विश्लेषण : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 27 मई, 2019। केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा-एनडीए सरकार की वापसी के साथ ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370, 35ए के हटने का रास्ता और अयोध्या में राम मंदिर बनने का भी रास्ता आसान होने के आसार प्रबल हो गए हैं। इसके अलावा आतंकवाद प्रभावित कश्मीर से लद्दाख को अलग कर केन्द्र शासित राज्य बनाने का भी मोदी सरकार का प्लान है, जिस पर वह आगे बढ़ सकती है।
भाजपा ने चुनावी घोषणापत्र में किया था वादा

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिये जारी किये अपने घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाने का वादा किया था। इस वादे के चलते पार्टी को जम्मू-कश्मीर में चुनावी फायदा भी हुआ है और वह जम्मू-कश्मीर की 6 में से तीनों पिछली सीटें जम्मू, ऊधमपुर और लद्दाख को अपने कब्जे में रखने में सफल रही है। खासकर जम्मू की ऊधमपुर और जम्मू सीट पर भाजपा को शानदार जीत मिली है। वैसे 2014 में भी यह दोनों सीटें भाजपा के पास ही थी, परंतु उस समय उसे बहुत कम अंतर से जीत मिली थी, जबकि इस बार इन दोनों सीटों पर भारी बढ़त के साथ कब्जा किया है। इसी प्रकार लद्दाख की सीट पर भी भाजपा ने कब्जा बरकरार रखा है। हालाँकि कश्मीर की अनंतनाग, श्रीनगर और बारामूला लोकसभा सीटें जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में गई हैं। राज्य में सबसे बड़ा उलटफेर अनंतनाग सीट पर हुआ, जहाँ जेकेएनसी के प्रत्याशी और हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस हसनैन मसूदी ने राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की मुखिया महबूबा मुफ्ती को हरा दिया। उनकी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली।
नहीं चली विपक्ष की ब्लैकमेलिंग की राजनीति

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर को लेकर किये गये वादे का उसे फायदा मिला है। इस वादे ने जम्मू क्षेत्र के मतदाताओं को आकर्षित किया, वहीं दूसरी ओर इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन कर रही नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने इन धाराओं को लेकर मतदाताओं को ब्लैकमेल करने की रणनीति अपनाई थी, जिसे मतदाताओं ने नकार दिया। उनकी नकारात्मक राजनीति से मतदाता नाराज़ हो गये और उनके वोट भाजपा की झोली में आ गिरे।
लद्दाख बनेगा केन्द्र शासित प्रदेश

इसी प्रकार लद्दाख क्षेत्र की एकमात्र सीट पर भाजपा प्रत्याशी 2014 में मात्र 36 वोटों से जीता था, जिसकी जीत का अंतर इस बार बढ़कर 10 हजार वोटों का हो गया। इसका कारण यह रहा कि एक तो राज्य के गवर्नर ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लद्दाख को डिवीजन का दर्जा दिया और इस क्षेत्र में एक विश्व विद्यालय को भी स्वीकृति दी। इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की थी। राजनीतिक पंडितों की मानें तो पीएम की इस घोषणा ने भी इस सीट की वोटिंग पर काफी असर डाला।
अब बन जाएगा राम मंदिर भी !

अब बात करें राम मंदिर की तो यह मुद्दा लोकसभा चुनाव से पहले खूब उछला था। चूँकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिये भाजपा नेता इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे थे, वहीं विश्व हिन्दू परिषद और साधु-संत केन्द्र सरकार पर दबाव बना रहे थे कि अलग से अध्यादेश लाकर राम मंदिर बनवाने की प्रक्रिया शुरू की जाये। इसी दौरान प्रधानमंत्री से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय आता है यह पहले देख लेते हैं। इसके पीछे उनकी मंशा साफ थी कि अगर बिना कुछ किये सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के हक में आ जाता है तो शांतिपूर्ण ढंग से इस मसले का हल निकल आएगा। अन्यथा आवश्यकता पड़ने पर अध्यादेश लाने का रास्ता खुला है।
अब जब दोबारा मोदी सरकार केन्द्र में बहुमत के साथ लौट आई है तो यह भी उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी और भाजपा अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने की दिशा में भी आम सहमति बनाने के प्रयास तेज करेंगे और संभवतः 2024 से पहले तमाम अटकलों को दूर करके राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाएंगे।