मुंबई (Mumbai) के कमला मिल्स (Kamala Mills) इलाके के एक पब में लगी आग और उसमें 14 लोगों की मौत की घटना से अभी तक देश उबरा भी नहीं था कि कल रात एक बार फिर मुंबई के मरोल (Marol) इलाके में आग लग गई। इस हादसे में (Mumbai Marol Fire) 4 लोगों की मौत हो गई है, वहीं 5 अन्य लोग घायल हुए हैं। फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है।
क्या है मामला
घटना तड़के 2 बजे के करीब की है, जब मुंबई के मरोल इलाके में स्थित मैमून मंजिल नाम के एक रिहायशी इमारत में आग लग गई। आग इमारत के चौथे फ्लोर पर लगी। सूचना के तुरंत बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंची और हादसे में घायल 9 लोगों को अस्पताल पहुंचाया। फायर ब्रिगेड की 8 गाड़ियों की मदद से आग पर काबू पाया गया। घायलों में से 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 5 की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। मारे गए लोगों की शिनाख्त सकीना कापासी, मोहिन कापासी, तस्लीम कापासी और दाऊद कापासी के रुप में हुई है।
कब जागेंगी सरकारें ?
आग लगने की लगातार हो रहीं घटनाएं सोचने पर मजबूर करती हैं कि इन हादसों के लिए आखिर कौन जिम्मेदार हैं ? जब इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की जाती है तो कहीं ना कहीं इसके पीछे सरकार और प्रशासनिक संस्थाओं की लापरवाही ही उजागर होती है। “हिंदुस्तान टाइम्स” की एक खबर के अनुसार, आग लगने का सबसे बड़ा कारण कुकुरमुत्तों की तरह उगते पब और रेस्तरां और संकरे रिहायशी इलाके हैं, जिनमें सुरक्षा इंतजामों का कतई ख्याल नहीं रखा गया है। यही वजह है कि हादसे की सूरत में जान-माल का बड़ा नुकसान होता है। दरअसल प्रशासनिक संस्थाएं रिहायशी इलाकों और कमर्शियल इमारतों के निर्माण के समय नियमों की अनदेखी करती हैं, जिसका खामियाजा हादसे के वक्त उठाना पड़ता है। शायद हर साल आग लगने की कोई ना कोई बड़ी घटना होती है, लेकिन इसके बावजूद हमारी प्रशासनिक संस्थाएं और सरकारें अपनी लापरवाही पर आंखे मूंदे हुए हैं।
दिल्ली में हालात खतरनाक
यदि बात दिल्ली की करें तो यहां हालात बेहद ही खतरनाक हैं। पिछले साल सितंबर माह में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी हौजखास इलाके में सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “यह इलाका टाइम बम पर बैठा हुआ है।” बहरहाल यह टिप्पणी हौजखास इलाके के लिए थी, लेकिन कमोबेश दिल्ली के अधिकतर बाजार और रिहायशी इलाकों में हालात टाइम बम जैसे ही हैं, जहां एक छोटा सा हादसा कब त्रासदी में बदल जाएगा, कहा नहीं जा सकता !
मानकों के अनुसार, दिल्ली में 5000 ऐसे रेस्त्रां हैं, जिनमें 50 से ज्यादा लोगों के बैठने की जगह है। लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि इनमें से सिर्फ 400 रेस्त्राओं में ही सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं। यह तो बात पब और रेस्त्राओं की है, अगर दिल्ली के बाजारों जैसे चांदनी चौक, खान मार्केट आदि को देखा जाए तो वहां स्थिति और भी बुरी है। इतना ही नहीं दिल्ली के कई रिहायशी इलाकों में बदस्तूर कमर्शियल एक्टिविटीज जारी हैं।
बहरहाल, बात यहां सिर्फ दिल्ली या मुंबई की नहीं है। ये समस्या देश के लगभग सभी महानगरों की है, जहां नियमों की खतरनाक स्तर पर अनदेखी की गई है। ऐसे में ये हादसे एक अलार्म है हमारी सरकारों और प्रशासनिक संस्थाओं के लिए कि वह वक्त रहते इस दिशा में सुधार करें, अन्यथा लोग बेवजह इन हादसों का शिकार होते रहेंगे।