रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 5 जुलाई, 2019 (YUVAPRESS)। मोदी सरकार 2.0 का प्रथम बजट विकास और आशाओं के कई सपनों को संजोए हुए है। देश की प्रथम पूर्णकालिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से प्रस्तुत किया गया यह बजट कुल मिला कर सरकार के लक्ष्यों को साधने के आयोजनों की रूपरेखा है। यद्यपि आम आदमी के लिए यह बजट अत्यंत लाभकारी है, परंतु खास आदमी को सरकार ने देश की विकास यात्रा में अधिक से अधिक योगदान देने पर विवश करने का मन बनाया है।
केन्द्रीय बजट 2019-20 को यदि ओवरऑल देखा जाए, तो इसमें मोदी सरकार निर्धन वर्ग से लाड़ करती नज़र आई, तो टैक्स छूट की आस लगाए बैठे मध्यम वर्ग को कुछ रियायतों के साथ मान-सम्मान और धन्यवाद देकर समझाने का प्रयास किया गया, परंतु धनवानों पर सरकार ने खुली धाड़ यानी डकैती डाली है, जिससे सरकार अपने विकास योजनाओं के खर्चों को पूरा कर सके। सरकार ने निर्धनों के लिए अनेक योजनाओं का ऐलान किया है। निर्धनों में गाँव, ग़रीब और किसान शामिल हैं। सरकार की अधिकतर योजनाएँ और घोषणाएँ निर्धनों के लिए ही है, परंतु मध्यम वर्ग को इस बजट से टैक्स छूट को लेकर निराशा ही हाथ लगी, तो धनवानों पर जबर्दश्त टैक्स टॉर्चर हुआ है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सवा दो घण्टे के बजट भाषण के दौरान देश का मध्यम वर्ग टैक्स स्लैब के उल्लेख की प्रतीक्षा करता रहा, परंतु वित्त मंत्री ने यह बात पूरे दो घण्टे के भाषण के बाद कही। निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इतना अवश्य कहा, ‘सरकार ने ऐसे कई प्रयास किए हैं, जिससे 5 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वालों को आयकर न देना पड़े।’ वित्त मंत्री के इस वाक्य को लेकर कुछ क्षणों के लिए यह भ्रम फैल गया कि सरकार ने आयकर छूट की सीमा 2.50 लाख से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दी है, परंतु शीघ्र ही यह भ्रम दूर हो गया।
टैक्स स्लैब नहीं बदलने से निराशा

मोदी सरकार 2.0 के प्रथम बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका अर्थ यह है कि ढाई लाख रुपए तक की वार्षिक आय ही करमुक्त रहेगी। इससे अधिक वार्षिक आय पर कर भुगतान करना होगा। यद्यपि 1 फरवरी, 2019 को तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार पूर्ण बजट प्रस्तुत करेगी, तब कदाचित टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाएगा, परंतु आज उस आशा पर पानी फिर गया। मौजूदा टैक्स स्लैब के अनुसार 5 लाख रुपए तक की आय पर 5 प्रतिशत कर तथा 4 प्रतिशत अधिभार देना होगा अर्थात् कुल आय से ढाई लाख रुपए घटाने के बाद शेष आय कर यह कर देना होगा। इसमें भी डेढ़ लाख रुपए तक का निवेश भी आयकर मुक्त रहेगा। इस प्रकार मध्यम वर्ग के लिए करीब 4 लाख रुपए तक की आय करमुक्त रहेगी। इसी प्रकार 10 लाख रुपए तक की आय पर 12,500+20 प्रतिशत (कुल आय से 5 लाख घटा कर)+4 प्रतिशत अधिभार और 10 लाख से अधिक आय पर 1,12,500+30 प्रतिशत (कुल आय से 10 लाख घटा कर)+4 प्रतिशत अधिभार लागू है। यह टैक्स स्लैब 60 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों के लिए है।
धनवानों पर टैक्स टॉर्चर !

वित्त मंत्री ने बजट में अमीरों पर कोई रियायत नहीं बरती है। उल्टे अमीरों पर कर का शिकंजा कसा गया है। सीतारमण ने घोषणा की कि 2 से 5 करोड़ रुपए की वार्षिक आय प्राप्त करने वालों पर 3 प्रतिशत सरचार्ज लगेगा। 5 करोड़ रुपए से अधिक आय वाले लोगों पर 7 प्रतिशत सरचार्ज लगेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अब अमीरों पर और अधिक टैक्स लगेगा। मौजूदा टैक्स स्लैब के अनुसार 10 लाख से अधिक आय वालों से 30 प्रतिशत टैक्स वसूला जाता है। ऐसे में जिनकी आय 2 से 5 करोड़ रुपए है, उन्हें 30 प्रतिशत आयकर के साथ-साथ 3 प्रतिशत सरचार्ज और जिनकी आय 5 करोड़ रुपए से अधिक है, उन्हें 30 प्रतिशत आयकर के साथ-साथ 7 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा।