रिपोर्ट : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 27 सितंबर, 2019 (युवाPRESS)। अब एक और बैंक घोटाले ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को काम पर लगा दिया है। यह बैंक घोटाला सामने आया है पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉ-ऑपरेटिव (PMC) बैंक में। इस बैंक को उसके एक ही खातेदार ने ऐसे गंभीर संकट में डाल दिया है, जिससे आरबीआई ने इस बैंक पर पाबंदियाँ लगा दीं। अब यह बैंक किसी को लोन नहीं दे पाएगा। हालाँकि जिस खातेदार शख्स ने इस बैंक को डुबोया है, उसी के नाम रियल्टी सेक्टर को डुबोने का कारनामा भी दर्ज है। आज हम आपको उसी शख्स के बारे में जानकारी देंगे।
HDIL कंपनी और उसके एमडी सारंग वाधवान !

हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) कंपनी रियल्टी सेक्टर में काम करती है और इसके वाइस चेयरमैन व मैनेजिंग डिरेक्टर (MD) सारंग वाधवान हैं। पहले सारंग वाधवान ने इस कंपनी के नाम से पीएमसी बैंक (जो कि एक शहरी सहकारी बैंक है) से 2,500 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिसे चुकाया नहीं। इसके बावजूद सारंग वाधवान ने पीएमसी बैंक से 96.5 करोड़ रुपये का दूसरा लोन ले लिया, जो पर्सनल लोन था। बैंक ने यह लोन देने में आरबीआई की गाइड लाइन का खुले आम उल्लंघन किया, जिसके चलते आज वह संकट में है। रिज़र्व बैंक की गाइड लाइन के अनुसार बैंक किसी भी व्यक्ति या कंपनी को अपनी कुल क्षमता का 15 प्रतिशत ही लोन दे सकते हैं, जबकि पीएमसी ने 8,300 करोड़ के लोन दे दिये, इसमें भी 31 प्रतिशत लोन अकेले एचडीआईएल को जारी किया गया। जो कि 15 प्रतिशत की आरबीआई द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा से दोगुनी से भी अधिक है। एचडीआईएल कंपनी और सारंग वाधवान, दोनों ने बैंक ऑफ इंडिया (BOI) से लिया हुआ कर्ज चुकाने के लिये पीएमसी बैंक से यह कर्ज लिया था। बीओआई ने कंपनी के खिलाफ बैंकरप्सी प्रोसीडिंग शुरू कर दी थी और वह इस मामले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास ले गया था। बाद में बैंक ने याचिका वापस ले ली थी, क्योंकि दोनों के बीच अकाउंट सेटल करने का समझौता हो गया था। इसके बाद अगस्त में बैंक ने नई याचिका दायर की, क्योंकि कंपनी समझौते के अनुसार अगस्त-2019 तक अकाउंट सेटल करने में विफल रही। इसके बाद 31 अगस्त को बीओआई ने कहा कि उने एचडीआईएल के खिलाफ बैंकरप्सी के मामले को 2 सप्ताह के लिये टाल दिया है, क्योंकि कंपनी ने उसे 96.5 करोड़ रुपये के दो पे ऑर्डर दिये हैं। ये पे ऑर्डर पीएमसी बैंक की ओर से जारी किये गये थे।
इसके बाद खुलासा हुआ कि पीएमसी ने 2,500 करोड़ रुपये का लोन चुकाने में विफल रहने वाली कंपनी के वाइस चेयरमैन सारंग वाधवान को 96.5 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन दिया है। पीएमसी बैंक ने आरबीआई की गाइडलाइन के बावजूद एनपीए में नहीं डाला था। दिवालिया हो चुकी कंपनी पर बकाया लोन को भी एनपीए में नहीं डाला, जबकि कंपनी लगातार लोन चुकाने में नाकाम होती जा रही थी। इसके बावजूद कंपनी के वाइस चेयरमैन को फिर पर्सनल लोन दे दिया गया। इसके बाद आरबीआई ने 24 सितंबर को बैंक पर ऑपरेशनल कार्यवाही की और बैंक पर 6 महीने के लिये कुछ पाबंदियाँ लागू कर दीं। इन पाबंदियों के अनुसार खाते से 1000 रुपये से अधिक की राशि की निकासी पर पाबंदी लग गई और बैंक पर लोन नहीं देने की पाबंदी लगा दी गई। 1000 रुपये से अधिक की निकासी पर पाबंदी से खातेदार परेशान हुए तो उन्होंने बैंक के ब्रांचों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद आरबीआई ने निकासी की सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी। अन्य पाबंदियाँ लागू हैं। इस प्रकार मात्र एक खातेदार की बदौलत 35 साल पुराने पीएमसी बैंक पर डूबने का संकट पैदा हो गया है।
पीएमसी बैंक और एचडीआईएल के बीच सम्बंध
- पीएमसी बैंक का कॉर्पोरेट ऑफिस मुंबई के भांडुप स्टेशन के पास ड्रीम्स मॉल नामक बिल्डिंग में है। जबकि बैंक के ब्रांच ऑफिस महाराष्ट्र, गोवा, दिल्ली और पंजाब में हैं। जिस बिल्डिंग में पीएमसी का कॉर्पोरेट ऑफिस है। उस बिल्डिंग को सारंग वाधवान द्वारा प्रमोटेड एचडीआईएल कंपनी ने ही विकसित किया है। हालाँकि बैंक और इस कंपनी के बीच सम्बंध इससे भी कहीं आगे हैं।
- पीएमसी बैंक इस कंपनी के लिये एक इन-हाउस बैंकर की तरह काम कर रहा था। जो अब आरबीआई के एडमिनिस्ट्रेटर जे बी बोहरा की निगरानी में काम कर रहा है।
- दूसरी ओर एचडीआईएल कंपनी बैंक ऑफ इंडिया की ओर से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दायर बैंकरप्सी प्रोसीडिंग का सामना कर रही है।
- पीएमसी बैंक के चेयरमैन वर्यम सिंह 9 साल तक एचडीआईएल कंपनी के बोर्ड में शामिल रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2015 में निदेशक पद से इस्तीफा दिया था। उसी समय वर्यम सिंह के कंपनी में 1.91 प्रतिशत शेयर भी थे।
- दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (DHFL) के चेयरमैन रह चुके राजेश वाधवान पीएमसी बैंक के बोर्ड में शामिल रहे हैं।
- जब एचडीआईएल कंपनी दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही थी, उसी दौरान पीएमसी बैंक की ओर से कंपनी के वाइस चेयरमैन को 96.50 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन दिया गया था। हालांकि इस लोन के बदले सारंग वाधवान की निजी गारंटी के साथ जमानत राशि पर्याप्त मात्रा में जमा है।
रियल्टी सेक्टर को ऐसे डुबोया

बांबे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के रियल्टी सेक्टोरल इंडेक्स में शामिल अधिकांश कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही। इससे रियल्टी इंडेक्स 4.19 प्रतिशत गिरावट के साथ 2,091.28 अंक पर आ गया। एचडीआईएल के मामले से रियल्टी सेक्टर की कंपनियों में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की कमी का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया। एचडीआईएल ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उसके एमडी सारंग वाधवान ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी के 50 लाख शेयर खुले बाजार में 57 करोड़ रुपये में बेच दिये हैं। इसके चलते कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 2.19 प्रतिशत से घटकर 0.99 प्रतिशत रह गई है।
31 दिसंबर 2012 की स्थिति के अनुसार एचडीआईएल में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 37.36 प्रतिशत थी। इनमें से 98 प्रतिशत शेयर वित्तीय संस्थानों व बैंकों के पास गिरवी पड़े हैं। इस खबर के प्रभाव से कंपनी के शेयरों में तेजी से गिरावट आई। गुरुवार को यह गिरावट और गहरा गई। बीएसई पर कंपनी के शेयर का भाव 22.44 प्रतिशत लुढ़क गया और 74.65 रुपये पर आ गया। इसी दिन कंपनी के प्रबंधन ने कर्ज के मुद्दे को लेकर भरपूर सफाई दी। कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट (फाइनैंस) हरि प्रकाश पांडे ने निवेशकों के साथ एक कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा कि कर्ज के भुगतान को लेकर कंपनी आरामदायक स्थिति में है और शैड्यूल के मुताबिक कंपनी चल रही है। कर्ज के तुरंत भुगतान और मुंबई में खरीदी गई ज़मीन की अंतिम किश्त देने के लिये वाधवान को अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी है। हालांकि अन्य प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचेंगे। कंपनी छोटी अवधि के महंगे कर्ज को लंबी अवधि के सस्ते कर्ज में बदलने पर भी काम कर ही है। दिसंबर-2012 के आखिर में कंपनी का कुल कर्ज 3,470 करोड़ रुपये है।