विशेष टिप्पणी : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 26 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। पिछले 1 वर्ष और 26 दिनों के भीतर देश ने लगभग 30 राजनेताओं को खो दिया, जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी-BJP) और कांग्रेस सहित अन्य दलों के नेता भी शामिल हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम जहाँ भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का है, तो अंतिम नाम भाजपा के ही दिग्गज नेता, प्रखर वक्ता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का है।
1 अगस्त, 2018 को भीष्म नारायण सिंह से लेकर 24 अगस्त, 2019 को अरुण जेटली तक जिन 30 राजनेताओं का निधन हुआ, उनमें भाजपा के 8 और कांग्रेस के 4 वरिष्ठ नेता शामिल हैं। भाजपा नेताओं पर नज़र डालें, तो अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा नारायण दत्त तिवारी (मूलत: कांग्रेस नेता), बलराम टंडन, मदनलाल खुराना, अनंत कुमार हेगडे, मनोहर पर्रिकर, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली प्रमुख नेता हैं, जो एक साल में दुनिया छोड़ कर चले गए, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं में भीष्म नारायण सिंह, आर. के. धवन, गुरुदास कामत, सी. एन. बालाकृष्ण और शीला दीक्षित शामिल हैं। भाजपा-कांग्रेस के अलावा जिन नेताओं ने दुनिया को अलविदा कहा, उनमें द्रविड़ मुनेत्र कषगम् (द्रमुक-DMK) सुप्रीमो एम. करुणानिधि और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा-CPM) नेता सोमनाथ चैटर्जी शामिल हैं।
ख़ैर, हम बात नेताओं की चिरविदाई की नहीं करने जा रहे। हम बात करने जा रहे हैं, उनके जीवनकाल की। इसमें भी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की तुलना की जाए, तो हम स्पष्ट देख सकते हैं कि जहाँ एक तरफ अधिकांश भाजपा नेता बेदाग पैदा हुए और बेदाग ही चले गए, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के अधिकांश दिवंगत नेताओं पर दाग था और उन्हें उस दाग के साथ ही दुनिया को अलविदा कहना पड़ा। इतना ही नहीं, कांग्रेस के वर्तमान में भी अनेक सक्रिय नेताओं के दामन पर दाग लगा हुआ और वे इस दाग को धोने की कवायद में जुटे हुए हैं।
भाजपा-कांग्रेस के बीच बुनियादी फर्क़
पिछले एक वर्ष में भाजपा के जिन दिग्गज नेताओं ने दुनिया से विदाई ली, उनमें यदि अटल बिहारी वाजपेयी की बात करें, तो उनकी तो विरोधी भी प्रशंसा करते नहीं थकते थे। वर्षों तक सक्रिय राजनीति में रहने वाले अटलजी ने विपक्ष के नेता और उसके बाद प्रधानमंत्री जैसे पद पर भी सेवा दी, परंतु अपने दामन पर कोई दाग नहीं लगने दिया। इसी तरह सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे नेता भी बेदाग राजनीतिक जीवन जिए और जब दुनिया छोड़ी, तब भी बेदाग ही थे। मनोहर पर्रिकर, अनंत कुमार, बलराम टंडन और मदनलाल खुराना भी अपनी ईमानदारी के लिए विख्यात रहे। दूसरी तरफ कांग्रेस के दिवंगत नेताओं आर. के. धवन, गुरुदास कामत और शीला दीक्षित जैसे नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप सहित कई दाग थे। इसके अलावा करुणानिधि का दामन भी बेदाग नहीं था।
सोनिया-राहुल से लेकर चिदंबरम तक ‘दाग ही दाग’
बात यदि जीवित नेताओं के बारे में की जाए, तो इसमें भी कांग्रेस भाजपा के मुकाबले 19 ही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उनके बहनोई यानी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अहमद पटेल, कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, डी. के. शिवकुमार, वीरभद्र सिंह, हरीश रावत, जगदीश टाइटलर, अजय माकन और इस समय सबसे चर्चित पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम तथा उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम तक सबके विरुद्ध कोई न कोई आपराधिक मामला चल रहा है।