* इमरान की कानाफूसी और खुशफहमी का ग़ुब्बारा फूटा
रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद 26 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। अभी एक महीने पहले ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान फूले नहीं समा रहे थे। अपने देश और दुनिया के सामने सीना चौड़ा करके कह रहे थे कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनसे कहा है कि वे (ट्रम्प) कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। इमरान को यह शगूफा छेड़ने का अवसर भी ट्रम्प ने ही दिया था, जब गत 23 जुलाई को वॉशिंगटन में इमरान-ट्रम्प की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने झूठा दावा कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे (ट्रम्प से) कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की पेशकश की है।
ट्रम्प की इस ग़लतबयानी से एक तरफ पाकिस्तान और इमरान खान बहुत बड़ी कूटनीतिक विजय का जश्न मना रहे थे, वहीं भारत के खंडन के बाद ट्रम्प प्रशासन ने स्वयं ही आगे बढ़ कर जब कह दिया कि कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है, तब इमरान की खुशी का ग़ुब्बारा फूट गया। दरअसल इमरान खान जब ट्रम्प के इस बयान को अपने अमेरिकी दौरे की सबसे बड़ी सफलता बता रहे थे, तब उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि भारत 13 दिनों बाद यानी 5 अगस्त को ऐसा बड़ा धमाका करने वाला है, जो इमरान के कानों को सुन्न कर देगा।
इमरान की कानाफूसी, मोदी की लाल आँख

इमरान खान अच्छी तरह जानते थे और जानते हैं कि कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का अर्थ है 1972 में इंदिरा गांधी और ज़ुल्फीकार अली भुट्टो द्वारा किए गए शिमला समझौते का स्पष्ट उल्लंघन है। इसके बावजूद भारत के जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के फ़ैसले की भनक तक नहीं रखने वाले इमरान खान वॉशिंगटन में ट्रम्प से कानाफूसी कर आए थे। इमरान ने दबे स्वर में ट्रम्प से यह कहलवा तो लिया कि मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की है, परंतु झूठे बयानों के लिए कुख्यात ट्रम्प के एक और झूठ का पर्दाफाश हो गया। एक तरफ भारत की कड़ी आपत्ति और ट्रम्प प्रशासन द्वारा ही ट्रम्प के झूठ का पर्दाफाश करने से पहले ही परेशान इमरान खान को 5 अगस्त को भारत ने दूसरा और करारा झटका दे दिया। ऐसे में इमरान ने फिर एक बार ट्रम्प से गुहार लगाई, कानाफूसी की, परंतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाक़ात के दौरान इमरान की तरह कानाफूसी नहीं की। मोदी ने देश को दिए अपने वचन के अनुसार ट्रम्प के साथ आँखों से आँखें मिला कर बात की और दो टूक कह दिया, ‘कश्मीर पर आप कष्ट न करें।’
ट्रम्प ने की तौबा, इमरान को एक और तगड़ा झटका

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए फ्रांस के दौरे पर हैं और यहीं उनकी मुलाक़ात ट्रम्प से हुई। इस मुलाक़ात के दौरान मोदी ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के मुद्दे द्विपक्षीय हैं और किसी देश को इसमें कष्ट देने की आवश्यकता नहीं है। पाकिस्तान के साथ जो भी मुद्दे हैं, वे द्विपक्षीय हैं। इन मुद्दों के लिए हम दूसरे देशों को कष्ट नहीं देते। हम बातचीत से मसले सुलझाएँगे। मैंने पाकिस्तान में चुनाव के बाद इमरान खान को फोन कर कहा था कि पाकिस्तान को बीमारी, ग़रीबी और अशिक्षा से लड़ना है। दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) को मिल कर इससे लड़ना है। दोनों देश जनता की भलाई के लिए काम करें। राष्ट्रपति ट्रम्प से भी हमारी इस संबंध में बात होती रहती है।’ जब मोदी ने कश्मीर पर कड़ा रुख अपनाया, तो 23 जुलाई के बाद भी कई बार मध्यस्थता का राग अलाप चुके ट्रम्प ने मध्यस्थता पर कान पकड़ लिए। ट्रम्प ने कहा, ‘हमने पिछली रात कश्मीर मसले पर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि चीजें पूरी तरह नियंत्रण में हैं। मुझे आशा है कि वे कुछ अच्छा करने में सफल होंगे, जो बहुत अच्छा होगा। मुझे आशा है कि भारत और पाकिस्तान मिल कर समस्याओं को सुलझा लेंगे।’