प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज 26 जुलाई है, आज का दिन बहुत खास है। आज ‘कारगिल विजय दिवस’ है। 21 साल पहले आज के ही दिन कारगिल के युद्ध में हमारी सेना ने भारत की जीत का झंडा फहराया था।
कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो भारत कभी नहीं भूल सकता। आप कल्पना कर सकते हैं– ऊंचे पहाड़ों पर बैठा हुआ दुश्मन और नीचे से लड़ रही हमारी सेना, हमारे वीर जवान लेकिन जीत पहाड़ की ऊंचाई की नहीं, भारत की सेनाओं के ऊंचे हौंसले और सच्ची वीरता की हुई।
साथियो, उस समय, मुझे भी कारगिल जाने और हमारे जवानों की वीरता के दर्शन का सौभाग्य मिला, वो दिन, मेरे जीवन के सबसे अनमोल क्षणों में से एक है। मैं, देख रहा हूं कि आज देश भर में लोग कारगिल विजय को याद कर रहे हैं, जो शहीद हुए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दे रहें हैं।
मैं आज सभी देशवासियों की तरफ से हमारे इन वीर जवानों के साथ-साथ, उनकी माताओं को भी नमन करता हूं, जिन्होंने, मां-भारती के सच्चे सपूतों को जन्म दिया। मेरा देश के नौजवानों से आग्रह है कि आज दिन-भर कारगिल विजय से जुड़े हमारे जाबाजों की कहानियां, वीर-माताओं के त्याग के बारे में, एक-दूसरे को बताएं ।
साथियो कारगिल युद्ध के समय अटल जी ने लालकिले से जो कहा था वो आज भी हम सभी के लिए बहुत प्रासंगिक है। राष्ट्र सर्वोपरी का मंत्र लिए, एकता के सूत्र में बंधे देशवासी, हमारे सैनिकों की ताकत को कई हजार गुना बढ़ा देते हैं।
पिछले कुछ महीनों से देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने अनेक आशंकाओं को गलत साबित किया है। देश में Recovery Rate अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफी कम है।
निश्चित रूप से एक भी व्यक्ति को खोना दुखद है, लेकिन भारत अपने लाखों देशवासियों का जीवन बचाने में सफल भी रहा है। कभी-कभी हमें मास्क से तकलीफ होती है और मन करता है कि चेहरे पर से मास्क हटा दें। बातचीत करना शुरू करते हैं। जब मास्क की ज्यादा जरूरत होती है, उसी समय मास्क हटा देते हैं।
एक तरफ हमें कोरोना के खिलाफ लड़ाई को पूरी सजगता और सतर्कता के साथ लड़ना है तो दूसरी ओर कठोर मेहनत से व्यवसाय, नौकरी, पढ़ाई जो भी कर्तव्य हम निभाते हैं, उसमें गति लानी है, उसको नई ऊंचाई पर ले जाना है। कोरोना काल में तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों ने पूरे देश को दिशा दिखाई है। गांवो से स्थानीय नागरिकों और ग्राम पंचायतों के अनेक अच्छे प्रयास लगातार सामने आ रहे हैं।
सकारात्मक अप्रोच से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में मदद मिलती है। हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं कि कैसे देश के युवाओं-महिलाओं ने Talent और Skill के दम पर कुछ नए प्रयोग शुरू किए हैं। बंबू से आप अगर इनकी Quality देखेंगे तो भरोसा नहीं होगा कि बांस की बोतलें भी इतनी शानदार हो सकती हैं और फिर ये बोतलें Eco-Friendly भी हैं।
छोटे-छोटे स्थानीय उत्पादों से कैसे बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदहारण झारखंड से भी मिलता है। मैं देश के दो इलाकों के बारे में भी बात करना चाहता हूं, दोनों एक-दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर हैं और अपने-अपने तरीके से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ हटकर के काम कर रहे हैं। एक है लद्दाख और दूसरा है कच्छ।
साथियो जब हम कुछ नया करने का सोचते हैं, Innovative सोचते हैं तो ऐसे काम भी संभव हो जाते हैं, जिनकी आम-तौर पर कोई कल्पना नहीं करता, जैसे कि बिहार के कुछ युवाओं को ही लीजिए। कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है। कई संस्थाएं इस बार अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहे हैं। Vocal for Local की बात भी की जा रही है। 7 अगस्त को National Handloom Day है। भारत का हैंडलूम, हमारा Handicraft अपने आप में सैकड़ो वर्षों का गौरवमयी इतिहास समेटे हुए है।
साथियो ऐसे कई युवा दोस्त हैं कठिन परिस्थितियों में भी जिनके हौसलें और सफलता की कहानियां हमें प्रेरित करती हैं।
इस समय बारिश का मौसम भी है। पिछली बार भी मैंने आप से कहा था कि बरसात में गंदगी और उनसे होने वाली बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, अस्पतालों में भीड़ भी बढ़ जाती है। इसलिए सभी साफ-सफाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दें। इस समय देश का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार, असम जैसे राज्यों के कई क्षेत्रों में तो बाढ़ ने काफी मुश्किलें पैदा की हुई हैं, ऐसे में हर तरह से, राहत और बचाव के काम किए जा रहे हैं।
इस बार 15 अगस्त भी अलग परिस्थितियों में होगा । कोरोना महामारी की आपदा के बीच होगा। हमारा देश आज जिस ऊंचाई पर है, वो कई ऐसी महान विभूतियों की तपस्या की वजह से है, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उन्हीं महान विभूतियों में से एक हैं ‘लोकमान्य तिलक’।
मेरे प्यारे देशवासियो सात समुंद्र पार भारत से हजारों मील दूर एक देश है जिसका नाम है सूरीनाम (Suriname)। हाल ही में श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी, ‘सूरीनाम’ के नए राष्ट्रपति बने हैं, उन्होंने 2018 में आयोजित PIO, Parliamentary Conference में हिस्सा लिया था I संतोखी जी ने शपथ की शुरुआत वेद मंत्रों के साथ की और संस्कृत में बोले। मैं श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी को बधाई देता हूं और अपने राष्ट्र की सेवा करने के लिए 130 करोड़ भारतीयों की ओर से उन्हें शुभकामनायें देता हूं।