अहमदाबाद, 18 जुलाई 2019 (युवाpress)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार हर परिवार के पास अपना घर हो, इस उद्देश्य से प्रधानमंत्री आवास योजना चला रही है। सरकार इसके लिये शहरों में महानगरपालिकाओं, शहरी विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड आदि संस्थाओं के साथ मिलकर गरीब आवास बनाकर जरूरतमंद परिवारों को उपलब्ध करवा रही है, तो दूसरी तरफ गाँवों में कच्चे मकानों में या झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को मकान बनवाने के लिये 1.35 लाख रुपये की आर्थिक मदद देती है। हालाँकि अब इस योजना में धाँधली के मामले सामने आ रहे हैं और कुछ लोग मकान के लिये दिये जाने वाले सरकारी पैसों से टीवी और बाइक जैसी चीजें खरीद रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में 792 लोगों से होगी वसूली

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सभी 9 जनपदों में पीएम आवास योजना के तहत धाँधली के मामले सामने आने के बाद सरकार सतर्क हो गई है। इन जनपदों में ऐसे 792 लोगों का पता चला है, जिन्हें मकान बनाने के लिये पहली किश्त के तौर पर 48 हजार रुपये दिये गये थे, परंतु इन लोगों ने मकान बनवाने की बजाय टीवी, फ्रिज, कूलर और बाइक जैसी वस्तुएँ खरीद ली हैं। मकानों के नाम पर कहीं पत्थरों का टीला देखने को मिल रहा है तो कहीं झोपड़ियाँ दिख रही हैं। इस धाँधली से परेशान जिला पंचायत ने ऐसे लोगों से सरकारी मदद की रकम वसूल करने के लिये सब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (एसडीएम-SDM) को नोटिस जारी करने के लिये कहा है।
तीन किश्तों में जारी होती है रकम

पीएम आवास योजना के तहत जिला पंचायत की ओर से योजना के लिये चुने गये लोगों को तीन आसान किश्तों में रकम जारी की जाती है, जो उनके बैंक खाते में डाली जाती है। जिला पंचायत के सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2011 के सर्वे की लिस्ट में शामिल नामों को पहली किश्त की राशि 48 हजार रुपये दी गई थी। इसके बाद इतनी ही रकम की दूसरी किश्त दी जाती है और अंतिम किश्त में 24 हजार रुपये दिये जाते हैं। जबकि मकान का निर्माण पूरा हो जाने पर मनरेगा से मजदूरी के लिये 15 हजार रुपये दिये जाते हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति को कुल 1.35 लाख रुपये दिये जाते हैं। लोग हैं कि सरकारी पैसों का दुरुपयोग कर रहे हैं। मकान बनवाने की जगह वह अलग-अलग किश्तों में मिलने वाली रकम से दूसरी चीजें खरीद रहे हैं। इस धाँधली के प्रकाश में आने के बाद जिला पंचायत ने जाँच की तो जिले के 9 जनपदों में ऐसे 792 लोगों का खुलासा हुआ, जिन्होंने मकान बनाने के लिये मिली राशि से टीवी, फ्रिज, कूलर और बाइक आदि वस्तुएँ खरीद ली।
इसके बाद जिला पंचायत ने ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार करके एसडीएम को भेजी है और उनसे इन 792 लोगों को नोटिस जारी करके उनसे 3.80 करोड़ रुपये की वसूली करने का आग्रह किया है। अब एसडीएम की ओर से यह रकम वसूल करने की कार्यवाही की जाएगी।
नया नहीं है पीएम आवास योजना में धाँधली का मामला
पीएम आवास योजना में धाँधली का यह पहला मामला नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ गाँवों में ही इस योजना में धाँधली हो रही है। शहरों में भी जो गरीब आवास बनाए जा रहे हैं। वह स्थानीय नगर-महानगर पालिकाओं, शहरी विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड की जमीनों पर बनाए जा रहे हैं तथा इसमें केन्द्र सरकार और राज्य सरकार पैसे खर्च करती है, जबकि कुल खर्च का कुछ हिस्सा मकान खरीदने वाले से लिया जाता है, ताकि लोगों को सस्ते मकान मुहैया कराए जा सकें। परंतु इन मकानों में से भी अधिकांश मकानों पर इन संस्थाओं के भ्रष्ट अधिकारी तथा राजनीतिक दलों के नेता-कार्यकर्ता कब्जा जमा लेते हैं और बहुत कम मकान ही सामान्य जनता के हिस्से में आते हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नेताओं या अधिकारियों के सम्बंधी आदि कब्जा जमाए हुए हैं। ड्रॉ सिस्टम में भी धाँधली सामने आ चुकी है और गुजरात के सूरत में एक ही महिला और उसके परिचितों के नाम पर एक दर्जन से अधिक मकान लगे थे, इसके बाद इस ड्रॉ को रद्द करके दोबारा ड्रॉ किया गया था।