नई दिल्ली: रेप रोको अभियान (Rape Roko Campaign) – देश की राजधानी दिल्ली में आये दिन रेप के किस्से सुनने के लिए मिलते हैं। आज दिल्ली की ये हालात हो चुकी है कि रोज किसी न किसी मासूम बची से लेकर बुज़ुर्ग महिलाये तक रेप का शिकार सुनने में आते हैं। भारत जैसे देश में जहां नवरात्री में नव दिन दुर्गा और काली की पूजा की जाती वही दूसरी ओर रेप घिनोने अपराध को भी उचित संख्या में अंजाम दिया जा रहा है। वैसे देखा जाये तो देश कि राजधानी दिल्ली में हर एक राज्य के लोग रहते हैं कुछ बहुत अमीर है तो कुछ बिलकुल गरीब । लगभग 60 प्रतिशत व्यक्ति जो दिल्ली में आते है वे बाहरी होते हैं। वे नौकरी के लिए दिल्ली आते हैं। जिसमें काफी लड़के लड़कियां भी होते हैं जो अपने शहर से दूर नौकरी के लिए दिल्ली आते हैं तो दूसरी और कुछ पढ़ाई करने के लिए आते हैं| लड़की कोई खिलौना या मशीन नहीं है जिसके साथ जब चाह रेप कर लिया जाये जब चाह उसे यूज कर लिया जाये।
रेप रोको अभियान की शुरुआत (Rape Roko Campaign)
रेप जैसे घिनोने अपराध को रोकने के लिए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष Swati Maliwal ने ‘रेप रोको’ नाम से राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दिल्ली विश्व विद्यालय मेट्रो स्टेशन से मार्च निकालकर कर की। यह campaign 19 मार्च 2018 तक चलाया जायगा। इस राष्ट्रीय अभियान में दिल्ली यूनिवर्सिटी के बहुत स्टूडेंट्स का बहुत बड़ा योगदान है। जहां एक ओर रात के 9:०० बजते ही लड़की के भाई और पिता का घड़ियों में टाइम देखने और फ़ोन कॉल्स करने कि शरुवात करने लगते हैं तो दूसरी ओर लडकी के साथ रेप को अंजाम दिया जा रहा होता है। इस देश में लड़का अगर घर देरी से आता है या नाईट आउट पर भी रहता है तो उससे कोई सवाल जवाब नहीं किया जाता कि वह कहा था, किसके साथ था और क्यों? एक अकेली लड़की कोई आपर्टूनिटी नहीं बल्कि रिस्पान्सबिलिटी होती है। एक ओर रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने वाला भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता तो दूसरी ओर किसी और की बहन के साथ रेप करता है। दिल्ली को एक Broad Minded State माना जाता है। यहां पर महिलायें ट्रेंड के अनुसार पहनावा पहन्ती हैं जिसमें अनेकों प्रकार के सलवार कमीज़ का अधिक इस्तेमाल होता है फिर भी 3 माह की लड़की के साथ रेप या गंग रेप हो जाता है। कुछ लोगों की सोच है कि रेप लड़कियों के पहनावे के वजह से होता है जो कि पूरी तरह से गलत है। रेप लड़की के पहनावे की वजह से नहीं बल्कि छोटी और गिरी हुई सोच की वजह से होता है। जिस देश की लडकियाँ 10 बजे के बाद घर से भर निकले में दस बार सोचती, उस देश की महिलाओं के लिए आज़ादी और स्वतंत्रता जैसे शब्दों को सही नही कहा जा सकता।
रेप होने के बाद लड़की के कैरिक्टर और उसके माँ बाप पर ऊँगली उठाई जाती है, लेकिन जब लड़का सबके सामने लड़की के साथ जबरदस्ती या बद्तमीज़ी करने पर उतर आता है तो लड़की की विडियों बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल की जाती है। उस वक्त इंसानियत और देखने वालों का कैरिक्टर कहा चला जाता है। रेप की विडियों हजारों बार वायरल कर सोशल मीडिया पर दिखाई जाती है तो फैमिली के साथ देखी जाती है लेकिन अगर रेप को रोकने के लिए जब अवर्नेस वाली विडियों बनाकर वायरल किया जाता है तो किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता। वैसे देखा जाये तो स्वाति मालीवाल ने इस विषय (Rape Roko Campaign) को उठाकर और ‘रेप रोको’ अभियान की शुरुआत करके अच्छा कदम उठाया है।