अहमदाबाद 21 दिसंबर, 2019 युवाPRESS। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध पिछले एक सप्ताह से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। शनिवार को बिहार में राजद ने बंद बुलाया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने गांधी सेतु जाम कर दिया, पटना-हाजीपुर में आगजनी की। वैशाली में राजद कार्यकर्ताओं ने मवेशियों के साथ एनएच 77 को जाम कर दिया। मवेशियों पर टंगे पोस्टरों में लिखा था- मैं विदेशी नहीं हूं और एनआरसी बिल और सीएए का विरोध करता हूं। सरकार और अधिवियम के विरुद्ध प्रदर्शन को दौरान उत्तर प्रदेश में हिंसा के चलते अब तक 14 लोग बलि चढ़ चुके हैं। हिंसा के इस माहैल में संशोधित नागरिकता अधिनियम के समर्थन में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 1,000 से अधिक शिक्षाविदों ने शनिवार को एक बयान जारी किया। इस बयान में इन शिक्षाविदों ने भुलाए गए अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने और भारत के सभ्यतागत स्वभाव को बरकरार रखने तथा धार्मिक प्रताड़ना के कारण भागकर आने वालों को शरण देने के लिए संसद को बधाई दी।
शिक्षाविदों का कहना है कि यह संशोधन धार्मिक आधार पर सताए जाने पर पलायन करने को मजबूर लोगों के लिए सुरक्षित पनाह देता है। संशोधित नागरिकता अधिनियम (Citizenship Amendment Act) का समर्थन करने वालों में शिक्षाविदों में दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू, इग्नू, कई आईआईटी और दुनिया के कई बड़े संस्थानों में पढ़ाने वाले भारतीय भी शामिल हैं।
संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को अवैध शरणार्थी नही माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार की रात नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को अपनी सहमति दी और इसके साथ ही ये विधेयक कानून बन गया।
रिपोर्ट : तारिणी मोदी
अहमदाबाद 21 दिसंबर, 2019 युवाPRESS। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध पिछले एक सप्ताह से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। शनिवार को बिहार में राजद ने बंद बुलाया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने गांधी सेतु जाम कर दिया, पटना-हाजीपुर में आगजनी की। वैशाली में राजद कार्यकर्ताओं ने मवेशियों के साथ एनएच 77 को जाम कर दिया। मवेशियों पर टंगे पोस्टरों में लिखा था- मैं विदेशी नहीं हूं और एनआरसी बिल और सीएए का विरोध करता हूं। सरकार और अधिवियम के विरुद्ध प्रदर्शन को दौरान उत्तर प्रदेश में हिंसा के चलते अब तक 14 लोग बलि चढ़ चुके हैं। हिंसा के इस माहैल में संशोधित नागरिकता अधिनियम के समर्थन में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 1,000 से अधिक शिक्षाविदों ने शनिवार को एक बयान जारी किया। इस बयान में इन शिक्षाविदों ने भुलाए गए अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने और भारत के सभ्यतागत स्वभाव को बरकरार रखने तथा धार्मिक प्रताड़ना के कारण भागकर आने वालों को शरण देने के लिए संसद को बधाई दी।
शिक्षाविदों का कहना है कि यह संशोधन धार्मिक आधार पर सताए जाने पर पलायन करने को मजबूर लोगों के लिए सुरक्षित पनाह देता है। संशोधित नागरिकता अधिनियम (Citizenship Amendment Act) का समर्थन करने वालों में शिक्षाविदों में दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू, इग्नू, कई आईआईटी और दुनिया के कई बड़े संस्थानों में पढ़ाने वाले भारतीय भी शामिल हैं।
संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को अवैध शरणार्थी नही माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार की रात नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को अपनी सहमति दी और इसके साथ ही ये विधेयक कानून बन गया।
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