तरफ चंद्रयान-2 को लेकर भारत और उसकी विज्ञान टेकनोलॉजी के चर्चे पूरी दुनिया में हो रहे हैं, वहीं देश का एक वर्ग अपनी प्राचीन सनातनी संस्कृति को आगे बढ़ाने में योगदान दे रहा है। इसमें तमिलनाडु की कांची मठ द्वारा ली जाने वाली तेनाली परीक्षा जिसे महापरीक्षा भी कहा जाता है, पिछले 40 सालों से लोकप्रिय है, जो वेद और न्याय शास्त्र पर आधारित है। यह परीक्षा वही लोग दे सकते हैं, जिन्होंने वेदों और प्राचीन भारतीय न्याय शास्त्रों का अध्ययन किया हो। इसी महा परीक्षा में एक 16 वर्ष के किशोर प्रियव्रत ने सफलता प्राप्त करके सबसे कम उम्र में यह परीक्षा पास करने का इतिहास रच दिया है। गोवा के श्री देवदत्त पाटिल और उनकी धर्मपत्नी अपर्णा के 16 वर्ष के पुत्र प्रियव्रत ने अपने पिता से वेदों और न्याय शास्त्रों की शिक्षा ली। इसके बाद मोहन शर्मा से महा ग्रंथ व्याकरण का ज्ञान अर्जित किया। तत्पश्चात कांची मठ द्वारा ली जाने वाली तेनाली परीक्षा में भाग लिया और यह महापरीक्षा पास करके इतिहास रच दिया।
चामू कृष्णा शास्त्री ने इस प्रियव्रत की अभूतपूर्व सफलता को लेकर अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया तो प्रियव्रत की सफलता से आकर्षित हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने चामू कृष्णा शास्त्री के ट्वीट पर रीट्वीट करके प्रियव्रत को उसकी अपूर्व सफलता के लिये बधाई दी। पीएम ने यह भी लिखा कि प्रियव्रत की उपलब्धि अन्य युवाओं के लिये भी प्रेरणास्रोत बनेगी।
क्या होती है तेनाली परीक्षा ?

तेनाली परीक्षा या महा परीक्षा साल में दो बार आयोजित होती है। इसमें 14 लेवल (सेमेस्टर) होते हैं। शास्त्रों का अध्ययन करने वाले छात्र ही इस परीक्षा में भाग ले सकते हैं। 2015 से इंडिक एकेडमी तेनाली परीक्षा को सपोर्ट कर रही है। यह संस्थान एक ओपन यूनिवर्सिटी की तरह काम करता है। यह संस्थान लगभग 40 छात्रों को विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन करने में मदद करता है। इसके अंतर्गत शिष्य अपने गुरु के यहाँ रहकर ‘गृह गुरुकुलम पद्धति’ से ज्ञानार्जित करता है। इसके बाद हर छह महीने में गुरु अपने शिष्यों को लेकर तेनाली परीक्षा के लिखित और मौखिक टेस्ट के लिये कांची मठ आते हैं। 5 से 6 साल के गहन अध्ययन के बाद छात्र महापरीक्षा देने के योग्य बनते हैं। 14 लेवल की महापरीक्षा पास करने पर विद्यार्थियों को कांची मठ की ओर से मान्यता स्वरूप प्रमाणपत्र दिया जाता है। 2019 की तेनाली परीक्षा पास करके प्रियव्रत आधुनिक युग का नया तेनाली राम बन गया है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी सोमवार को ट्विटर के माध्यम से प्रियव्रत और उसके परिवार को गौरवशाली उपलब्धि के लिये बधाई दी और कहा कि तुम हमारे गौरव और लोगों के लिये प्रेरणास्रोत हो।