रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 15 सितंबर, 2019 (युवाPRESS)। त्रेतायुग में श्रवण कुमार नाम के एक आदर्श पुत्र ने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठा कर उन्हें चार धाम की तीर्थ यात्रा कराई थी। उस समय जब भौतिक संसाधनों की कमी थी और रेलवे, बस तथा हवाई सेवाएँ भी नहीं थी, जो सेवाएँ उपलब्ध थीं, वह भी सामान्य लोगों की पहुँच से दूर थी, तब अत्यंत दुर्गम कहलाने वाली तीर्थ यात्रा कराने वाले इस सुपुत्र की जितनी प्रशंसा की जाए, उसके प्रति जितनी कृतज्ञा व्यक्त की जाए, उतनी कम है। दूसरी तरफ कलियुग में, उसमें भी वर्तमान 21वीं सदी में सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध होते हुए भी ऐसे चरित्रवान सुपुत्र विरला ही देखने को मिलते हैं। आधुनिक जीवन शैली में जब परिवार टूट कर बिखर गये हैं। यहाँ तक कि स्वयं को मॉडर्न और सुशिक्षित कहने वाले समाज ने ही वृद्धजनों की सेवा करना तो दूर की बात है, उन्हें उपेक्षित करके वृद्धाश्रमों में धकेल दिया है। ऐसे में जब कोई बेटा अपने वृद्ध माता-पिता के लिये कोई भी श्रेष्ठ कार्य करता है, तो हमें उसे ‘आधुनिक श्रवण कुमार’ का टैग देने में कोई गुरेज़ नहीं करना चाहिये। बेटों के लिये ऐसा ही प्रेरणादायी काम कर रहे हैं कर्नाटक के मैसूर में रहने वाले 40 साल के इंजीनियर डॉ. कृष्ण कुमार, जो अपनी बूढ़ी माँ को स्कूटर पर देश के तीर्थ स्थानों के दर्शन कराने निकले हैं।
अभी तक कई राज्यों की तीर्थ यात्रा कर चुके हैं कृष्ण कुमार
21वीं सदी के श्रवण कुमार यानी कृष्ण कुमार मातृ सेवा संकल्प यात्रा पर हैं। वह अपनी 70 साल की बूढ़ी माँ की हर छोटी-बड़ी इच्छा पूरी करने का प्रयास करते हैं। इन दिनों वह अपनी माँ को अपने पुराने चेतक स्कूटर पर बैठाकर देश और दुनिया के तीर्थ स्थलों के दर्शन करवाने निकले हैं।

उन्होंने अपनी यात्रा 16 जनवरी-2018 को मैसूर से ही शुरू की थी। इसके बाद वह कर्नाटक के कई तीर्थों की यात्रा करवा कर केरल गये, वहाँ से तमिलनाडु, फिर पुड्डुचेरी, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और सिक्किम तक की यात्रा कर चुके हैं। इतना ही नहीं, उनकी तीर्थ यात्रा यहीं नहीं रुकी, वह नेपाल और भूटान तक भी जा आये हैं। पिछले डेढ़ साल से भी अधिक समय में वह अपनी माँ को देश के उपरोक्त राज्यों में 17 बड़े तीर्थ और धार्मिक स्थलों के दर्शन करवा चुके हैं। वह 4,669 कि.मी. से भी अधिक यात्रा कर चुके हैं।

अब वे अपनी माँ को उस अरुणाचल प्रदेश लेकर जा रहे हैं, जहाँ अरुण यानी सूर्य सबसे पहले उदय होते हैं। वे वहाँ अपनी माँ को परशुराम कुंड के दर्शन करवाएँगे। ऐसे समय में जब वृद्ध और लाचार माता-पिता के साथ बेटे और बहू की ओर से किये जाने वाले दुर्व्यवहार के वीडियो और खबरें सोशल मीडिया पर अक्सर देखने को मिलते हैं, इस आधुनिक श्रवण कुमार की उसी सोशल मीडिया पर जम कर चर्चा हो रही है। क्योंकि उन्होंने स्कूटर पर अपनी माँ को कई तीर्थों के दर्शन करवा कर इतिहास रच दिया है।
क्या कहती हैं कृष्ण कुमार की माँ ?
कृष्ण कुमार की माँ चूड़ारत्न कहती हैं कि वह कृष्ण कुमार जैसे बेटे को पाकर अत्यंत खुश हैं। उनका कहना है कि चार साल पहले जब उनके पति का निधन हुआ, तब से ही बेटा कृष्ण कुमार उनकी बहुत अच्छे से देख भाल कर रहा है। वह उनकी हर छोटी से छोटी ख्वाहिश को पूरा करता है। उनकी तीर्थ यात्रा की ख्वाहिश पूरी करने के लिये वह उन्हें स्कूटर पर देश – दुनिया घुमा रहा है।
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