विश्लेषण : विनीत दुबे
अहमदाबाद, 8 अगस्त, 2019 (युवाPRESS)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में देश की तीन महान विभूतियों पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख और विख्यात गायक भूपेन हजारिका को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया है। 26 जनवरी-2019 को इन तीनों गणमान्य महानुभावों को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। इस मौके पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उपस्थित थे, उन्होंने मुखर्जी को सम्मान प्राप्त करने के लिये अभिनंदन भी दिया।
कौन हैं नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका

नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान मरणोपरांत प्राप्त हुआ है। भूपेन हजारिका को मिला सम्मान उनके बेटे तेज हजारिका ने राष्ट्रपति के हाथों से स्वीकार किया, जबकि नानाजी देशमुख की ओर से दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष वीरेन्द्रजीत सिंह ने यह सम्मान ग्रहण किया। नानाजी देशमुख जनसंघ के विचारक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।

जबकि भूपेन हजारिका असम के गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि, अभिनेता और फिल्म निर्माता थे। उन्होंने असमिया कवि, गायक, गीतकार और संगीतकार के अलावा अभिनेता और फिल्म निर्माता के रूप में असम की कला को व्यापक स्तर तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कला के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की थी।
वीरभूम की विभूति प्रणब मुखर्जी

- 2017 में राष्ट्रपति के पद से सेवानिवृत्त हुए प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न के लिये चुना जाना मोदी सरकार का चौंकाने वाला फैसला माना जाता है। क्योंकि प्रणब मुखर्जी की गणना कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती है, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का विरोध किया है। हालांकि प्रणब मुखर्जी के पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ अच्छे सम्बंध रहे हैं और पीएम मोदी भी प्रणब मुखर्जी को लेकर कांग्रेस पर अपने दिग्गज नेता की उपेक्षा करने का आरोप लगाते रहे हैं।

- प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर-1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के किरनाहर शहर के समीप स्थित मिराती गाँव में हुआ था। ब्राह्मण परिवार में जन्मे प्रणबदा के पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। उनके पिता एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिये 10 वर्ष से भी अधिक जेल की सजा भोगी थी। वह 1920 से कांग्रेस से जुड़े थे और 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य तथा वीरभूम जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे थे।
- प्रणब मुखर्जी ने वीरभूम के सूरी स्थित सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की, जो उस समय कोलकाता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था। उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ-साथ कानून की डिग्री प्राप्त की है। वह एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक रह चुके हैं। उन्हें मानद् डी.लिट की उपाधि भी हासिल है। उन्होंने पत्रकार के रूप में करियर की शुरुआत की थी और बांग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में काम किया था। वह बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी और अखिल भारतीय बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।
- 22 वर्ष की उम्र में 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ उनका विवाह हुआ। उनकी तीन संतानों में दो बेटे और एक बेटी हैं। प्रणबदा को पढ़ने, बागवानी करने और संगीत सुनने के व्यक्तिगत शौक हैं।
- प्रणबदा का राजनीतिक करियर पाँच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ था। वह 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा सदस्य चुने गये। 1973 में वह पहली बार औद्योगिक विकास विभाग के केन्द्रीय उप मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। 1982 से 1984 तक वह कैबिनेट पदों पर चुने गये। 1984 में पहली बार देश के वित्तमंत्री बने थे। इसी दौरान यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण में वह दुनिया के श्रेष्ठतम 5 वित्तमंत्रियों में चुने गये थे। उनके वित्तमंत्री के कार्यकाल के दौरान डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे।
- इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी समर्थक मंडली के षड़यंत्र का शिकार हुए प्रणबदा को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया गया और कुछ समय बाद उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया था। तब उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया था, बाद में 1989 में राजीव गांधी के साथ समझौता हो जाने पर उन्होंने अपने दल का कांग्रेस में विलय कर दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव ने उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष और बाद में एक केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्हें नियुक्त करके उनके करियर को फिर से ऊंचाई प्रदान की। राव मंत्रिमंडल में वह 1995 से 1996 तक विदेश मंत्री रहे।
- 1997 में वह उत्कृष्ट सांसद चुने गये।
- जब 2004 में फिर से कांग्रेस की गठबंधन सरकार आई तो पहली बार जंगीपुर से लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणबदा को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया। उन्हें रक्षा, वित्त, विदेश, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों का मंत्री बनने का भी गौरव हासिल है।
- वह 1985 में कांग्रेस संगठन में पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे, जिनमें सभी सांसद और विधायक शामिल होते हैं। मनमोहन सरकार में वह केन्द्रीय वित्त मंत्री रहे। उनकी कैबिनेट समिति के अध्यक्ष और मंत्रिमंडल के संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
- प्रणबदा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। 1984 में उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता भी की। 1995 में उन्होंने सार्क मंत्री परिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की।
- प्रणव मुखर्जी सोनिया गांधी के परामर्शदाता भी रहे हैं।
- 2008 में वह देश के दूसरे क्रम के सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित हुए थे।
अभी तक इन महानुभावों को मिल चुका है भारत रत्न
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी | 1954 |
सी.वी. रमन | 1954 |
सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 1954 |
भगवान दास | 1955 |
एम. विसवेशरैय्या | 1955 |
जवारहलाल नेहरू | 1955 |
गोविंद वल्लभ पंत | 1957 |
डी. केसव कर्वे | 1958 |
बिधान चंद्र रॉय | 1961 |
पुरुषोत्तम दास टंडन | 1961 |
राजेंद्र प्रसाद | 1962 |
जाकिर हुसैन | 1963 |
पांडुरंग वामन काने | 1963 |
लाल बहादुर शास्त्री | 1966 |
इंदिरा गांधी | 1971 |
वी.वी. गिरी | 1975 |
के. कामराज | 1976 |
मदर टेरेसा | 1980 |
विनोबा भावे | 1983 |
खान अब्दुल गफ्फार खान | 1987 |
एम.जी. रामचंद्रन | 1988 |
बी.आर. अंबेडकर | 1990 |
नेल्सन मंडेला | 1990 |
राजीव गांधी | 1991 |
सरदार वल्लभभाई पटेल | 1991 |
मोरारजी देसाई | 1991 |
अब्दुल कलाम आजाद | 1992 |
जे.आर.डी. टाटा | 1992 |
सत्यजीत राय | 1992 |
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम | 1997 |
गुलजारी लाल नंदा | 1997 |
अरुणा आसफ अली | 1997 |
एम.एस.सुबुलक्ष्मी | 1998 |
चिदंबरम सुब्रमण्यम | 1998 |
जयप्रकाश नारायण | 1999 |
रवि शंकर | 1999 |
अमर्त्य सेन | 1999 |
गोपीनाथ बारदोलई | 1999 |
लता मांगेशकर | 2001 |
बिस्मिल्लाह खान | 2001 |
भीमसेन जोशी | 2008 |
प्रो. सी.एन.आर. राव | 2013 |
सचिन तेंडुलकर | 2013 |
अटल बिहारी वाजपेयी | 2014 |
मदन मोहन मालवीय | 2014 |
प्रणब मुखर्जी | 2019 |
भूपेन हजारिका | 2019 |
नानाजी देशमुख | 2019 |